महाराष्ट्र जिला परिषद चुनाव में भाजपा को लगा झटका : बड़ी चेतावनी

punjabkesari.in Friday, Jan 10, 2020 - 01:21 AM (IST)

2014 के चुनावों में भारी सफलता के बाद भाजपा बड़ी तेजी से आगे बढ़ी और विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई। वर्ष 2017 तक पहुंचते-पहुंचते देश के 21 राज्यों तथा 72 प्रतिशत जनसंख्या वाले क्षेत्र पर इसका और ‘राजग’ में शामिल इसके सहयोगी दलों का शासन स्थापित हो गया। परंतु चंद कारणों से भाजपा की बढ़त की यह रफ्तार कायम न रही और विभिन्न राज्यों एवं स्थानीय निकायों के चुनावों में पराजय के चलते लोगों पर इसकी पकड़ कमजोर पडऩे लगी। जहां भाजपा विधानसभाओं के चुनावों में पिछड़ रही है वहीं स्थानीय निकायों के चुनावों में भी इसे निराशा का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही के महीनों में हुए कुछ स्थानीय निकायों के चुनावों में भाजपा को निराशा हाथ लगी है। 

पिछले वर्ष के शुरू में कर्नाटक के स्थानीय निकाय चुनावों में पराजय के बाद नवम्बर, 2019 में राजस्थान में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में भी भाजपा को पछाड़ते हुए कांग्रेस ने 49 स्थानीय निकायों में से 37 में सफलता प्राप्त कर ली जबकि भाजपा 12 स्थानीय निकायों पर ही कब्जा कर सकी। छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए स्थानीय निकायों के चुनावों में 10 नगर निगमों में से 9 पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है जबकि इससे पहले 2015 में हुए नगर निगमों के चुनाव में कांग्रेस का 7 नगर निगमों पर ही कब्जा था। यहीं पर बस नहीं महाराष्ट्र में हुए 6 जिला परिषद चुनावों में भी भाजपा को भारी झटका लगा है। वहां 6 में से 4 जिला परिषद चुनावों में राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना के गठबंधन (महा विकास अघाड़ी) को सफलता प्राप्त हुई है। 

सर्वाधिक चौंकाने वाली बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस (भाजपा) के गृह नगर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गढ़ नागपुर के जिला परिषद के चुनाव में भी भाजपा हार गई। भाजपा को अपने दूसरे गढ़ पालघर में भी निराशा ही मिली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद सबकी नजरें जिला परिषद चुनावों पर थीं और लोगों में जिज्ञासा बनी हुई थी कि क्या ग्रामीण जनता जिला परिषद चुनावों में महा विकास अघाड़ी का साथ देगी या नहीं! जिला परिषद चुनावों में भाजपा की पराजय ग्रामीण मतदाताओं के भाजपा के प्रति बदल रहे मूड का संकेत देती है जो भाजपा नेतृत्व के लिए एक चेतावनी है। विधानसभा चुनावों में जहां राज्य के मुद्दे हावी होते हैं वहीं स्थानीय चुनावों में स्थानीय मुद्दों का बोलबाला रहता है। इस लिहाज से देखा जाए तो विभिन्न स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा की पराजय इसके नेतृत्व द्वारा स्थानीय मुद्दों की उपेक्षा के कारण मतदाताओं की नाराजगी का परिणाम है।—विजय कुमार 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News