नकली जानलेवा दवाओं का धंधा हिमाचल में जोरों पर

punjabkesari.in Thursday, Dec 08, 2022 - 04:12 AM (IST)

भारत को विश्व का तीसरा सबसे बड़ा दवा निर्माता होने के कारण ‘विश्व की फार्मेसी’ भी कहा जाता है। ‘इंडियन फार्मास्यूटिकल अलायंस’ के अनुसार अमरीका की हर तीसरी व यूरोप की हर चौथी टैबलेट भारत में बनी होती है। यहां विश्व की 60 प्रतिशत वैक्सीन और 20 प्रतिशत जैनेरिक दवाएं बनती हैं परंतु इनमें मिलावट का धंधा तेजी पकड़ रहा है। यहां तक कि प्राणरक्षक दवाएं भी मिलावटी और नकली बनने लगी हैं। 

हिमाचल में एशिया के सबसे बड़े फार्मास्यूटिकल हब ‘बी.बी.एन.’ के बद्दी में निर्मित कुछ दवाओं की गुणवत्ता पर प्रश्रचिन्ह लगे हैं। बी.बी.एन. में प्रतिवर्ष 45000 करोड़ रुपयों की दवाएं तैयार की जाती हैं तथा बद्दी में देश की 30 प्रतिशत दवाएं बनती हैं परंतु यहां नकली दवाओं का निर्माण विश्व में हिमाचल की साख को बट्टा लगा रहा है। नकली दवाओं का निर्माण ऐसे उद्योगों में भी किया जा रहा है जिसका रिकार्ड उद्योग विभाग तथा संबंधित विभाग के पास भी नहीं है। 

* 23 सितम्बर को बद्दी में हाई ब्लड प्रैशर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की नकली गोलियां बड़ी संख्या में बरामद की गईं। 
* 22 नवम्बर को बद्दी बैरियर से हिमाचल ड्रग विभाग ने सिप्ला और यू.एस.वी. सहित 8 प्रसिद्ध कम्पनियों की गले के संक्रमण, शरीर दर्द, दिल के रोगों आदि की लगभग एक करोड़ रुपए की नकली दवाएं पकड़ीं। इस सिलसिले में नकली दवाएं बनाने वाले गिरोह के सरगना आगरा निवासी मोहित बंसल, अतुल गुप्ता व विजय कौशल आदि को गिरफ्तार किया जा चुका है। 

* 29 नवम्बर को बद्दी में मोहित बंसल के एक और गोदाम का पता चला जहां से भारी मात्रा में विभिन्न रोगों के इलाज में काम आने वाली नकली दवाओं के अलावा कम्प्रैशन मशीन भी बरामद हुई जिसका इस्तेमाल पाऊडर को कम्प्रैस करके दवा के सही साइज और वजन के लिए किया जाता है। यहां डाई और पंच के भी 5 सैट मिले जिससे लगता है कि नकली दवाओं का उत्पादन कम्पनी के गोदामों में भी किया जा रहा था। अनेक दवाओं की गोलियां तैयार हो चुकी थीं जिन पर बड़ी कम्पनियों के नाम का लेबल लगाना बाकी था। 

* 4 दिसम्बर को बद्दी में नकली दवाओं का एक और गोदाम मिला जहां से ड्रग विभाग ने 27.91 लाख रुपए की नकली दवाओं की खेप पकड़ी। इस संबंध में प्रदेश हाईकोर्ट ने बद्दी में नकली दवाएं बनाने वाली कम्पनी के गोदामों से अवैध दवाओं का भंडार पकड़े जाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए आगरा भेजी गई नकली दवाओं का जखीरा वापस मंगवाया है। यह रहस्योद्घाटन भी हुआ है कि बद्दी स्थित 2 उद्योगों में दिल की बीमारियों की प्रसिद्ध कम्पनियों के नाम से नकली दवाएं बनाई जा रही थीं। नकली दवा माफिया ज्यादातर दिल की बीमारियों से संबंधित नकली दवाएं बना रहा था। ड्रग विभाग द्वारा पिछले 2 महीनों में नकली दवाओं के स्कैंडल का पर्दाफाश कर 3 मामलों में बरामद की गई दवाओं की बड़ी खेप से इसका खुलासा हुआ। 

उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी नकली दवाओं की सप्लाई की जा रही थी। हाईकोर्ट ने बद्दी में नकली दवाएं बनाने का संज्ञान लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव सहित अन्य प्रतिवादियों से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है। उत्तर प्रदेश के ड्रग उपायुक्त डा. ए.के. जैन का कहना है कि अधिकांशत उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के निर्माताओं की दवाएं ही ‘सब स्टैंडर्ड’ या ‘मिस ब्रांडेड’ मिलती हैं। कैंसर के उपचार के लिए कीमोथैरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवा की एक खुराक ही हजारों रुपयों में आती है। प्रसिद्ध कम्पनियों के रैपर में पैक कर नकली दवाओं के निर्माता इन्हें अस्पतालों के आसपास की दुकानों पर पहुंचाते हैं जिन्हें बिना रसीद के सस्ती बेच कर रोगियों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाता है। 

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के अनुसार, ‘‘दवा उद्योग में भ्रष्टाचारी तंत्र हावी होने लगा है तथा अधिकारी इस पर नकेल कसने में पूरी तरह विफल रहे हैं। जांबिया में हिमाचल और हरियाणा की एक फार्मा कम्पनी की दवा से 82 लोगों की मौत हो गई। दुर्भाग्य की बात है कि पैसे के पागलपन में ईमानदारी और नैतिकता समाप्त होती जा रही है।’’ नकली दवाओं के ये धंधेबाज न सिर्फ धन के लालच में लोगों की जान से खेल रहे हैं बल्कि दूसरे देशों में भारत की बदनामी का कारण भी बन रहे हैं, अत: ऐसे कृत्यों में शामिल होने वाले अपराधियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने और उन्हें शिक्षाप्रद दंड देने की आवश्यकता है।—विजय कुमार 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News