राष्ट्रपति मैक्रों के इस्लामिक आतंकवाद पर बयान से भड़के मुस्लिम देश, फ्रांस के बॉयकाट का किया ऐलान

punjabkesari.in Tuesday, Oct 27, 2020 - 10:41 AM (IST)

दुबई: इस्लामिक आतंकवाद पर टिप्पणी करने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुस्लिम देशों के निशाने पर आ गए हैं। मैक्रों के इस्लामिक आतंकवाद संबंधी बयान पर भड़के इन खाड़ी देशों ने फ्रांस के खिलाफ मोर्चा खोल फ्रांसिसी उत्पादों के बहिष्कार का ऐलान किया है। सऊदी अरब, कुवैत, जॉर्डन और कतर में कई दुकानों से फ्रांस निर्मित सामान को हटा दिया गया है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी फ्रांस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

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फ्रांसिसी उत्पादों के बहिष्कार का ऐलान
सोमवार को तुर्की के आह्वान पर कई खाड़ी देशों ने फ्रांस के उत्पादों के बहिष्कार का ऐलान किया। कुवैत में रिटेल चेन चलाने वाले समूह ने अपनी दुकानों से फ्रांस की कंपनियों के प्रोडक्ट्स हटा लिए हैं। अरब जगत की सबसे बड़ी इकॉनमी रियाद में भी फ्रेंच प्रोडक्ट्स का बॉयकाट हुआ, जहां रविवार को इससे संबंधित हैशटैग ट्विटर चार्ट पर दूसरे नंबर पर रहा।

 

फ्रांस की कंपनियों को होगा बड़ा नुकसान
फ्रांस विरोधी इस अभियान से फ्रांस की कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. खासकर ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वालीं कंपनियों को बड़ी क्षति होगी, क्योंकि फ्रांस के ब्यूटी प्रोडक्ट विदेशों में महंगे दामों पर बिकते हैं. फ्रांस निर्मित सामानों की अंतरराष्ट्रीय मॉर्केट में बड़ी साख है. ब्यूटी प्रोडक्ट के साथ ही डिजाइनर कपड़े और फ्रेंच वाइन, शैंपेन की दूसरे देशों में बेहद प्रसिद्ध है।

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 सोशल मीडिया पर भी फ्रांस के खिलाफ अभियान
सोशल मीडिया पर भी फ्रांस के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। ट्विटर पर #BoycottFrenchProducts, #BoycottFrance Products, #boycottfrance #boycott_French_products #ProphetMuhammad ट्रेंड कर रहा है। इसके अलावा, फेसबुक और व्हाट्सऐप पर भी कैम्पेन चल रहा है। अधिकाश मुस्लिम देशों में फ्रेंच उत्पादों के बहिष्कार एके मांग जोर पकड़ रही है और इस मांग का असर भी दिखाई देने लगा है।

 

तुर्की ने फ्रांस के खिलाफ उगला जहर
इससे पहले, तुर्की ने सोमवार को सभी देशों से अपील की थी कि वे फ्रांस निर्मित सामान का बहिष्कार करें। तुर्की का कहना है कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस्लाम का अपमान किया है. इसके जवाब में, फ्रांस सरकार ने इस अपील को कट्टरवादी सोच का नतीजा बताया था और तुर्की से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था। दरअसल सीरिया के युद्ध से ही तुर्की और फ्रांस के बीच रिश्ते खराब हो गए थे और अब नार्गोनो काराबाख के युद्ध के दौरान भी दोनों देश खुलकर एक दूसरे आरोप लगाते दिखाई दिए हैं।

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जानें क्या है मामला?
दरअसल, 16 अक्टूबर को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाते हुए छात्रों को पैगंबर मोहम्मद का विवादित कार्टून दिखाने वाले टीचर सैमुअल पैटी का गला काट दिया गया था। इसके बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने टीचर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इसे इस्लामिक आतंकवाद करार दिया था। तब से ही मुस्लिम देशों में फ्रांस के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं और फ्रांस प्रोडक्ट्स के बहिष्कार का अभियान चलाया जा रहा है।


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Tanuja

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