संसद में गतिरोध के लिए सत्ता पक्ष और विरोधी दल दोनों जिम्मेदार

punjabkesari.in Friday, Aug 13, 2021 - 06:13 AM (IST)

संसद को लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर कहा जाता है। इसके दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की मर्यादा को बनाए रखना सत्ता पक्ष तथा विपक्ष दोनों का दायित्व है, परंतु ऐसा हो नहीं रहा। इसी कारण संसद का मानसून सत्र दोनों सदनों में कृषि कानूनों, पेगासस जासूसी कांड, कोविड-19 और महंगाई आदि मुद्दों पर सत्तारूढ़ तथा विरोधी दलों के बीच टकराव के कारण गतिरोध की भेंट चढ़ गया और निर्धारित से 2 दिन पूर्व ही 11 अगस्त को समाप्त कर दिया गया। इस दौरान लोकसभा में मात्र 22 प्रतिशत तथा राज्यसभा में 28 प्रतिशत काम ही हो पाया। 

19 जुलाई को शुरू होने के दिन से ही यह सत्र गतिरोध का शिकार रहा तथा राज्यसभा में 4 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस के 6 सदस्यों द्वारा इसकी लॉबी में भारी प्रदर्शन के दौरान लॉबी के द्वार का एक शीशा टूटने के अलावा एक महिला सुरक्षा अधिकारी को चोट भी आई। 10 अगस्त को राज्यसभा में पीठासीन अधिकारी भुवनेश्वर कालिता द्वारा कृषि से संबंधित समस्याओं पर चर्चा शुरू कराते ही प्रदर्शनकारी सांसदों ने रूल बुक फाड़ डाली और ‘आप’ के संजय सिंह, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा व अन्यों ने मेज पर खड़े होकर जोरदार नारेबाजी की और प्रताप सिंह बाजवा ने पीठासीन अधिकारी की ओर फाइलें फैंकीं। 

सांसदों के उक्त आचरण से राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू इतने आहत हुए कि 11 अगस्त को सदन की कार्रवाई शुरू होते ही उन्होंने कहा : ‘‘कल जिस तरह कुछ सदस्यों ने यहां सदन के अंदर चेयर की ओर किताब फैंकी, खराब शब्द बोले और हंगामा किया, इससे सदन की गरिमा को भारी धक्का पहुंचा है। मैं इससे बहुत आहत हूं। राज्यसभा की पवित्रता चली गई। मैं रात भर सो नहीं सका।’’ यह कहते हुए उनका गला भर आया। 

11 अगस्त को राज्यसभा में साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक के पारित होते समय भी विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा किया और विधेयक के विरोध में नारेबाजी करते-करते वैल में आ गए। कुछ सांसदों ने तो कागज फाड़ कर भी हवा में उछाले। उनका आरोप था कि यह विधेयक बिना पूर्व कार्यक्रम के एक दिन पूर्व पेश कर दिया गया है। अब राज्यसभा का एक सी.सी.टी.वी. वीडियो जारी हुआ है जिसमें विपक्ष के सदस्य मार्शलों से जूझते दिखाई दे रहे हैं। इस घटनाक्रम से सरकार और विपक्ष में जंग छिड़ गई है तथा 12 अगस्त को राहुल गांधी के नेतृत्व में 15 विपक्षी दलों के नेताओं ने किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने तथा अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया। 

राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा,‘‘संसद सत्र के दौरान लोकतंत्र की हत्या की गई। विपक्ष पेगासस जासूसी कांड, किसानों की समस्याओं तथा अन्य कई मुद्दों पर चर्चा कराना चाहता था लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया। देश के 60 प्रतिशत लोगों की आवाज को दबाया गया है।’’ विपक्षी नेताओं ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से शिकायत करते हुए आरोप लगाया है कि बाहरी लोगों को महिला सांसद सहित विपक्षी नेताओं और सदस्यों के साथ हाथापाई करने के लिए बुलाया गया था। संजय राऊत ने कहा, ‘‘मार्शल की पोशाक में 11 अगस्त को कुछ निजी लोगों ने महिला सांसदों पर हमले किए। ऐसे लगा जैसे मार्शल लॉ लगा हो।’’ 

दूसरी ओर भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को झूठ बताते हुए इसके जवाब में कहा है कि राहुल गांधी द्वारा संसद के अंतिम दिन हुई कार्रवाई को लोकतंत्र की हत्या बताने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उस दिन की संसद की कार्रवाई के वीडियो में देखा जा सकता है कि संसद में क्या हुआ था? संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘बीते दिन की घटना से एक दिन पहले कुछ सांसद मेजों पर चढ़कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। उन्हें लगा कि उन्होंने कुछ अच्छा किया है।’’ कुल मिलाकर इस सारे घटनाक्रम को किसी भी दृष्टिï से उचित नहीं कहा जा सकता। चाहे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के, सांसदों को अधिकार नहीं है कि वे जनता के धन को फिजूल के वाद-विवाद में नष्ट करें। 

संसद जनसमस्याओं पर चर्चा करने के लिए होती है न कि आपस में लडऩे-झगडऩे के लिए। ऐसे आचरण द्वारा संसद को राजनीति का अखाड़ा बनाने से निश्चित रूप से लोकतंत्र कमजोर ही होगा। सत्ता पक्ष द्वारा विपक्ष के उठाए हुए मुद्दों को दबाना या उनकी उपेक्षा करना भी उचित नहीं है। सत्ता में होने के नाते महत्वपूर्ण स्थिति में होने के कारण सत्तापक्ष का दायित्व है विपक्ष को अपने तर्क से संतुष्टï करना। अत: इस स्थिति के लिए दोनों पक्ष ही जिम्मेदार हैं और दोनों ही पक्षों को इस पर मंथन करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इससे पहले संसद में छोटे-मोटे हंगामे तो होते रहे हैं परंतु इतने बड़े स्तर पर संसद में लगातार हंगामा किए जाने का यह पहला अवसर है। इससे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की सारी दुनिया में बदनामी हुई है।—विजय कुमार 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News