नशे और हथियारों की तस्करी में शामिल हैं सुरक्षा बलों के चंद सदस्य

punjabkesari.in Thursday, Aug 12, 2021 - 04:30 AM (IST)

नशों तथा अवैध हथियारों के तस्करों के विरुद्ध सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियानों के बावजूद सुरक्षा बलों से जुड़े विभिन्न प्रदेशों के चंद कर्मचारियों की नशों तथा अवैध हथियारों के व्यापार के अलावा अन्य अपराधों में भी संलिप्तता अक्सर सामने आती रहती है : 

* 3 मार्च को राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) ने जम्मू-कश्मीर के हंंदवाड़ा से बी.एस.एफ. के एक ए.एस.आई. रमेश कुमार को लश्कर-ए-तोएबा तथा हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े सीमा पार के नशा तस्करों की कथित रूप से सहायता करने के आरोप में पकड़ा।
* 15 मार्च को उत्तरी 24 परगना (बंगाल) पुलिस ने हैरोइन सप्लाई करने वाले नशा तस्करों के गिरोह में शामिल 2 कांस्टेबलों को गिर तार किया।
* 1 जून को असम पुलिस के ‘बॉर्डर विंग’ में तैनात डी.एस.पी. जतिन चंद्र दास को नशा तस्करों के साथ स बन्धों के आरोप में पकड़ा। 

* 18 जून को उत्तराखंड के चंपावत जिले में तैनात 2 सिपाहियों सहित 4 लोगों को ऊधम सिंह नगर की पुलिस ने 8 किलो चरस के साथ पकड़ा।
* 9 जुलाई को बिहार के अरवल शहर में पुलिस ने बी.एस.एफ. के एक जवान को भारी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद ले जाने के आरोप में पकड़ा।
* 11 जुलाई को सांबा सैक्टर से 9 एम.एम. पिस्टल, 2 मैगजीन व 80 कारतूसों के साथ बी.एस.एफ. का जवान सुमित कुमार पकड़ा गया। फिर 13 जुलाई को उसके कब्जे से 32 लाख रुपए की नकदी बरामद की गई। जांच में पता चला कि आरोपी पाकिस्तान में बैठे तस्करों के स पर्क में था।
* 20 जुलाई को उपरोक्त केस के सिलसिले में ही सेना के एक जवान तथा उसके 3 साथियों को बरेली से गिरफ्तार किया गया। 

* 5 अगस्त को तरनतारन के निकट थाना कच्चा-पक्का की पुलिस ने 15 पंजाब, 7 आर.आर. बटालियन श्रीनगर में बतौर कांस्टेबल तैनात एक सैनिक तथा उसके साथी को 2900 नशीली गोलियों, एक पिस्तौल, 5 कारतूसों व एक स्कार्पियो गाड़ी सहित गिरफ्तार किया, जो अपनी गाड़ी पर पंजाब पुलिस का स्टीकर लगाकर नशीली गोलियां सप्लाई करता था।
* 6 अगस्त को लुधियाना के थाना डाबा में तैनात पंजाब पुलिस के थानेदार राजेंद्र सिंह को 2 सथियों दलजीत कौर बबली तथा पवनजीत सिंह सहित लगभग 25 लाख रुपए मूल्य के साढ़े 3 क्विंटल चूरा-पोस्त के साथ गिर तार किया गया। पिछले अढ़ाई वर्षों में लुधियाना कमिश्नरेट के अंतर्गत कार्यरत 9 पुलिस कर्मी नशे के धंधे में संलिप्त पाए गए हैं। 

* 10 अगस्त को बिजनौर में मालन नदी के निकट मुठभेड़ के बाद पुलिस ने सोना लूटने वाले गिरोह के सरगना एन.एस.जी. के बर्खास्त कमांडो रणजीत तथा एक अन्य बदमाश को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से 2 पिस्तौलों और एक मोटरसाइकिल के अलावा 303 ग्राम सोना बरामद किया। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि आमतौर पर हमारे अधिकारी नशे की तस्करी के लिए पाकिस्तान के सिर पर ठीकरा फोड़ देते हैं परंतु इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि सुरक्षा बलों से जुड़े भारतीय अधिकारी इसमें शमिल न हों तो पाकिस्तान से नशों की तस्करी हो ही नहीं सकती। यही कारण है कि जब कभी भी भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार के साथ यह मामला उठाया तो उन्होंने हमें हमारी कमजोरियां बता कर ठीकरा हमारे सिर पर ही फोड़ दिया। 

28 मार्च, 2010 को वाघा में पाक रेंजर्स के महानिदेशक मोह मद याकूब के समक्ष बी.एस.एफ. के एडीशनल डायरैक्टर पी.पी.एस. सिद्धू ने जब यह मामला उठाया तो उन्होंने हमारे मुंह पर ‘तमाचा’ जड़ते हुए कहा था कि :
‘‘पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ का कोई प्रयास नहीं हुआ है। भारत की ओर से सीमा पर कांटेदार बाड़ है। जगह-जगह गेट बनाए गए हैं तथा तस्करों पर नजर रखने के लिए लड लाइट्स लगी हैं। भारतीय सीमा पर चौकसी व गश्त की व्यवस्था है, फिर भी यदि सीमा पर तस्करी होती है तो इस बारे भारतीय अधिकारियों को ही सोचने की जरूरत है।’’ 

उपरोक्त घटनाओं से स्पष्ट है कि हमारे सुरक्षा बलों के भीतर भी कुछ काली भेड़ें मौजूद हैं जो यह दर्शाती हैं कि सेना के साथ-साथ पुलिस बलों की ज्यादा निगरानी, चौकसी और गहनता पूर्वक तलाशी का सिलसिला बढ़ाने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है तभी नशों की लानत से मुक्ति पाई जा सकेगी क्योंकि इन्हें कुछ उच्चाधिकारियों का समर्थन भी प्राप्त हो सकता है।—विजय कुमार  
 


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