क्या नेपाल का झुकाव चीन की तरफ हो रहा है?

punjabkesari.in Friday, Jun 19, 2020 - 03:22 PM (IST)

हाल ही में नेपाल ने अपने क्षेत्र को दर्शाने के लिए अपना नया नक्शा जारी किया है, जिसके अंतर्गत नेपाल भारत के कुछ क्षेत्रों को भी अपने नक्शे में दिखाया है! भारत ने नेपाल के इस कदम पर आपत्ति जताई है, क्योकि भारत इस भारतीय क्षेत्र पर सीमा रोड संगठन के द्वारा मानसरोवर से लिपुलेख पास के लिए रोड बनाना चाहता था, ताकि चीन की सीमा से जुड़ सके! नेपाल इस क्षेत्र पर अपना दावा बताता है, की 1816 की सरघौली की संधि के तहत काली नदी (महाकाली) के पूर्व में कलापानी, लिम्फियाधुरा और लिपुलेख नेपाल के अंतर्गत आते है, इनका ये भी कहना है की हम कालापानी क्षेत्र को भारत से वापस लाकर रहेंगे! नेपाल के इस तरह भारत को लेकर प्रतिक्रिया दिखाना नेपाल की विदेश नीति में बदलाव और साम्यवादी
रुख की झलक दिखलाता है: -

नेपाल द्वारा 2015 का भारत-चीन समझौते का विरोध: -

नेपाल ने 2015 में भारत और चीन के बीच लिपुलेख पास को लेकर हुए समझौते का विरोध किया था, और ये बयान दिया गया था की लिपुलेख पास को लेकर दोनों सरकारों को नेपाल का मत भी लेना चाहिए था, क्योकि लिपुलेख पास का दक्षिणी क्षेत्र नेपाल से सम्बंधित है! (The Economic Times, 9-June-2015) जो देश अब तक भारत के साथ एक भाई की तरह अपनी विदेश नीति को निभाता आया था उसका यह रवैया
भारत के साथ विदेश नीति में बदलाव को दर्शाता है

नेपाल द्वारा नेपाल का नया नक्शा तैयार करना: -
पिछले माह में नेपाल द्वारा उसकी संसद (कांग्रेस) के एक सदन द्वारा नेपाल का नया नक्शा तैयार किया गया और उस पर मुहर लगाई गयी है, जिसकी वजह से नेपाल ने अपने पश्चिम में भारत के उत्तराखंड से सटे क्षेत्रों पर जिसमे कालापानी, लिम्फियाधुरा और पूरा लिपुलेख का क्षेत्र शामिल है, जो भारत के प्रादेशिक क्षेत्र में आता था, उन् सभी को अपना क्षेत्र घोषित किया है! इसका एक कारण 1996 की महाकाली नदी संधि को माना जाता है, जिसमे भारत को उसके प्रादेशिक क्षेत्र के बल पर महाकाली नदी पर ज्यादा अधिकार मिल गया था और नेपाल को कम! इससे नाराज़ होकर नेपाल ने आज इस क्षेत्र पर अपना दावा बताया है! 

नेपाल द्वारा यह भी कहा जा रहा है की कुछ सालो में भारत ने महाकाली नदी में एक अन्य कृत्रिम धारा का निर्माण कर लिया, जिसका नाम काली नदी (नेपाल के पूर्व ) है, की वजह से भारत आज इस पूरी भूमि को अधिग्रहण करने की कोशिश कर रहा है! (Deccan Herald 10-June-2020) इस सारे विवाद का उद्गम नेपाल काली नदी के उदय को मानता है, जो लिपुलेख के आसपास से गुजरती है, लेकिन भारत ब्रिटिशो द्वारा बनाये गए नक़्शे को आधार बनाकर इसे भारत से जोड़ता है!

कोरोना मामलो का भारत पर आरोप लगाना: -

नेपाल ने कोरोना के मामलो को भारत पर थोपा है, की नेपाल में 80 % कोरोना के मामले भारत से नेपाल आने वाले नेपाल के नागरिको से सम्बंधित है! (The Hindu 10-June-2020) जिसकी वजह से नेपाल कोरोना को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है लेकिन इसके पीछे का सच नेपाल द्वारा पिछले कई सालो का गुस्सा
भारत पर निकलना है! यह भी हो सकता है की नेपाल कोरोना को नियंत्रित करने में नाकाम सिद्ध हो रही हो तो उसके लिए भारत को आधार बनाकर नेपाल की जनता को भारत के खिलाफ कर उनका ध्यान राष्ट्रवाद की भावना को पैदा करना भी हो सकता है!

