45 वर्ष बाद, भारत-चीन सीमा पर एक बार फिर ‘खूनी झड़प’

punjabkesari.in Wednesday, Jun 17, 2020 - 02:53 AM (IST)

जहां भारत सरकार विश्व के अनेक देशों से दोस्ताना संबंध बढ़ा रही है, वहीं नेपाल, चीन, पाकिस्तान आदि पड़ोसियों के साथ इसके संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। नेपाल के साथ तनातनी के बीच लद्दाख में भारत और चीन में चला आ रहा सीमा विवाद भी गंभीर रूप धारण करता जा रहा है और पिछले लगभग पांच दशक में जो नहीं हुआ वह अब होता दिखाई दे रहा है। 

उल्लेखनीय है कि दोनों देशों में सैन्य तनाव के बीच सीमा विवाद को लेकर विभिन्न स्तरों पर चल रही बातचीत के क्रम में 15 जून को भी दोनों पक्षों के बीच गलवान घाटी से सैनिकों को वापस भेजकर अप्रैल से पहले जैसी सामान्य स्थिति कायम करने को लेकर चर्चा हुई परन्तु इस का सकारात्मक परिणाम अभी तक नहीं निकला।

अंतत: दोनों देशों में जारी तनाव इसी दिन हिंसक झड़प में बदल गया और गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए और चीन के 43 सैनिक मारे गए हैं। ‘टैलीग्राफ’ की एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ भारतीय सैनिक अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद 1975 में एल.ए.सी. पर फायरिंग में 4 भारतीय जवान शहीद हुए थे और उसके 45 साल बाद अब एल.ए.सी. पर एक बार फिर भारतीय और चीनी सैनिकों में खूनी झड़प हुई है। कुल मिलाकर इस समय दोनों देशों के बीच अत्यंत गंभीर स्थिति बन रही है और बातचीत का कोई परिणाम निकलता दिखाई नहीं दे रहा। 

यहां उल्लेखनीय है कि चीन के इशारे पर पड़ोसी नेपाल भी भारत को आंखें दिखा रहा है। अभी हाल ही में जहां नेपाल सरकार ने देश के अपने नए नक्शे में भारत के 3 इलाकों ‘लिपुलेख’, ‘कालापानी’ व ‘लिपियाधुरा’ को नेपाली क्षेत्र में दिखाते हुए इस पर अपना दावा जताया है वहीं सीमा पर अनेक स्थानों पर सुरक्षा चौंकियां कायम करके पैट्रोलिंग भी शुरू कर दी है।

यही नहीं नो मैंस लैंड पर लगे 25 से 30 प्रतिशत तक पिल्लरों को उखाड़ कर वहां नेपाली नागरिकों ने खेती भी शुरू कर दी है जो नेपाल के साथ संबंध सुधारने की दिशा में भारत की उम्मीद तथा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के इस दावे को झुठलाता है कि‘‘दोनों देशों के बीच रोटी और बेटी का रिश्ता है जिसे दुनिया की कोई ताकत नहीं तोड़ सकती।’’ 

एक ओर पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध छेड़ रखा है तो दूसरी ओर नेपाल भी भारत को आंखें दिखा रहा है और चीन भी खुलकर भारत के विरुद्ध आता नजर आ रहा है। इस घटनाक्रम से इस क्षेत्र के साथ-साथ पूरे विश्व में एक ऐसी स्थिति बनने का अंदेशा है जो विश्व की शांति के लिए कहीं खतरा न बन जाए। ऐसे में दोनों ही पक्षों को संयम बरतना चाहिए ताकि इस क्षेत्र के विवाद के कारण विश्व की शांति प्रभावित न हो।—विजय कुमार


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News