‘विषैली शराब’ से लगातार हो रहीं ‘मौतें’ और ‘उजड़ रहे परिवार’

punjabkesari.in Saturday, Aug 01, 2020 - 01:43 AM (IST)

आज समूचे देश में शराब और अन्य नशों का सेवन लगातार बढ़ रहा है तथा उसी अनुपात में अपराधों में भी बढ़ौतरी हो रही है। शराब और अन्य नशों के सेवन से तो मौतें हो ही रही हैं वहीं सस्ती और विषैली शराब का सेवन भी बड़ी संख्या में मौतों का कारण बन रहा है जिससे महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं और देश की युवा पीढ़ी को नशों का घुन खोखला कर रहा है। 

शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पराधीनता के दिनों में घोषणा की थी कि ‘‘यदि भारत का शासन आधे घंटे के लिए भी मेरे हाथ में आ जाए तो मैं शराब की सभी डिस्टलरियों और दुकानों को बिना मुआवजा दिए ही बंद कर दूंगा।’’ यही नहीं गांधी जी ने महिलाओं को भी स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ा तथा देश के कोने-कोने में महिलाओं ने छोटे दूध पीते बच्चों तक को गोद में लेकर शराबबंदी की मांग के साथ-साथ विदेशी कपड़ों की होली जलाई और अनेक महिलाओं ने 2-2, 3-3 वर्ष की कैद भी काटी थी। 

विषैली शराब से मौतों के मामले में प्रथम स्थान पर तमिलनाडु के बाद कर्नाटक, पंजाब, बंगाल और गुजरात का स्थान है। गत वर्ष फरवरी में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘‘सस्ती विषैली शराब के सेवन से 10 वर्षों में कम से कम 11,830 लोगों, अर्थात प्रतिदिन औसतन 3 लोगों की मौत हुई जिनमें लगभग 9000 पुरुष और शेष महिलाएं थीं।’’ विषैली शराब से मौतों की नवीनतम घटनाएं पंजाब के 3 जिलों अमृतसर, बटाला और तरनतारन से सामने आई हैं जिनमें 29 जुलाई से अब तक कथित रूप से 30 लोगों के मरने का समाचार है। 

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के अनुसार जालन्धर के डिवीजनल कमिश्नर को इन घटनाओं की मैजिस्ट्रेटी जांच करने तथा जहरीली शराब बनाने वालों पर छापे मारने के आदेश जारी किए गए हैं। घटना की जांच के दौरान पता लगाया जाएगा कि किन कारणों से इतनी मौतें हो गईं। जानकारी के अनुसार तरनतारन के मोहल्ला जस्सेवाला तथा अमृतसर के मुच्छल और तांगड़ा गांवों सहित अलग-अलग गांवों में कुल 23 व्यक्तियों तथा बटाला में हाथी गेट और आस-पास के क्षेत्रों में 7 व्यक्तियों की मौत हुई है जबकि एक दर्जन के लगभग लोग अस्पतालों में उपचाराधीन हैं और मृतकों की संख्या बढऩे की आशंका जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व विषैली शराब की एक अन्य घटना में 24 जुलाई को तरनतारन के रटौल गांव में भी 3 लोगों की जान चली गई थी। 

मुच्छल गांव वालों का आरोप है कि यहां अनेक घरों में अवैध शराब बनाई जाती है जिसके बारे में पुलिस को पूरी जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं होती। गांव की सरपंच राजविंद्र कौर के पति दलजीत सिंह के अनुसार, ‘‘गांव में अवैध शराब और नशीले पदार्थों का धंधा बड़ी समस्या बन चुका है।’’ मुच्छल की घटना के सम्बन्ध में पुलिस ने एक आरोपी महिला बलविंद्र कौर के विरुद्ध केस दर्ज किया है तथा थाना प्रभारी विक्रमजीत सिंह को निलंबित कर दिया गया है। 

जांच के परिणाम चाहे जो भी हों, इतना तो स्पष्ट है कि इन मौतों के लिए जहां सस्ती विषैली शराब बनाकर बेचने वाले मौत के व्यापारी जिम्मेदार हैं वहीं प्रशासन भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं जो अवैध शराब के धंधे पर रोक लगाने में विफल सिद्ध हो रहा है क्योंकि कई मामलों में इनमें स्वयं पुलिस विभाग के लोगों को भी संलिप्त पाया गया है। लोगों में नशे का चलन इस कदर बढ़ चुका है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अभी यह लेख लिखा ही जा रहा था कि आंध्र प्रदेश के प्रकासम जिले के एक गांव में शराब के विकल्प के रूप में सैनीटाइज़र पीने से 10 लोगों के मरने का समाचार आ गया। 

अव्वल तो देश में शराबबंदी होनी चाहिए परन्तु चूंकि उससे सरकार को राजस्व की भारी आय होती है, अत: इसकी संभावना नहीं है। लिहाज़ा आवश्यकता इस बात की है कि जहरीली शराब के व्यापारियों पर नकेल कसने के लिए कठोरतम दंड की व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही विषैली शराब से मौतें रोकने के लिए प्रशासन की जिम्मेदारी तय है और जहां कहीं भी जहरीली शराब पीने से मौतें हों, वहां के स्थानीय प्रशासन के विरुद्ध भी कार्रवाई की जानी चाहिए।—विजय कुमार 


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