योगी आदित्यनाथ के बयान पर नेपाल की प्रतिक्रिया: -

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने नेपाल पर अपना बयान दिया है की, नेपाल तिब्बत वाली गति न करे जो तिब्बत ने कई सालो पहले की थी! (Outlook 3-June-2020) इनका कहने का मकसद यह था की, कई साल पहले जो गलती तिब्बत ने चीन की तरफ अपनी नरम विदेश नीति के तहत की थी वो गलती नेपाल की तरफ से ना हो! इस पर नेपाल के प्रधानमंत्री श्री के. पी. ओली की तरफ से यह बयान आया है की, भारत द्वारा या इसके किसी भी मंत्री द्वारा हमे कोई धमकी नहीं देनी चाहिए, क्योकि नेपाल को अपनी सम्प्रभुत्ता की रक्षा करना आता है, और कोई भी नेपाल की तरफ अपनी आवाज़ उठाएगा तो उसे स्वीकारा नहीं जायेगा! (The Hindu 10-June-2020)

होन्ग कोंग को चीन का हिस्सा बताना: -

पुरे एशिया में सिर्फ ऐसे दो ही देश है जिन्होंने होन्ग कोंग को चीन का हिस्सा बताया है, एक पाकिस्तान और दूसरा नेपाल, नेपाल ने चीन की 'वन चीन पालिसी' का समर्थन करते हुए होन्गकोंग को चीन का हिस्सा बताया है (MEAN, The Hindu 3-June-2020), जिससे चीन की तरफ नेपाल की विदेश नीति का झुकाव साफ़ साफ नज़र आ रहा है इसका सीधा सीधा असर नेपाल की मौजूदा सरकार की विचारधारा का मेल चीन की विचारधारा से होना है, जिसके कारण चीन की तरफ नेपाल का रुख देखा जा सकता है! नेपाल ने हांगकांग के मसले को चीन का अंदरूनी मामला बताया है, लेकिन यह भी हो सकता है की नेपाल इन् मतों के कारण चीन के साथ तुष्टिकरण की नीति को अपना रहा है! नेपाल चीन द्वारा हांगकांग में जबरदस्ती थोपे गए क़ानून का समर्थन करता है लेकिन इस क़ानून के द्वारा हांगकांग की स्वायत्तता खत्म हो जाती है 

नेपाली साम्यवादी दल: -

नेपाल की मौजूदा सरकार साम्यवादी दल के द्वारा बनायीं गयी सरकार है, जिसमे श्री के. पी. ओली इस दलके नेता और प्रधानमंत्री है! इस दल का झुकाव साम्यवाद की तरफ है जो चीन की विचारधारा से काफी मेल खाता है! ऊपर बताये गए सभी बिंदु नेपाल की भारत के तरफ एक आक्रामक रवैये को दर्शाते है, और उसका सम्बन्ध कही न कही चीन से दिखाते है! क्योकि नेपाली साम्यवादी सरकार का भारत की लोकतान्त्रिक सरकार से विचारधारात्मक सम्बन्ध नहीं है, ऐसे में भारत के विशेषज्ञ भी यही मानते है की नेपाल का भारत की तरफ कड़ा रुख अख्तियार करना उसकी आक्रामक विदेश नीति और चीन की तरफ उसके रुख को दर्शाता है! नेपाल की साम्यवादी सरकार का भारत के बजाये चीन के तरफ ज्यादा झुकाव है, जिसके पीछे कही न कही चीन का हाथ हो सकता है! इसके अलावा नेपाल द्वारा नेपाल की जनता जिसके 55 % से ज्यादा नागरिक भारत में नौकरी करते है तथा बहुत से विद्यार्थी भारत में शिक्षा भी ग्रहण करते है जिनमे भारत नेपाल के विद्यार्थियों को हर साल भारत में आकर शिक्षा लेने के लिए 3000 से ज्यादा स्कालरशिप प्रदान करते है(Embassy of India), को भी राष्ट्रीयता के मुद्दे के बल पर भारत के खिलाफ करने की कोशिश हो सकती है!

जो देश पिछले कई सालो से भारत के साथ अपने मधुर सम्बन्ध कायम किये हुए था उसने आज अपना रवैया बदल लिया है नेपाल की भारत के प्रति उसकी विदेश नीति में बदलाव इस बात की ओर संकेत करती है की उसकी नयी साम्यवादी सरकार पर किसी और का प्रभाव है! क्योकि 2015 में चीन ने नेपाली साम्यवादी दल के नेता श्री के. पी. ओली की सरकार को गिरने से बचाया था चीन के कुछ अम्बेसेडरो ने नेपाल के कुछ नेताओ से बात करके श्री के. पी. ओली की सीट बचा ली थी (The Kathmandu Post 4-May -2020) तभी से नेपाल का रुख चीन की तरफ हो गया है चीन ने इस पहले किसी भी देश की घरेलू राजनीति में इतना दखल नहीं दिया इसके पीछे का मकसद चीन द्वारा नेपाल की साम्यवादी सरकार को हमेशा बनाये रखना है और भविष्य में नेपाल में अपने प्रोजेक्ट्स को बढ़ाना है!

मेरा मानना है की यदि नेपाल को चीन अपने अधीन कर लेता है और तिब्बत की तरह नेपाल में भी नियंत्रण कर लेता है तो उसकी प्रत्यक्ष बहुत बड़ी सीमा भारत के साथ लग जाएगी, और यह भारत के रणनीतिक नजरिये से बिलकुल ठीक नहीं है इसके लिए जरूरत है की नेपाल को चीन के मामले में कूटनीतिक दृष्टिकोण रखना चाहिए और भारत के साथ अपने सम्बन्धो को सुधारना चाहिए क्योकि भारत ने हमेशा से नेपाल का हर मुश्किल में साथ दिया है भारत को भी नेपाल के साथ इस क्षेत्रीय मसले को वार्ता करके वार्ता करके सुलझाना चाहिए ताकि दोनों देशो के नागरिको के साथ अंतरराष्ट्रीय संगठन को भी कोई परेशानी ना आये!

(हिमांशु)


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Author

Riya bawa

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