जल है तो कल है फिर क्या हल है?

punjabkesari.in Thursday, Oct 03, 2019 - 11:54 AM (IST)

वर्तमान समय में समस्त विश्व जल संकट से ग्रस्त है कहीं पर बाढ़ आ रही है तो कहीं पर सूखा पड़ रहा है मानव जाति के प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के कारण जलवायु मे भारी परिवर्तन हो रहा है जिसके फलस्वरूप इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो रही है। जल संकट की गम्भीरता का अंदाजा इस वर्ष भारत के चैन्नई शहर मे देखने को मिला जहाॅ पर नगर निगम द्धारा अधिंकाश आफिस , बड़े होटल आदि को कुछ समय के लिए जल की किल्लत को देखते हुए अनऔपचारिक रूप से बंद करने पड़े , भारत के 21 अन्य शहर भी गम्भीर जल संकट से ग्रस्त है , तेल के लिए तो हम खाड़ी युद्ध देख ही चुके है अब जल के लिये युद्ध की बारी है। समय तेजी के साथ हाथों से निकलता जा रहा है पीने योग्य जल मे लगातर गिरावट देखी जा रही है बोतल बंद जल का प्रचलन बढ़ना , जल को सामान्यतः दूषित होने को दर्शाता है।

 

दूषित जल के कारण ही कैंसर, टाईफाइड , हैपिटाटिस , कोलरा , डायरिया आदि गम्भीर रोगों की संख्या मे वृद्धि हो रही है । जल संकट का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व में पीेने योग्य जल का मात्र 4 प्रतिशत जल ही भारत मे शेष है वंही दूसरी ओर दुनिया मे 97ण्5 प्रतिशत जल पीने योग्य नही है केवल 2ण्5 प्रतिशत जल ही पीने योग्य शेष बचा हुआ है इस समय पूरे भारत सहित पूरे विश्व को इस गम्भीर समस्या से लड़ने की आवश्यकता है तथा इस समस्या के निदान के लिए प्रचार एंव प्रसार कर आम आदमी तक पहुंचाने की आवश्यकता है । हम भारतीय ही नही पूरी दुनिया इस समय जल संकट से ग्रस्त है यदि हम कुछ उपाय एंव अपनी आदतों मे परिवर्तन करें तो किसी हद तक हम इस समस्या पर काबू कर सकते है


पीने योग्य जल बचाने के कुछ उपाय निम्न प्रकार है

  •  बैंकट हाल , शापिंग माल , कालेज आदि में रजिस्ट्रेशन के समय अनिवार्य रूप से वाटर हारवेस्टिंग प्लांट लगाने का प्राविधान होना चाहिए।
  • हर नगर मे वाटर रीसाइक्लिंग प्लांट (Water recycling plant) बनाने के लिए सरकार को गंम्भीर रूप से विचार करना होगा।
  • पानी की बर्बादी को रोकने के लिए जल को राष्ट्र धरोहर घोषित कर कुछ कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है।
  • फैक्ट्रीयों के दूषित केमिकल की निकासी से जल सबसे अधिक प्रदूषित होता है इस प्रकार के कारखानों को चिन्हित कर इन पर अधिक से अधिक वृक्ष लगाने एंव इनकी देखभाल करने की बाध्यता करनी होगी।
  • नगर निगम एंव नगर पालिकाओं को सरकार द्धारा आविंटित धन मे से कम से कम 30 प्रतिशत धन जलसंरक्षण मे खर्च करने का प्राविधान लागू करना होगा ।
  • हर्बल साबुन एंव वाशिंग पावडर का अधिक प्रयोग करना चाहिए तथा केमिकल युक्त साबनु एंव वांशिग पावडर के प्रयोग से बचना चाहिए।
  • यदि संभव हो तो नहाने के लिए शावर (फव्वारा) का प्रयोग करें इसके प्रयोग से जल बहुत कम खर्च होता है।
  • जल का टैंक भरते समय उस पर नजर रखें , अनदेखी करने पर बहुत अधिक जल अक्सर नालीयों मे जाकर बर्बाद हो जाता है ।
  • स्कूलों मे भी बच्चों को जल की उपयोगिता एंव उचित प्रयोग की जानकारी देने की आवश्यकता है।

अभी भी समय है सभंलने का, यदि समय रहते हुए उचित प्रयास किए गए तो निश्चित रूप से इस भंयकर समस्या से मुक्ति मिल जाएगी नहीं तो वो दिन दूर नही जब पीने के पानी के लिए नगरों में दंगो जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगेगी, जल के लिए हाहाकार मच जाएगा। उपरोक्त सुझाव एंव उपाय को यदि गंम्भीरता से लिया जाये तो हम श्जलश् जो कि जीवन के लिए अनिवार्य है इसको दूषित होने से बचा सकते है तथा अपनी इस धरती को आने वाली पीड़ितों के लिए रहने योग्य बनाए रख सकेगें।

अनुराग भटनागर, एडवोकेट 


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Seema Sharma

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