तख्ता पलटा ‘बंगलादेश पर सेना का कब्जा’‘शेख हसीना त्यागपत्र देकर भारत पहुंची’
punjabkesari.in Tuesday, Aug 06, 2024 - 05:21 AM (IST)
गत तीन महीनों से बंगलादेश में छात्र विवादास्पद आरक्षण प्रणाली समाप्त करने के लिए ‘सरकारी नौकरियों में भेदभाव विरोधी’ आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन इस वर्ष जून में शुरू हुआ था। गत मास इसका नेतृत्व कर रहे 6 लोगों को डिटैक्टिव ब्रांच द्वारा उनके घरों और अस्पतालों से उठवा कर उन्हें बंधक बनाकर उनसे आंदोलन वापस लेने के लिए वीडियो बनवा कर देश के गृह मंत्री ने दावा किया कि इन्होंने अपनी मर्जी से आंदोलन समाप्त करने की बात कही है परंतु सच्चाई सामने आने पर आंदोलनकारियों का गुस्सा भड़क उठा।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आंदोलनकारियों को आतंकवादी बता कर उन्हें कुचल देने के आह्वान से आंदोलनकारी और आक्रोषित हो गए। उन्होंंने 4 अगस्त को आंदोलन में मारे गए छात्रों के शवों के साथ ढाका में प्रदर्शन किया तथा सुप्रीमकोर्ट के 4 जजों की कारों पर भी हमला और पथराव किया। ढाका के 2 अखबारों के कार्यालयों पर हमला करके भारी तोड़-फोड़ की गई। 4 अगस्त को छात्र आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा बन चुके ढाका विश्वविद्यालय के छात्र नाहीद इस्लाम ने प्रदर्शनकारियों से सरकार गिरने तक प्रदर्शन जारी रखने की अपील करते हुए शेख हसीना की पार्टी ‘अवामी लीग’ को आतंकवादी बताया और कहा,‘‘हमने आज लाठी उठाई है, यदि लाठी काम नहीं आई तो हम हथियार उठाने के लिए भी तैयार हैं।’’
उल्लेखनीय है कि यह आंदोलन शुरू होने के बाद से अब तक देश में पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच ङ्क्षहसक झड़पों में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। ङ्क्षहसा पर काबू पाने के लिए पूरे देश में कफ्र्यू लगा कर 3 दिनों की छुट्टियां कर दीं तथा रेलगाडिय़ां रोक दी गई हैं। राजधानी ढाका में हालात बेकाबू हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों द्वारा ‘लांग मार्च टू ढाका’ के आह्वान पर 5 अगस्त को लगभग 4 लाख लोग कफ्र्यू का उल्लंघन करके सड़कों पर उतर आए और जगह-जगह आगजनी, हिंसा तथा तोड़-फोड़ शुरू कर दी। इस दौरान झड़पों में कई लोगों की मौत भी हो गई। ढाका में प्रदर्शनकारियों द्वारा लूटपाट करने के अलावा प्रधानमंत्री शेख हसीना तथा उनकी पार्टी ‘अवामी लीग’ के कार्यालयों को आग लगा दी गई। शेख हसीना के पिता तथा बंगलादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तथा उनसे जुड़ी कई चीजें भी तोड़ दी गईं। इस तरह के हालात के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना त्यागपत्र देकर अपनी छोटी बहन रेहाना के साथ 5 अगस्त को देश छोड़ कर सेना के हैलीकाप्टर द्वारा भारत के अगरतला होते हुए देर शाम दिल्ली पहुंच गईं।
इस बीच देश की सेना ने शासन संभाल लिया है। सेनाध्यक्ष वकार-उज़-जमान ने देश को संबोधित करते हुए शेख हसीना के त्यागपत्र और सेना द्वारा सब दलों के परामर्श से अंतरिम सरकार गठित करने की घोषणा करते हुए कहा है कि देश में जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। हालांकि ऐसा होता फिलहाल प्रतीत नहीं होता। इसी वर्ष जनवरी में शेख हसीना चौथी बार बंगलादेश की प्रधानमंत्री बनी थीं, परंतु इन चुनावों का पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी ‘बंगलादेश नैशनलिस्ट पार्टी’ (बी.एन.पी.) ने बहिष्कार किया था और यह तभी से देश में निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र की मांग करती आ रही थी। शेख हसीना को बी.एन.पी. द्वारा चलाए जा रहे ‘इंडिया आऊट’ अभियान का सामना भी करना पड़ रहा था।
कुल मिलाकर अपने अस्तित्व में आने के समय से ही राजनीतिक उथल -पुथल का शिकार रहा बंगलादेश इस समय पिछले 53 वर्षों में अस्तित्व के सबसे बड़े संकट में है। बंगलादेशी-अमरीकी राजनीतिक विश्लेषक शफकत रबी के अनुसार, ‘‘शेख हसीना से वैसी ही गलती हुई है जैसी यहिया खान ने मार्च 1971 में ढाका में गोली चलवाकर की थी। लगता है कि इस बार भी वैसा ही होने जा रहा है।’’इस बीच बी.एस.एफ. ने भारत-बंगलादेश सीमा के 4096 किलोमीटर क्षेत्र में अपने सभी यूनिटों को हाई अलर्ट पर कर दिया है। इस समय भारत राजनीतिक दृष्टिï से अपने अनेक विरोधी पड़ोसी देशों नेपाल, पाकिस्तान, मालदीव, बर्मा, चीन आदि से घिरा हुआ है। बंगलादेश की शेख हसीना की सरकार के साथ हमारे सम्बन्ध सौहार्दपूर्ण थे परंतु अब वहां भी लोकतंत्र की समाप्ति के बाद भारत सरकार को अपनी सुरक्षा यकीनी बनाने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रखने और सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने की तुरंत जरूरत है।—विजय कुमार