जानिए अमरीका क्यों करना चाहता है प्रोफेशनल वीजा नियमों में बदलाव?

punjabkesari.in Thursday, Mar 16, 2017 - 11:46 AM (IST)

नई दिल्ली: अमरीकी गर्वेंमैंट विदेशी प्रोफेशनल्स को अपने यहां एंट्री की प्रमीशन देने वाले कानून को सख्त बनाने में उम्मीद से ज्यादा टाईम ले सकती है। व्हाइट हाउस के प्रेस सैक्रटरी एस. स्पाइसर की तरफ से मिले ऐसे संकेतों से भारतीय कंपनियों को इस बात की उम्मीद बंधी है कि वे इस वर्ष अपने वर्कर्स के लिए मौजूदा एच1-बी पॉलिसी का फायदा उठा सकेंगे। आइए आपको बताते हैं कि अमरीकी गर्वेमैंट इस इमिग्रेशन रिफार्म को क्यों लाना चाहती है।

नया इमिग्रेशन लॉ लाने का मकसद
इमिग्रेशन रिफॉर्म बिल प्रॉटेक्ट एंड ग्रो अमरीकन जॉब्स एक्ट का मकसद यह पक्का करना है कि अमरीकी कंपनियां उन फॉरेन वर्कर्स को हायर करने से पहले अमरीकी वर्कर्स पर विचार करें, जो फिलहाल कम सैलरी पर काम रहे हैं। कैलिफोर्नया के रिपब्लिकन रिप्रेजेंटेटिव डेरेल इस्सा की तरफ  से पेश विधेयक पर अमरीकी संसद का निचला सदन विचार कर रहा है। स्पाइसर ने कहा,‘‘प्रेजिडेंट ने एग्जिक्यूटिव ऑर्डर्स के तौर पर जो कदम उठाए हैं, उसका और इमिग्रेशन पॉलिसीज में चेंज करने का मकसद अपने देश और अपने लोगों की सिक्यॉरिटी सुनिश्चित करते हुए बॉर्डर सिक्यॉरिटी पर फोकस करना है, और हां चाहे यह एच1-बी वीजा हो या कोई और जैसे पति-पत्नी को, स्टूडेंट वीजा मेरा मानना है कि उनका पूरा रिव्यू करने की चाहत पूरी तरह स्वाभाविक है।’’

वॉशिंगटन डीसी में भी उठा था मुद्दा
स्पाइसर का बयान आने से पहले इस मुद्दे पर वॉशिंगटन डीसी में इंडिया के फॉरेन और कॉमर्स सैक्रटरी के साथ चर्चा हुई थी। इससे पहले प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में अमरीकी संसद के मैंबर्स के साथ मुलाकात में उनको इस बाबत भारत सरकार की चिंताओं से वाकिफ करवाया था। हालांकि अधिकारियों और एक्सपट्र्स का कहना है कि अमरीका वीजा रूल में बदलाव होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

क्या है नया इमिग्रेशन लॉ 
नए इमिग्रेशन लॉ के ड्रा ट में एच1-बी वीजा पर यू.एस. आने वाले फॉरेन वर्कर्स का मिनिमम सैलरी 40 पर्सेंट बढ़ाकर ईयरली एक लाख डॉलर करने का प्रस्ताव है जिससे वह अमरीका में प्रोफेशनल्स को मिलने वाली सैलरी जितना हो जाएगी। पॉलिसी ड्राफ्ट के मुताबिक, इससे मिनिमम सैलरी बढ़ाए जाने से कंपनियां एंट्री लेवल के आकर्षक जॉब के लिए विदेश से सस्ते वर्कर्स लाने के बजाए बेरोजगार अमरिकियों और फॉरेन वर्कर्स के मौजूदा डोमेस्टिक पूल को देने पर मजबूर हो जाएंगी। इससे सिलिकॉन वैली में अश्वेत, हिस्पैनिक और फीमेल वर्कर्स की संख्या बढ़ेगी, जिनको एच1-बी वीजा प्रोग्राम के चलते नजरअंदाज किया जाता रहा है।


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