गुजरात में भाजपा, दिल्ली नगर निगम में ‘आप’ तथा हिमाचल में भाजपा-कांग्रेस में कांटे की टक्कर

punjabkesari.in Tuesday, Dec 06, 2022 - 04:22 AM (IST)

इन दिनों देश में चुनावों का मौसम चल रहा है। हिमाचल में विधानसभा चुनावों के लिए मतदान 12 नवम्बर को सम्पन्न होने के बाद गुजरात में 1 और 5 दिसम्बर को दो चरणों में मतदान हुआ जबकि इसी बीच 4 दिसम्बर को दिल्ली नगर निगम (एम.सी.डी.) के चुनावों के लिए वोट डाले गए। जहां हिमाचल और गुजरात में ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) पहली बार किस्मत आजमा रही है वहीं सभी दलों ने वहां अपने शीर्ष नेताओं की पूरी की पूरी फौजें उतार दीं तथा बड़ी संख्या में रैलियां की गईं। 

हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 4 लम्बी रैलियों सहित भाजपा के केंद्रीय व प्रादेशिक नेताओं ने 100 से अधिक रैलियां कीं। योगी आदित्यनाथ भाजपा की ओर से मुख्य प्रचारक रहे जबकि कांग्रेस की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी और सचिन पायलट सहित अन्य नेताओं ने 70 से अधिक रैलियां कीं। ‘आप’ की ओर से भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल ने रैलियों की झड़ी लगा दी। गुजरात के चुनावों में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने एक-दूसरे पर खूब आरोप-प्रत्यारोप लगाए। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ बताकर विवाद खड़ा किया तो असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राहुल गांधी का चेहरा सद्दाम हुसैन जैसा नहीं दिखाई देना चाहिए। मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना रावण से कर दी जिस पर बवाल के बाद इस विवाद में पूर्व सांसद रेणुका चौधरी की एंट्री भी हो गई और उन्होंने कहा, ‘‘जब प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में मेरी तुलना शूर्पणखा से की थी तब यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया?’’ 

गुजरात में नरेंद्र मोदी ने 31 रैलियां तथा 3 बड़े रोड शो किए जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा अमित शाह सहित 6 केंद्रीय व प्रादेशिक मंत्रियों ने बड़ी संख्या में रैलियां कीं। कांग्रेस की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व अन्य नेताओं ने प्रचार की कमान संभाली जबकि ‘आम आदमी पार्टी’ की ओर से स्थानीय नेताओं के अलावा भगवंत मान तथा अरविंद केजरीवाल ने रैलियां कीं परंतु हिमाचल में मतदान के अंतिम दिनों में ‘आप’ चुनाव प्रचार में थोड़ा पीछे हट गई। एम.सी.डी. के चुनावों के परिणाम आधिकारिक रूप से 7 दिसम्बर को आएंगे जबकि हिमाचल और गुजरात विधानसभाओं के चुनाव परिणाम 8 दिसम्बर को घोषित होंगे परंतु इससे पहले ही जीत-हार का अनुमान लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। 

चूंकि हिमाचल में अब तक बदल-बदल कर कांग्रेस और भाजपा की सरकारें आती रही हैं और इस लिहाज से इस बार कांग्रेस की बारी है। वहां कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर बताई जा रही है और कहा जा रहा है कि दोनों ही दलों के बीच जीत-हार का अंतर बहुत कम रहेगा। गुजरात में पुन: भाजपा को सत्ता प्राप्त होने की संभावना जताई जा रही है वहां लगातार 27 वर्ष से सत्तारूढ़ भाजपा ने 7वीं बार भी सत्ता में बने रहने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया है। हिमाचल तथा गुजरात दोनों ही राज्यों में कुछ नेता लगातार चुनाव प्रचार के सिलसिले में जमे रहे। 

जहां तक दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणामों का संबंध है वहां वर्तमान में सत्तारूढ़ भाजपा, आम आदमी पार्टी तथा कांग्रेस ने धुआंधार प्रचार किया लेकिन वहां इस बार भाजपा को सत्ताच्युत करके आम आदमी पार्टी द्वारा काबिज होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। चुनावों का परिणाम चाहे जो भी हो, मतदान सम्पन्न होने के बाद आम लोगों ने राहत की सांस ली है क्योंकि तीनों ही जगह छोटे-बड़े तमाम नेता अपने दफ्तरी कामकाज भूल चुनाव प्रचार में ही जुटे रहे, जिस कारण दफ्तरों में छुट्टियों जैसा माहौल बना रहा और अधिकारियों के उपस्थित न होने से लोगों के काम रुके हुए थे। 

अंत में हम लिखना चाहेंगे कि हमारे अनुमानों के अनुसार गुजरात में भाजपा सफल रहेगी, हिमाचल प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होगी तथा दिल्ली नगर निगम पर इस बार ‘आप’ कब्जा जमा लेगी, परंतु अनुमान तो अनुमान ही होते हैं अत: आधिकारिक तौर पर विजेताओं का पता तो मतगणना के बाद परिणामों की औपचारिक घोषणा के पश्चात ही चलेगा। चूंकि इस बार चुनाव प्रचार में मतदाताओं को लुभाने के लिए सिर्फ मुफ्त की रेवडिय़ां ही नहीं बल्कि लड्डू भी बांटे गए हैं, अत: लोगों की नजर इस बात पर भी रहेगी कि विजेता पार्टियां अपने चुनावी वायदों को किस हद तक और कितनी जल्दी पूरा करती हैं।—विजय कुमार 


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