भाजपा की जद (यू) और शिव सेना से चल रही ‘कोल्ड वार’

punjabkesari.in Friday, Sep 13, 2019 - 01:25 AM (IST)

केंद्र तथा देश के अधिकांश राज्यों में बड़ी पार्टी बन कर उभरी भाजपा का अपने कुछ गठबंधन सहयोगियों से रिश्ता सामान्य नहीं चल रहा और बिहार में जद (यू) तथा महाराष्ट्र में शिव सेना के साथ इसके रिश्तों में अंदर ही अंदर खटास की गंध आ रही है। बिहार में भाजपा और जद (यू) में तनाव का पहला संकेत लोकसभा चुनावों के बाद नवगठित केंद्र सरकार में कम प्रतिनिधित्व दिए जाने पर जद (यू) द्वारा सरकार में शामिल होने से इंकार करने पर मिला और फिर नीतीश ने भाजपा शासित झारखंड में विधानसभा चुनाव अकेले लडऩे की घोषणा करके दोनों दलों में कटुता का पुन: संकेत दिया। 

और अब बिहार में, जहां जल्दी ही चुनाव होने वाले हैं, भाजपा ने ‘अगला मुख्यमंत्री हमारी पार्टी का’ नारा लगा कर राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है। भाजपा के एम.एल.सी. संजय पासवान के अनुसार, ‘‘नरेंद्र मोदी के नाम पर ही राजग के सभी दलों को वोट मिले थे। हम लगातार 3 कार्यकाल तक नीतीश कुमार के साथ खड़े रहे। अब समय  आ गया है कि बदले में नीतीश कुमार भाजपा को एक मौका देने के लिए जगह खाली कर दें।’’ हालांकि पासवान के उक्त बयान पर उठा तूफान शांत करने के लिए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी नीतीश के समर्थन में आ गए हैं और उन्होंने कहा है कि बिहार में नीतीश ही राजग के कप्तान रहेंगे। परंतु प्रदेश भाजपा के अन्य नेता ऐसा नहीं मानते, लिहाजा भविष्य में किसी राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। 

दूसरी ओर चुनावी राज्य महाराष्ट्र में हालांकि दोनों ही दलों, भाजपा और शिव सेना के नेता इकट्ठे चुनाव लडऩे के दावे कर रहे हैं, परंतु अंदरखाने दोनों ही दलों ने अलग-अलग चुनाव लडऩे की तैयारियां शुरू कर रखी हैं। शिव सेना ने सभी 288 सीटों के लिए टिकट अभिलाषियों को शॉर्ट लिस्ट करके अपने प्लान बी के अंतर्गत उनके इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया है। शिव सेना नेता संजय राऊत के अनुसार, ‘‘पिछली बार भाजपा ने हमें चौंका दिया और हमें अनेक सीटों के लिए उम्मीदवार ढूंढने में परेशानी हुई, अत: इस बार हम किसी भी स्थिति का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं।’’ 

भाजपा जो पहले महाराष्ट्र में छोटे भाई की भूमिका में थी, अब केंद्र के साथ-साथ यहां भी बड़े भाई की भूमिका में आ चुकी है तथा इसके नेताओं ने उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट करने का काम भी शुरू कर दिया है। जो भी हो, जद (यू) और शिव सेना ये दोनों ही भाजपा के सर्वाधिक पुराने और विश्वस्त गठबंधन सहयोगियों में हैं लिहाजा इन्हें ‘डिच’ करना भाजपा के लिए किसी भी स्थिति में उचित नहीं होगा और यदि ऐसा होता है तो इससे तीनों दलों को नुक्सान होने की संभावना है।—विजय कुमार 


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