पैसों का लालच देकर लोगों की किडनियां निकालने वाले गिरोह सक्रिय

punjabkesari.in Friday, Jun 03, 2022 - 03:50 AM (IST)

हमारे देश में प्रतिवर्ष किडनी खराब होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है परंतु जरूरतमंद रोगियों में ट्रांसप्लांट के लिए पंर्याप्त सख्या में दानी न मिलने के कारण देश में किडनी की बिक्री एक बड़े अवैध धंधे का रूप धारण कर गई है। इसमें गरीबों को लालच देकर या धोखे से उनकी किडनियां निकाल कर जरूरतमंद रोगियों को महंगे दामों पर बेचने वाले गिरोह शामिल हैं। इन गिरोहों के सदस्य देश भर में घूम कर ऐसे लोगों को ढूंढते हैं जिन्हें पैसे की जरूरत होती है और उनसे किडनी का सौदा कर लेते हैं। मरीज के परिजनों से प्रति किडनी 25-30 लाख रुपए लेने वाले ये धोखेबाज अंगदान करने वाले गरीबों को मात्र कुछ लाख रुपए ही देकर टरका देते हैं। 

किडनी स्कैंडल के नवीनतम मामले में दिल्ली पुलिस ने एक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट स्कैंडल का भंडाफोड़ करके 2 डाक्टरों सहित 10 लोगों को दिल्ली के विभिन्न भागों के अलावा सोनीपत और ऋषिकेश से गिरफ्तार किया है। संभवत: आरोपियों ने 6 महीनों में 20 से अधिक किडनियों का अवैध ट्रांसप्लांट किया। 

आरोपियों की पहचान कुलदीप रे विश्वकर्मा (47), सर्वजीत जेलवाल (37), शैलेश पटेल (23), मोहम्मद लतीफ (24), विकास (24), रंजीत गुप्ता (43), डा. सोनू रोहिल्ला (37), डा. सौरभ मित्तल (37), ओम प्रकाश शर्मा (48) और मनोज तिवारी (36) के रूप में की गई है। 

पुलिस के अनुसार यह गिरोह ‘सॉफ्ट टार्गेट’ अर्थात बेघर लोगों या 20-30 वर्ष के युवाओं एवं अन्य जरूरतमंदों को अपना निशाना बनाता था। शैलेश पटेल और सर्वजीत ने गिरफ्तारी के बाद बताया कि उन्हें गिरोह के सहयोगियों विकास तथा एक डाक्टर के पास दानी लाने का जिम्मा सौंपा गया था तथा उन्हें हर केस के बदले में 30,000 से 40,000 रुपए तक दिए जाते थे। इसके बाद इन दानियों की डाक्टरी जांच की जाती और फिर इनकी किडनियां निकाल कर कहीं अधिक दामों पर जरूरतमंद रोगियों को बेच दी जाती थीं। इन आरोपियों का एक साथी लैबोरेटरी सहायक भी गिरफ्तार किया गया है जो किडनी दानियों और प्राप्त करने वालों को आप्रेशन से पहले डायग्नोस्टिक सैंटरों में ले कर जाता था। 

आरोपी रंजीत गुप्ता दानियों तथा किडनी प्राप्त करने वालों को डाक्टरी प्रक्रिया पूरी करने के लिए गोहाना भेजा करता था जहां से पुलिस ने क्लीनिक के मालिक डा. सोनू रोहिल्ला तथा दिल्ली के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में काम करने वाले एनेस्थिसिस्ट डा. सौरभ मित्तल को गिरफ्तार किया है। यहां अग्रणी अस्पतालों के डाक्टरों और तकनीशियनों की सहायता से अवैध आप्रेशन किए जाते थे। पुलिस  के अनुसार, ‘‘एक व्यक्ति ने जानकारी दी थी कि सर्वजीत एक व्यक्ति को पेट दर्द के इलाज के बहाने लैब में ले जा रहा था लेकिन जब उस व्यक्ति को पता चला कि उसे किडनी डोनेशन के लिए वहां ले जाया जा रहा है तो उसने उससे बहस की और वहां से निकल गया।’’ 

अंगदानियों की भयावह कमी के कारण ही देश में आज अंग बेचना भी करोड़ों रुपयों का व्यापार बन गया है जिसमें डाक्टरों, अस्पतालों, प्रबंधकों, दलालों के अलावा बड़ी संख्या में पुलिस प्रशासन से जुड़े लोग भी शामिल पाए जा रहे हैं।कुछ मामलों में नौकरी का झांसा देकर मैडीकल रिपोर्ट पूरी करने के नाम पर तमाम डाक्टरी परीक्षण करवाने के बाद धोखे से किडनी निकाल लिए जाने के मामले भी सामने आते रहते हैं। कई बार इसमें परिजन तक शामिल पाए गए हैं। यही नहीं साधन-सम्पन्न लोग अपने धन-बल से जरूरतमंद का अंग खरीद कर अपने रोगी की जान बचा भी लेते हैं परंतु धोखे से और किसी की मजबूरी का लाभ उठाकर उसके शरीर का कोई अंग निकाल लेना कतई उचित नहीं और डाक्टरी के पवित्र पेशे पर गहरा दाग है। 

अन्य धंधों की भांति ही इस कारोबार में भारी रकम जुड़ी होने के कारण पुलिस के छापों आदि के बावजूद यह बुराई थमने में नहीं आ रही। अत: इस पर रोक लगाने के लिए स्वैच्छिक अंगदान की प्रक्रिया आसान बनाने और सहमति से अंगदान करने की अनुमति का प्रावधान करने के अलावा इस अवैध कारोबार के लिए जिम्मेदार लोगों को कठोरतम दंड देने की आवश्यकता है ताकि दूसरों को भी नसीहत मिले। इसके साथ ही सरकार यदि अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने तथा मरणोपरांत अंगदान करने को प्रेरित करने के लिए मुहिम चलाए तो इस से किसी सीमा तक मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।—विजय कुमार 


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