चीन के वायरल खेल का कड़वा सच ​​​​​​​

punjabkesari.in Thursday, Sep 10, 2020 - 07:12 PM (IST)

चीन को अगर एक रहस्यमयी देश कहा जाए तो ये ग़लत न होगा, चीन हमेशा से अपनी हर बात दुनिया से छिपाता आया है और ये कम्युनिस्ट पार्टी का उसूल भी है, हालात चाहे जितने भी गंभीर हों सच्चाई जानना चीन में बहुत कठिन काम है। अब कोरोना महामारी की बात को ही लीजिये, दुनिया जानती है कि चीन के वुहान शहर की वायरोलॉजी के सबसे बड़े लैब से कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला है, वो बात अलग है कि चीन न सिर्फ़ आजतक इस आरोप को नकारता रहा है बल्कि कोविड महामारी का आरोप अमेरिका पर भी लगाता रहा है, मसलन, वर्ष 2019 में वुहान में विश्व सैन्य खेलों का आयोजन किया गया था, जिसमें इस बार अमेरिकी खिलाड़ियों का प्रदर्शन बहुत ख़राब रहा था, चीन इसका मनगढ़ंत तरीके से आरोप अमेरिका पर ये कहते हुए लगाता है कि इस बार अमेरिका ने साज़िशन अपने देश के खिलाड़ियों को नहीं बल्कि वायरोलॉजिस्ट्स को भेजा था जिन्होंने खेलों के दौरान मौका देखकर वुहान के मछली मार्केट में वायरस का संक्रमण फैला दिया।

चीन से वायरस का फैलाव
हालांकि सूत्रों के मुताबिक सच्चाई इसके एकदम बरक्स है, वुहान में चीन की सबसे बड़ी वायरस लैब है जहां पर दुनिया भर के अलग अलग तरह के वायरस पर रिसर्च किया जाता है, भविष्य में होने वाले युद्धों में चीन इस वायरस का जैविक हथियारों के तौर पर इस्तेमाल अपने शत्रुओं के लिये करना चाहता था, जिसका पहला प्रयोग हांगकांग में चल रहे लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने में किया जाना था, क्योंकि चीन एक कम्युनिस्ट देश है और किसी भी रूप में अपने देश में लोकतंत्र को पनपने देना नहीं चाहता, चीन का उद्देश्य तानाशाह परस्त कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता को दिनोंदिन आस पड़ोस के देशों में भी फैलाना है। लेकिन हुआ इसके एकदम उलट, यहां एक पुरानी कहावत चरितार्थ होती है कि जब कोई दूसरों के लिये गड्ढा खोदता है तो सबसे पहले वो खुद उस गड्ढे में गिरता है, लेकिन चीन के इस वायरल खेल में चीन के साथ पूरी दुनिया गड्ढे गिर गई।

कोरोना वायरस किसी वायरोलॉजिस्ट की गलती से दुर्घटनावश वुहान में ही फैल गया जिससे हज़ारों लोगों की जान चली गई, उसके बाद ये पूरी दुनिया में फैला जिससे अभी तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है और कई देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। इसका भी चीन ने ज़बर्दस्त तरीके से लाभ उठाया जहां विदेशी निवेशकों ने अपने व्यापारिक संस्थानों को बंद कर चीन छोड़ना उचित समझा वहीं चीन की सरकार के इशारे पर वहां के मक्कार व्यापारियों उन विदेशियों के उपक्रमों को धूल के भाव खरीदना शुरु कर दिया, इसके बाद जब कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैलने लगा और उन देशों की अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने लगी तो वहां भी चीनी व्यापारियों ने बहुत कम दामों पर उन देशों में व्यापार को खरीदना शुरु कर दिया जिससे हालात सामान्य होने पर वहां से लाभ कमाया जा सके।

