सी.ए.ए. के समर्थन और विरोध में दंगों ने दिल्ली पुलिस की लापरवाही उजागर की

punjabkesari.in Wednesday, Feb 26, 2020 - 03:31 AM (IST)

अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत यात्रा पर दिल्ली पहुंचने से तुरंत पहले वहां शुरू हुए दंगों में 13 लोगों की मृत्यु और दर्जनों लोगों के घायल होने के बाद मन में यह प्रश्र उठना स्वाभाविक है कि क्या ये दंगे नागरिकता संशोधन कानून (सी.ए.ए.) के विरोध या समर्थन का परिणाम हैं या इनके पीछे कोई अन्य कारण है! उल्लेखनीय है कि 11 दिसम्बर, 2019 को सी.ए.ए. पारित होने के तुरंत बाद देश में इसके समर्थन और विरोध में शुरू हुआ धरनों और प्रदर्शनों का सिलसिला अभी तक लगातार जारी है। 

23 फरवरी को सी.ए.ए. के समर्थन में जाफराबाद (पूर्वी दिल्ली) में भाजपा नेता कपिल मिश्रा के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कथित रूप से सी.ए.ए. विरोधियों द्वारा किए गए पथराव के जवाब में कपिल मिश्रा के समर्थकों ने भी पथराव शुरू कर दिया जो लगभग आधे घंटे तक चला। 

पुलिस मूकदर्शक बनी रही और हालात बेकाबू होने के बाद उसने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे परन्तु हालात काबू में नहीं आए जिस कारण दिल्ली मैट्रो द्वारा अपने 2 स्टेशन बंद करने के अलावा सीलमपुर, मौजपुर और यमुना विहार को जोडऩे वाली सड़क को बंद कर दिया गया। इस अवसर पर भाषण करते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि हम दिल्ली को दूसरा शाहीन बाग नहीं बनने देंगे। बंदूकों, तलवारों, पत्थरों, लाठियों, लोहे की छड़ों और पैट्रोल बमों से लैस सी.ए.ए. के विरोधियों और समर्थकों में शुरू हुआ टकराव 24 और 25 फरवरी को भी जारी रहने के दौरान एक हैड कांस्टेबल रतन लाल सहित 13 लोगों की मृत्यु और दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं। 

इस हिंसा को लेकर 24 फरवरी को गृह मंत्री अमित शाह की अधिकारियों के साथ बैठक के बाद 25 फरवरी को उनसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा अन्य नेताओं ने भेंट की जिसमें अमित शाह ने कहा कि सब लोग दिल्ली में शांति व्यवस्था बनाने के लिए प्रयास करेंगे और पुलिस की कमी नहीं आने दी जाएगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा के इस आरोप के जवाब में कि जिस तरह से भड़काऊ भाषण आए हैं जब तक इन पर अंकुश नहीं लगाया जाएगा तब तक हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सकता, जिस पर ने भड़काऊ भाषण देकर हालात बिगाडऩे वालों के विरुद्ध भी अमित शाह ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। 

अब जबकि यह भी स्पष्ट हो गया है कि इन दुखद घटनाओं के पीछे विभिन्न नेताओं के भड़काऊ भाषणों का भी कुछ योगदान अवश्य है, इनके लिए प्रत्यक्षत: जिम्मेदार तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई करने के साथ-साथ भड़काऊ भाषण देने वालों के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई करने की भी जरूरत है जिस बारे अमित शाह ने ऐसा करने का आश्वासन भी दिया है।—विजय कुमार


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