‘भाजपा का महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध महासंग्राम’‘मंदिर न खोलने पर जबरन प्रवेश की धमकी’

punjabkesari.in Wednesday, Oct 14, 2020 - 01:55 AM (IST)


इस समय जबकि देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू है, विभिन्न धर्म स्थलों को खोलने की दिशा में विभिन्न राज्य सरकारें और मंदिर समितियां अपने राज्यों में कोरोना की स्थिति को देखते हुए कुछ पाबंदियों के साथ धर्म स्थल खोलने या न खोलने का निर्णय ले रही हैं जिसके चंद उदाहरण निम्न हैं : 

* वृंदावन स्थित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के पट बदली हुई व्यवस्था के साथ खोलने का निर्णय लिया गया है। मंदिर में केवल एक ही द्वार से प्रवेश होगा और सैनेटाइजर की टनल से ही गुजर कर भक्त प्रवेश कर सकेंगे।
* लगभग 6 महीने से बंद वाराणसी का प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर कुछ शर्तों के साथ खोला गया है। दर्शनों के लिए भक्तों को मास्क लगाना होगा और सैनेटाइजर टनल से गुजर कर सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए दर्शन करने होंगे। माला, फूल, प्रसाद आदि ले जाने पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।

* यही नहीं, देश के विभिन्न भागों में इस वर्ष दशहरा पर्व प्रतीकात्मक रूप से ही मनाने और रावण दहन के लिए पुतले भी अत्यन्त छोटे आकार के बनाने का निर्णय लिया गया है।  गुरुग्राम में अधिकांश रामलीला समितियों ने मंचन कराने का निर्णय तो लिया है परन्तु दशहरा पर्व धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा और न ही शहर की अधिकांश रामलीला समितियां इस बार विजय दशमी के अवसर पर झांकियां निकालेंगी। 
* हिमाचल का विश्व प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा भी कोरोना नियमों का पालन करते हुए मनाने के आदेश दिए गए हैं। इस बार मेले में हजारों लोग रथ को नहीं खींच पाएंगे और केवल 200 लोग ही शामिल हो सकेंगे। 
हालांकि पूरे 7 दिन भगवान रघुनाथ जी की परम्परा का निर्वाह होगा परन्तु ढालपुर मैदान में कोई व्यापार नहीं होगा और न ही दुकानें लगेंगी। 

* बंगाल में भी दुर्गा पूजा पर सुरक्षा मापदंडों के साथ सीमित श्रद्धालुओं की एंट्री और आयोजन की अनुमति दी गई है। 
* राजस्थान के उदयपुर में भी प्रसिद्ध 15 दिवसीय दीपावली, दशहरा मेला इस बार आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया गया है।
* गुजरात में मनाए जाने वाले नवरात्रि पर्व के दौरान राज्य में कोरोना महामारी के चलते गरबा कार्यक्रम के आयोजन पर रोक लगा दी गई है। सरकार दुर्गा मां की सामूहिक पूजा की इजाजत देगी परन्तु इसमें शामिल श्रद्धालुओं की संख्या 200 से अधिक नहीं होगी। यही नहीं, गुजरात सरकार ने नवरात्रि से दीवाली तक रावण का पुतला जलाने, राम लीला रैली निकालने, मेला प्रदर्शनी के आयोजन पर रोक लगा दी है। 

* दिल्ली में ‘दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ ने कड़ी शर्तों के साथ राम लीला का आयोजन करने व दुर्गा पूजा मनाने के लिए पंडाल लगाने की अनुमति दी है, जिसमें मेला, झूला और भोजन के स्टाल नहीं लगेंगे। आयोजकों को तय मापदंडों के अनुसार पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी करवानी होगी। 

* गुवाहाटी में प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है परन्तु मंदिर का गर्भगृह बंद रहेगा, वे केवल परिक्रमा कर सकेंगे और मंदिर के मुख्य दरवाजे के बाहर पूजा कर सकेंगे। 
* इस प्रकार की परिस्थितियों में अब 13 अक्तूबर को महाराष्ट्र में भाजपा ने राज्य में लॉकडाऊन के कारण बंद पड़े सभी मंदिरों को फिर से खोलने की मांग करते हुए उद्धव सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है और सिद्धि विनायक मंदिर के अलावा शिरडी साई बाबा मंदिर के बाहर भी भारी प्रदर्शन किया है। 

भाजपा नेता प्रसाद लाड ने यहां तक धमकी दे डाली कि ‘‘यदि हमें प्रशासन प्रवेश करने की अनुमति नहीं देगा तो हम मंदिर में जबरदस्ती प्रवेश करेंगे। यह आंदोलन पूरे महाराष्ट्र में चलेगा। हम चाहते हैं कि राज्य के सभी मंदिर जल्द से जल्द फिर खोले जाने चाहिएं।’’इस बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर पूजा के लिए मंदिर फिर से खोलने की मांग की है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए यहां तक कह दिया है : ‘‘मुझे आश्चर्य है कि क्या आपको कोई आलौकिक आभास हो रहा है जिससे आप मंदिर खोलने के फैसले को टालते जा रहे हैं या फिर जिस शब्द से आप नफरत करते थे, आप अचानक से सैक्यूलर हो गए हैं।’’ 

इसके जवाब में उद्धव ठाकरे ने पलटवार करते हुए कहा है कि ‘‘जिस तरह से एकदम लॉकडाऊन लगाना सही फैसला नहीं था, उसी तरह सभी पाबंदियों को एकदम से खत्म कर देना भी सही नहीं है और हां, मैं हिन्दुत्व का पालन करता हूं और मेरे हिन्दुत्व को आपके वैरीफिकेशन की जरूरत नहीं है।’’ उपरोक्त घटनाक्रम को देखते हुए कहा जा सकता है कि अब जबकि देश में मोटे तौर पर भाजपा का शासन है और इसने राज्य सरकारों को कोरोना महामारी से अपने-अपने तरीके से निपटने के लिए छूट दे रखी है, महाराष्ट्र भाजपा द्वारा राज्य के मंदिर खोलने के लिए उद्धव सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करना उचित नहीं कहा जा सकता। 

इसी प्रकार राज्यपाल डा. भगत सिंह कोश्यारी द्वारा इसी मुद्दे को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार पर कटाक्ष करना कदापि उचित प्रतीत नहीं होता क्योंकि राज्यपाल तो पार्टी प्रतिबद्धताओं से ऊपर होता है और सबका सांझा होता है। भाजपा देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है अत: इसके नेताओं को छोटे-छोटे मुद्दों पर संकीर्ण विचारधारा से ऊपर उठ कर देशहित में सबको साथ लेकर चलना चाहिए ताकि अनावश्यक विवाद उत्पन्न न हों और इसकी नीतियों को लेकर लोगों में नाराजगी भी न हो।-विजय कुमार


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