इंसानियत को किया दरकिनार
इसके अलावा जब सारी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही थी तब भी चीन इस बीमारी के बहाने बिज़नेस ढूंढ रहा था, उसने कई देशों में मास्क, दस्ताने और पीपीई किट को सप्लाई किया जिसकी एवज़ में उसने उन देशों से भारी भरकम रकम भी वसूली। इंसानियत को ताख पर रखकर चीन ने इटली को उन्हीं के मेडिकल उपकरणों को बेचा जो इटली ने चीन में वायरस फैलने पर मानवीय आधार पर दान किये थे। इस वजह से पूरी दुनिया इस समय चीन के खिलाफ़ हो गई है। कई देशों में वहां की जनता ने चीन के खिलाफ़ अपना रोष प्रकट किया, वहीं जर्मनी ने तो अपने देश को कोरोना वायरस के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये चीन पर 130 बिलियन पाउंड का जुर्माना भी ठोंका। एक बात यहां पर चौंकाने वाली है कि पूरे हुपे प्रांत में कोविड -19 ने तांडव करना शुरु कर दिया लेकिन इस आग की लपट न तो शांगहाई तक पहुंची और न ही बीजिंग तक और न ही किसी और प्रांत या शहर में, अगर पहुंची भी तो ना के बराबर। वहीं इस वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। इससे चीन पर शंका होना लाज़िमी है कि ऐसा कौन सा वायरस है जो अपनी जन्मभूमि पर तो एक सीमित दायरे में सिमटा रहा लेकिन इसने दुनिया जहान को अपना ग्रास बना लिया।

वैक्सीन की आड़ में मुनाफ़ा कमाने की ललक
दुनिया भर के वैज्ञानिक इस समय कोरोना वायरस से मुकाबले के लिये वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं, चीन भी दावा कर रहा है कि उसने वायरस से लड़ने वाली वैक्सीन को तैयार कर लिया है जिसका मानवीय परीक्षण इस समय चल रहा है और अगले वर्ष के मध्य तक वो अपनी वैक्सीन बाज़ार में उतार देगा, यहां पर भी चीन अपना फायदा देख रहा है, चीन नहीं चाहता कि कोई और देश इस क्षेत्र में बाज़ी मारे, इसलिये चीन अपने मीडिया के ज़रिये प्रोपोगैंडा फैलाकर दुनिया को ये संदेश देना चाहता है कि उसकी वैक्सीन सबसे पहले बाज़ार में आने वाली है जो कि सबसे ज्यादा असरकार होगी। इन सबके पीछे चीन मुनाफ़ा देख रहा है और चीन नहीं चाहता कि वैक्सीन से मुनाफ़ा कमाने में वो किसी देश से पीछे रहे।

चीन की विस्तारवादी नीति
एक तरफ़ पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला हुआ है वहीं चीन अपनी विस्तारवादी नीति में लगा हुआ है, मुसीबत की इस घड़ी में भी चीन अपने पड़ोसियों की ज़मीन हड़पने से बाज़ नहीं आ रहा है इसके चलते उसका अपने पड़ोसियों से हिंसक विवाद भी कोई नई बात नहीं है। एक तरफ़ उसने अपने पुराने पड़ोसी देश भारत की ज़मीन हड़पने को लोकर हिंसक विवाद किया जिसमें गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के बीस वीर सैनिकों की हत्या की वहीं इस वारदात में उसके भी चालीस से ज्यादा सैनिक मारे गए। चीन ने अपने पड़ोसी देश नेपाल के गोरखा ज़िले के रुई गांव पर अपना कब्ज़ा जमा लिया और दोनों देशों के बीच बने नेपाल के चेक पोस्ट तक उखाड़ डाले, नेपाल की ओली सरकार डर के कारण कुछ बोल नहीं पा रही है। इसके अलावा भी दक्षिणी चीन सागर में चीन अपना प्रकोप दिखाने से बाज़ नहीं आ रहा है, वियतनाम, इंडोनेशिया, ताईवान, मलेशिया, ब्रूनेई और फिलिपींस समेत कई देश चीन के आक्रामक रुख से परेशान और सहमे हुए हैं।

चीन का उद्देश्य पूरी दुनिया को पहले आर्थिक तौर पर अपने कब्ज़े में लेना है और बाद में उनपर अपना परोक्ष प्रभुत्व स्थापित करना। आने वाले दिनों में चीन से पूरी दुनिया को सतर्क रहने की ज़रूरत है, जैसे जैसे चीन अपनी ताकत बढ़ाता है वैसे ही सारी दुनिया में डर का माहौल फैल जाता है। इस समय ज़रूरत है पूरी दुनिया को चीन के खिलाफ़ एकजुट होने की और उसकी चालबाज़ियों का मुकाबला करने की क्योंकि चीन अपना बाहुबल दुनिया पर आधिपत्य जमाने के लिये हर कोशिश कर रहा है और उसका मकसद पूरी दुनिया पर अपना परचम फहराने का है। ऐसी शैतानी ताकत के खिलाफ़ दुनिया को तुरंत कदम उठाना होगा नहीं तो आने वाला समय चीन के दंश को झेलने के लिये तैयार रहे।

 

     


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Yaspal

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