वायु सेना के ‘पायलटों का अधूरा प्रशिक्षण’ विमान ‘दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार?’

punjabkesari.in Sunday, Jan 29, 2023 - 03:45 AM (IST)

हालांकि भारतीय वायुसेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है जिसके जवानों ने देश-विदेश में नाम कमाया है परंतु बार-बार भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों का दुर्घटनाग्रस्त होना चिंता का विषय बन रहा है क्योंकि इनके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में हमारे पायलटों की जान भी जा रही है।

5 जनवरी को रीवा में वायु सेना का एक ट्रेनी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से प्रशिक्षक कैप्टन विमल कुमार की मृत्यु तथा ट्रेनी पायलट कैप्टन सोनू यादव गंभीर रूप से घायल हो गए थे। और अब 28 जनवरी की सुबह मध्य प्रदेश में भारतीय वायुसेना के 2 शक्तिशाली ‘फ्रंट लाइन’ के लड़ाकू विमान सुखोई-30 और मिराज-2000 ग्वालियर के एयरबेस से नियमित परिचालन के लिए अभ्यास उड़ान भरने के कुछ ही समय के भीतर दुर्घटनाग्रस्त होकर टुकड़े-टुकड़े हो गए। विमानों का मलबा मुरैना के जंगल और राजस्थान के भरतपुर में मिला है। 

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पहाडग़ंज इलाके में उन्होंने आकाश में एक विमान जलता हुआ देखा और फिर उसके टुकड़े जमीन पर गिरे। उस समय ये विमान ‘केलारस’ कस्बे के ऊपर से गुजर रहे थे। दुर्घटना के समय सुखोई-30 में 2 तथा मिराज-2000 में एक पायलट था क्योंकि मिराज-2000 को उड़ाने के लिए सिर्फ एक ही पायलट की जरूरत होती है। विमान में आग लगते ही सुखोई-30 के 2 पायलट बाहर निकल आए परंतु उनका पैराशूट झाडिय़ों में फंस गया जिससे वे घायल हो गए जिन्हें ग्रामीणों ने बाहर निकाला और बाद में उन्हें इलाज के लिए हैलीकाप्टर से ग्वालियर ले जाया गया। इनमें से एक घायल पायलट को घातक चोटें आई हैं जबकि मिराज-2000 के पायलट की मौत हो गई।

भारतीय वायुसेना की शक्ति कहलाने वाले ये दोनों ही विमान लम्बे समय से इसका हिस्सा रहे हैं। जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए 26 फरवरी, 2019 को नियंत्रण रेखा पार करने वाले भारतीय वायुसेना के 12 लड़ाकू जैट विमान मिराज-2000 ही थे। इससे पूर्व 1999 के कारगिल युद्ध में भी पाकिस्तान के विरुद्ध मिराज-2000 विमानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सुखोई लड़ाकू विमान भी लगभग 20 वर्षों से भारतीय वायु सेना के पास हैं। 

सैन्य मामलों के विशेषज्ञ बी.एस. जसवाल के अनुसार, ‘‘सुखोई 30 और मिराज-2000 दोनों में एक साथ तकनीकी खराबी आना असंभव है। हो सकता है कि वे कोई अभ्यास कर रहे हों जिसके दौरान किसी एक विमान में गड़बड़ी आ जाने से वह दूसरे विमान से टकरा गया हो।’’दुर्घटना के कारणों का तो ब्लैक बाक्स से ही पता चलेगा क्योंकि ऐसे अभ्यास में सुरक्षा का बहुत ध्यान रखा जाता है। बहरहाल दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए वायुसेना ने ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ का आदेश भी दे दिया है। इस तरह की घटनाओं के लिए भारत के कम्पट्रोलर एवं ऑडीटर जनरल (कैग) भी अतीत में अपनी एक रिपोर्ट में पायलटों के समुचित प्रशिक्षण के अभाव को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। 

कैग की यह रिपोर्ट भारतीय प्रतिरक्षा तंत्र के लिए एक चेतावनी है क्योंकि वायु सेना के विमान चालकों को समुचित प्रशिक्षण दिलवाकर टाली जा सकने वाली विमान दुर्घटनाओं से न सिर्फ बहुमूल्य प्राणों की हानि हो रही है बल्कि विमान नष्ट होने से देश को भारी आॢथक क्षति होने के साथ-साथ देश की प्रतिरक्षा क्षमता भी प्रभावित हो रही है। अत: जहां प्रशिक्षण में त्रुटियों संबंधी जांच करने की आवश्यकता है इसके साथ ही विमानों के रखरखाव में त्रुटियों और इस बात की जांच भी की जानी चाहिए कि कहीं इस तरह की दुर्घटनाओं के पीछे किसी अन्य शक्ति का हाथ तो नहीं!—विजय कुमार 


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