‘चंद महिलाओं द्वारा’ ‘शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक उदाहरण’

punjabkesari.in Friday, Apr 16, 2021 - 02:35 AM (IST)

आज प्रतिकूल हालात में जीने के बावजूद अनेक महिलाएं देश और समाज के प्रति अपने सरोकार की अभिव्यक्ति करते हुए समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने और देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान डाल रही हैं, जिसके ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले के काजा गांव की युवा महिला प्रधान सोनम डोलमा के नेतृत्व में गांव की पंचायत ने जुआ, खुले में शौच, इधर-उधर कूड़ा फैंक कर गंदगी फैलाने और सार्वजनिक स्थलों पर मदिरापान आदि बुराइयों को समाप्त करने में सफलता पाई है। सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव के अनुसार पंचायत के अधीन कहीं भी जुआ और ताश नहीं खेली जाएगी। ऐसा करते पकड़े जाने पर बालिग को 40,000 रुपए और नाबालिग को 5000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। खुले में कूड़ा फैंकने वाले को 1000 रुपए जुर्माना करने के अलावा उसी व्यक्ति से कूड़ा उठवाने तथा खुले में शौच करने पर 10,000 रुपए जुर्माना तय किया गया है। गांव में मौजूद शराब के दो ठेके बाहर निकालने के लिए भी पंचायत ने संबंधित अधिकारियों को लिखा है।

* मध्य प्रदेश में पिथौरागढ़ के बागेश्वर जिले के जैतोली गांव की महिलाओं ने भी अपनी ग्राम प्रधान मालती देवी के नेतृत्व में 3 वर्ष संघर्ष करके अपने गांव को शराब मुक्त करने में सफलता प्राप्त की है और यहां शराब बेचने पर 10,000 रुपए तथा पीने पर 5000 रुपए जुर्माने का नियम लागू कर दिया है। यह फैसला भी किया गया कि किसी व्यक्ति के पास शराब की खाली बोतल भी दिखाई दी तो उसे भी 500 रुपए जुर्माना किया जाएगा। महिलाओं के कड़े स्टैंड के दम पर आज यह गांव शराब की लानत से मुक्त हो चुका है। गांव की पंचायत ने जुर्माने के रूप में वसूल की गई रकम महिलाओं को विभिन्न हस्तकलाओं का प्रशिक्षण देने पर खर्च करने का निर्णय लिया है। 

* सीमाओं की सुरक्षा के मामले में भी महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं। हाल ही में भारतीय सेना की ‘असम राइफल्स’ में कायम किए गए ‘राइफल वुमन’ नामक अद्र्धसैनिक समूह में 200 महिलाएं शामिल की गई हैं जिन्हें म्यांमार के साथ लगती सीमा की निगरानी करने के साथ-साथ देश के उत्तर-पूर्वी भाग में हिंसा और विध्वंसक गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। महिलाओं के इस अद्र्धसैनिक बल की सहायता से अब सेना को सीमांत क्षेत्रों में महिला यात्रियों को ले जा रहे वाहनों की तलाशी लेने और नशीली दवाओं, नशीले पदार्थों तथा अवैध हथियारों की तस्करी आदि का पता लगाने में काफी आसानी हो गई है।  ये महिलाएं भारत-म्यांमार सीमा पर गश्त करती हैं, जहां चीन की सहायता से चलने वालेे गिरोहों द्वारा नशीले पदार्थों तथा अवैध हथियारों की तस्करी करवाई जा रही है। 

* नारी शक्ति का एक ताजा उदाहरण 25 मार्च को दिल्ली में ईनामी गैंगस्टर रोहित चौधरी और उसके साथियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ में शामिल इंस्पैक्टर प्रियंका शर्मा ने पेश किया जिन्हें मुकाबले के दौरान अपराधियों द्वारा चलाई गई एक गोली भी लगी। इस मुठभेड़ में 2 गैंगस्टर मारे गए थे।
* हिमाचल प्रदेश की पहली महिला बस चालक सीमा ठाकुर ने 31 मार्च को पहली बार अंतर्राज्यीय शिमला-चंडीगढ़ रूट पर हिमाचल परिवहन की बस चला कर इतिहास रचा। सीमा ने अंग्रेजी में एम.ए. करने के बावजूद ड्राईवर की नौकरी को पेशे के रूप में चुना। 

* नारी शक्ति की एक मिसाल 7 अप्रैल को बलाचौर में बैंक से पंद्रह हजार रुपए पैंशन निकलवा कर लौट रही 70 वर्षीय बुजुर्ग फूलन कुमारी ने पेश की। एक लुटेरे ने थैला छीनने के लिए उन पर हमला कर दिया परंतु इन्होंने थैला नहीं छोड़ा और लुटेरे का डट कर मुकाबला किया। अंतत: लोगों को आते देख लुटेरा थैला छोड़ कर भाग गया। नारी शक्ति के उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि आज के प्रतिकूल हालात के बीच यदि ये महिलाएं अपने दम पर और परिवार तथा समाज के सहयोग से सफलता की मंजिलें तय कर सकती हैं तो अन्य महिलाएं भी ऐसा कर सकती हैं। आवश्यकता है बस अपने भीतर की ‘दुर्गा’ को जगाने और डट जाने की तथा बकौल शायर यह महसूस कर लेने की कि : 

मैं हूं झांसी की शमशीर, मैं हूं अर्जुन का तीर,
मैं सीता का वरदान, दे सकती हूं बलिदान,
मैं भीम की हूं झंकार, लडऩे-मरने को तैयार, 
मुझे समझो न कमजोर लोगो, समझो न कमजोर।-विजय कुमार  
                                                          


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