पाक राजनीतिक अस्थिरता से गृह युद्ध के निकट महंगाई बढ़ने, विदेशी मुद्रा घटने से अर्थव्यवस्था चौपट

punjabkesari.in Saturday, May 28, 2022 - 04:34 AM (IST)

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों अपने ‘आजादी मार्च’ के लिए चर्चा में हैं जिसके परिणामस्वरूप देश में गृह युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। इमरान खान द्वारा 25 मई को पेशावर से इस्लामाबाद तक निकाले गए ‘लांग मार्च’ के दौरान जबरदस्त हिंसा तथा आगजनी हुई और प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस को उन पर आंसू गैस के गोले छोडऩे पड़े। पुलिस ने इस सिलसिले में 150 लोगों के विरुद्ध मामले दर्ज किए हैं जिनमें से 45 को इस्लामाबाद के जिन्ना एवेन्यू में मैट्रो स्टेशनों को जलाने, एक्सप्रैस चौक पर एक सरकारी वाहन को नुक्सान पहुंचाने और डी चौक में ‘जिओ न्यूज’ और  ‘जंग’ कार्यालय के शीशे तोडऩे, जिसके दौरान अनेक कर्मचारी घायल हो गए, के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 

पहले इमरान ने इसे अनिश्चितकालीन धरना बताया था परंतु बाद में 26 मई को वह सरकार को चेतावनी देकर अपने घर ‘बनी गाला’ लौट गए हैं कि सेना और अमरीका के जरिए बनाई गई नई सरकार को सत्ता से हटाने और नए चुनावों की घोषणा तक शांत नहीं बैठेंगे और यदि सरकार ने इस दौरान चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की तो वह फिर पूरे देश में रैली करते हुए इस्लामाबाद पहुंचेंगे। दूसरी ओर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी 26 मई को कह दिया है कि, ‘‘इमरान खान संसद को धमकाना बंद करें। वह 6 दिन में चुनाव की तारीख की घोषणा करने की मांग नहीं कर रहे बल्कि ब्लैकमेल कर रहे हैं।’’‘‘उन्हें यह सब अपने घर में करना चाहिए। उनकी जिद या मर्जी के अनुसार चुनाव नहीं होंगे। इनका फैसला नैशनल असैंबली ही करेगी।’’ 

उल्लेखनीय है कि 11 अप्रैल को देश के 23वें प्रधानमंत्री के रूप में शहबाज शरीफ ने शपथ तो ग्रहण कर ली परंतु इस समय पाकिस्तान जिन हालात से गुजर रहा है और शहबाज शरीफ को इमरान खान आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं की जो विरासत सौंप कर गए हैं, उनसे स्पष्ट है कि शहबाज शरीफ का आगे का रास्ता आसान नहीं है। शहबाज शरीफ के आने के बाद से पाकिस्तान की राजनीति में एक दिन भी शांतिपूर्वक नहीं गुजरा है। पाकिस्तानी पत्रकार मरियाना बाबर के अनुसार : 

‘‘शहबाज सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों में इमरान खान एक ऐसे राजनीतिज्ञ की तरह व्यवहार कर रहे हैं जिसे कुछ लोग ‘पागल’ कहते हैं। इमरान ने शांत बैठ कर यह सोचने की कोशिश नहीं की कि अपने 3 वर्षों के शासन के दौरान उनकी सरकार ने कौन-कौन सी गलतियां कीं।’’ ‘‘अपने शासनकाल के दौरान इमरान खान ने चीन के सिवाय कूटनीतिक और आर्थिक रूप से सहायता देने वाले अपने करीबी देशों के साथ दशकों पुराने संबंध समाप्त कर दिए।’’ विदेशी मुद्रा की भारी कमी के चलते विदेशी ऋण चुकाने में नाकाम रहने के कारण पाकिस्तान के डिफाल्टर हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। विदेशी बैंकों ने तेल आयात करने के लिए पाकिस्तान को ऋण देने से इंकार कर दिया है और वे नया ऋण देने से पहले पिछला भुगतान मांग रहे हैं। 

मुद्रा के अवमूल्यन और आकाश छूती महंगाई का आंकड़ा गत वर्ष के 9.5 प्रतिशत के मुकाबले इस वर्ष अप्रैल में 13.4 प्रतिशत तक पहुंच जाने से सभी प्रकार की खाद्य वस्तुओं से लेकर पैट्रोल-डीजल तक के भाव बढ़ जाने के कारण लोगों का घरेलू बजट अस्त-व्यस्त हो गया है। इमरान ने देश की अर्थव्यवस्था नष्ट करने की जो भूल की है उसके दृष्टिïगत लोग कह रहे हैं कि कहीं पाकिस्तान श्रीलंका के रास्ते पर ही न चल पड़े। इस बीच पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को कुछ मजबूती देने के लिए सऊदी सरकार ने इसके केंद्रीय बैंक में 3 अरब डालर जमा करवाए हैं वहीं पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक बड़े सहायता पैकेज को अंतिम रूप देने दोहा गए हैं। 

इसके अलावा शहबाज सरकार के रास्ते में एक रोड़ा उनकी भतीजी मरियम नवाज (नवाज शरीफ की बेटी) ने भी अटका रखा है। शहबाज सरकार में शामिल दल तथा उनकी पार्टी पी.एम.एल. (एन) भी उनसे जल्द चुनाव कराने की मांग कर रही है जिसमें मरियम शामिल है। जहां शहबाज शरीफ का कहना है कि इमरान खान के विरोध मार्च के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार को 149 मिलियन रुपए खर्च करने पड़े वहीं इमरान खान का कहना है कि : 

‘‘हम अपने फैसले से किसी भी हालत में पीछे हटने वाले नहीं हैं और शहबाज शरीफ की सरकार यदि 6 दिनों में चुनावों की घोषणा नहीं कर देती तो हम इस बार लाठी-डंडों से लैस होकर सभी पाकिस्तानियों को लेकर दोबारा राजधानी में वापस आएंगे। हम यहां जेहाद के लिए हैं।’’इमरान खान के उक्त बयान से लगता है कि वह अपनी बात से पीछे नहीं हटेंगे जिससे पाकिस्तान गृहयुद्ध की ओर बढ़ सकता है।—विजय कुमार 


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