कोरोना से बचाने के लिए बच्चों के शिक्षण संस्थान बंद रखना ही उचित

punjabkesari.in Saturday, Nov 21, 2020 - 04:04 AM (IST)

‘कोरोना महामारी’ के कारण लगाए गए लॉकडाऊन तथा अन्य प्रतिबंधों में ढील के बाद अनेक राज्य सरकारों ने महीनों से बंद पड़े शिक्षण संस्थान कुछ शर्तों के साथ खोले थे परंतु इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में अध्यापकों और छात्रों के ‘कोरोना’ से संक्रमित होने के समाचार मिलने लगे तो संबंधित राज्यों ने इन्हें फिर से बंद कर दिया। 

पंजाब में 19 अक्तूबर को नौवीं कक्षा से ऊपर के स्कूल खुलने के बाद 128 अध्यापक और 9 छात्र पाजिटिव पाए जाने पर बच्चों के मां-बाप उन्हें स्कूल जाने नहीं दे रहे। हरियाणा में 333 छात्रों व 38 अध्यापकों के पाजिटिव आने पर हरियाणा सरकार ने भी 30 नवम्बर तक स्कूल व कालेज बंद रखने का फैसला किया है। हिमाचल में 2 नवम्बर को स्कूल खोले जाने के बाद 66 से अधिक स्कूलों के अनेक शिक्षक, गैर शिक्षक और छात्र-छात्राएं संक्रमित पाए जाने के बाद शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए हैं जिन्हें दोबारा खोलने का फैसला 23 नवम्बर को मंत्रिमंडल की बैठक में किया जाएगा। 

इसी प्रकार गुजरात में 23 नवम्बर को स्कूल व कालेज खोलने का फैसला वापस ले लिया गया है। मुम्बई में पहले 23 नवम्बर से 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू होने वाली थीं परंतु अब 31 दिसम्बर तक वहां भी स्कूल-कालेज बंद रखने का आदेश जारी कर दिया गया है। ओडिशा और तमिलनाडु में भी क्रमश: 31 दिसम्बर और 2 दिसम्बर तक शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए हैं। 

उत्तराखंड में दर्जनों स्कूलों के अध्यापकों की कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आने पर उन्हें दोबारा बंद किया गया। मिजोरम, आंध्र प्रदेश आदि में भी बड़ी संख्या में अध्यापक और छात्र पाजिटिव पाए जाने पर वहां भी शिक्षण संस्थान बंद किए जा रहे हैं जबकि कर्नाटक में भी स्कूल खोलने पर रोक और अन्य राज्यों में भी इन्हें बंद रखने का निर्णय पूर्णत: उचित है। अत: जिन राज्यों में शिक्षण संस्थान खुलने वाले हैं या खुले हैं उन्हें तुरन्त बंद करके बच्चों की सुरक्षा यकीनी बनाई जाए। चूंकि बच्चे ही किसी देश का सबसे मूल्यवान धन होते हैं अत: हमें अपने लिए ही नहीं बल्कि देश का भविष्य कहलाने वाले अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए कठोरतापूर्वक बचावात्मक उपायों का स्वयं पालन करना और  बच्चों से भी पालन अनिवार्य रूप से करवाना चाहिए जो अत्यंत आवश्यक है।—विजय कुमार 


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