‘रिहायशी इलाकों में मौत के कारखाने’‘अधिकारियों को नजर नहीं आते’

punjabkesari.in Tuesday, Nov 10, 2020 - 02:21 AM (IST)

पिछले कुछ वर्षों से देश को वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस बार दीपावली पर पटाखों से निकलने वाले धुएं से यह प्रदूषण कई गुणा बढ़ जाने से स्वास्थ्य के लिए खतरा और भी बढ़ गया है। इसीलिए ‘नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल’ ने 9 से 30 नवम्बर की आधी रात तक एन.सी.आर. में पटाखे चलाने और उनकी बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है तथा शेष देश में रात 8 से 10 बजे तक ही ‘ग्रीन पटाखे’ अनार, फुलझड़ी चलाने, जिनसेे कोई धमाका नहीं होता तथा धूप, अगरबत्ती करने की अनुमति दी है ताकि लोग सुविधापूर्वक पूजा कर सकें। 

‘मुम्बई म्यूनीसिपल कार्पोरेशन’ ने 30 नवम्बर तक अपनी सीमा में निजी या सार्वजनिक स्थलों पर पटाखों पर रोक लगाते हुए दीवाली की रात 8 से 10 बजे तक ही सोसायटियों में सिर्फ फुलझडिय़ां व अनार चलाने की अनुमति दी है। इस बार देश में पहले लॉकडाऊन और फिर विभिन्न राज्यों में ‘गंभीर वायु गुणवत्ता’ वाले क्षेत्रों में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा देने से भारत में पटाखे बनाने के सबसे बड़े केंद्र शिवकाशी के पटाखा उद्योग के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया जिसे भारत में ‘पटाखा निर्माण का हब’ कहा जाता है। 

यहां पटाखा बनाने वाले 1000 के लगभग कारखानों का करोड़ों रुपए का कारोबार है। देश में पटाखों की कुल खपत का 80 प्रतिशत यहीं तैयार होता है। यहां बने पटाखे दूसरे देशों को भी निर्यात किए जाते हैं। कम से कम 2 लाख लोगों को यहां के पटाखा उद्योग में प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है। पहले ही ‘कोरोना’ के चलते मंदी की मार झेल रहे पटाखा निर्माताओं और व्यापारियों को इस आंशिक छूट से कुछ राहत मिल सकती है। 

इसी बीच पटाखों की बोरियों में शराब और करंसी की तस्करी किए जाने का समाचार भी मिला है। गत 8 नवम्बर को बिहार के रोहतास जिले में पटाखों की बोरियों और खिलौनों में छुपा कर लाई जा रही 20 पेटी शराब बरामद की गई। पटाखों की बोरियों में भेजी गई अवैध शराब पीने से कुछ लोगों के मारे जाने की भी चर्चा है। यह भी पता चला है कि बिहार में मतदाताओं में बांटने के लिए पटाखों की बोरियों में नकली करंसी भी छुपा कर भेजी जा रही है। इस तरह के माहौल के बीच सुरक्षा मापदंडों को धत्ता बताते हुए अवैध पटाखा निर्माता और जमाखोर भी इस धंधे में कूद पड़े हैं। इससे होने वाली दुर्घटनाओं में जानमाल की भारी तबाही हो रही है जिसके पिछले मात्र सवा महीने के 14 उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :

* 28 सितम्बर को प. बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के ‘चम्पाहाटी’ में एक अवैध पटाखा फैक्टरी में विस्फोट से पूरी इमारत राख का ढेर बन गई। 
* 18 अक्तूबर को आगरा की घनी आबादी वाली बस्ती ‘आजमपाड़ा’ में अवैध पटाखा गोदाम में 10 मिनट तक भीषण सिलसिलेवार धमाकों से 3 लोगों के चीथड़े उड़ गए तथा आस-पास के 20 मकानों में दरारें आ गईं।
* 19 अक्तूबर को बहराइच में एक व्यक्ति को अवैध रूप से पटाखे बनाने के लिए 21 किलो बारूद एवं अन्य कैमिकलों, विभिन्न आकार के छोटे-बड़े 1500 कच्चे बमों तथा 50 किलो दूसरी सामग्री के साथ पकड़ा गया।
* 23 अक्तूबर को तमिलनाडु के ‘मदुरै’ में एक निजी पटाखा फैक्टरी में विस्फोट से कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई। 

* 29 अक्तूबर को मेरठ के ‘सरधना’ थाना क्षेत्र में एक अवैध पटाखा फैक्टरी में विस्फोट से 2 व्यक्तियों की मृत्यु तथा दर्जनों घायल हो गए। 
* 30 अक्तूबर को सहारनपुर के ‘बिहारीगढ़’ में अवैध पटाखा फैक्टरी में विस्फोट से एक महिला की मृत्यु व 10 मजदूर गंभीर रूप से झुलस गए। 
* 4 नवम्बर को कुशीनगर में ‘कप्तानगंज’ के रिहायशी इलाके में पटाखों के अवैध गोदाम में हुए विस्फोट के चलते आग लगने से 3 व्यक्ति जिंदा जल गए। 
* 4 नवम्बर को मध्यप्रदेश के ‘मुरैना’ के ‘जिगानी’ गांव में एक मकान में  रहस्यमय विस्फोट से पति-पत्नी और उनके दुधमुंहे बच्चे की मृत्यु हो गई। 

* 4 नवम्बर को गोरखपुर में एक अवैध पटाखा फैक्टरी के गोदाम में विस्फोट से 4 लोगों की मृत्यु तथा कम से कम 12 लोग घायल हुए। 
* 4 नवम्बर को मेरठ के जिसौरा गांव में अवैध पटाखा फैक्टरी से बड़ी मात्रा में अधबनी फुलझडिय़ां, देसी बम, सुतली बम, पटाखे और पटाखे बनाने में प्रयुक्त की जाने वाली सामग्री जब्त की गई।
* इसी दिन मेरठ की ‘मवाना’ पुलिस ने एक मकान पर छापा मार कर अवैध पटाखों का बड़ा भंडार जब्त किया। 
* 5 नवम्बर को जालंधर में प्रताप बाग के एक गोदाम में डंप किए लाखों रुपए के पटाखे जब्त करके एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया।

* 6 नवम्बर को वाराणसी के घनी आबादी वाले इलाके ‘दालमंडी’ में 12 क्विंटल अवैध पटाखे जब्त किए गए। यहां कुछ दिनों में मकानों से 50 किं्वटल अवैध रूप से रखे पटाखे जब्त किए गए।
* 7 नवम्बर को राजपुरा में अवैध रूप से पटाखे बना रहे एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। 

स्पष्ट है कि उक्त घटनाओं से अवैध पटाखों का निर्माण एवं भंडारण करने वाले लोगों ने अतीत की घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा और लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं।
इस मामले में संबंधित अधिकारी भी समान रूप से जिम्मेदार हैं जिन्हें अपने क्षेत्र में और यहां तक कि प्रतिबंध के बावजूद रिहायशी इलाकों में चल रहे इन ‘मौत के कारखानों’ का पता ही नहीं चलता।
अत: इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों तथा संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई करके उन्हें नौकरी से निकाला जाए ताकि दूसरों को भी सबक मिले और वे इस तरह की लापरवाही करने से बाज आएं। 
इस बीच हमारा यह भी सुझाव है कि जहां कहीं भी स्कूल खोलने का राज्य सरकारों का प्रस्ताव है वहां स्कूल भाईदूज (16 नवम्बर) के कुछ दिन पश्चात ही खोले जाएं ताकि बच्चों की उपस्थिति यकीनी बनाई जा सके।—विजय कुमार 


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