मानसिक विकृति से जन्मा बलात्कारी

punjabkesari.in Friday, May 22, 2020 - 01:51 PM (IST)

उत्तराखण्ड के मुनस्यारी में 17 साल की लड़की ने बार-बार बलात्कार से तंग आकर खुद को आग लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया। आरोपित पर मुकदमा चलेगा, सजा होगी। हैदराबाद रेप पीड़िता को न्याय मिल गया, वर्ष 2012 में पुरे भारत को हिलाने वाले निर्भया कांड के आरोपियों को लंबे इंतजार के बाद फांसी के तख्ते पर लटका दिया गया, उन्नाव रेप पीड़िता न्याय के लिये लड़ते हुए जला दी गयी।

रॉयटर्स द्वारा किए गये एक सर्वे के अनुसार भारत महिलाओं के रहने के लिये सबसे खतरनाक देश है। महिलाओं को देवी की तरह पूजे जाने वाले देश में ऐसा क्या हो गया है जिससे महिलाओं को हवस मिटाने वाले सामान की तरह देखा जाता है। अगर बिना जोर जबरदस्ती के काम हो गया तब तो ठीक है नही तो एक लाश को नोचकर भी बलात्कारियों की हवस शांत नही होती।

बलात्कार को रोकने और उन्हें सजा दिलाने के लिए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल लगातार संघर्ष करती रहती हैं व अन्य अनेक संस्थाएं, संगठन इसके लिये संघर्षरत हैं। शायद बलात्कार की सजा कठोर हो जाए, इसे रोकने के लिये कड़े कानून भी बन जाये पर क्या उससे ऐसे लोग खत्म हो जायेंगे जिनके मन में एक अजन्मा बलात्कारी पल रहा है? लोग राह चलती महिला को ऊपर से नीचे घूरना बन्द कर देंगे? माता-पिता अपनी बेटियों को रात में अकेले सफर पर भेजने से पहले डरेंगे नही?

अजन्में बलात्कारी को समाज से मिटाने के लिए सबसे पहले उस सोच को समाप्त करना जरुरी है जिससे एक बलात्कारी जन्म लेता है। एक भाई, बेटा, पति कैसे बलात्कारी बन जाता है और उसकी सोच इतनी विकृत कैसे हो जाती है यह जानना जरूरी है। बलात्कार की घटनाओं की संख्या क्यों कम नही ही रही है इसका कारण जानने के लिये हमें समय में थोड़ा पीछे जाना होगा जब सस्ती मैगज़ीनें बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अभिनेत्रियों के अश्लील चित्र छापने लगे। फिल्मों में महिलाओं को सिर्फ मनोरंजन के साधन के रूप में पेश किया जाने लगा। जनसंचार के लगभग सभी साधनों में कामुकता परोसी जाने लगी।

नाटकों, डिस्को, बार में अश्लीलता शामिल हो गयी। जो दिखता है वही बिकता है के सिद्धांत पर शरीर के प्रदर्शन को पैसे कमाने का जरिया बना दिया गया।
भारतीय अपनी संस्कृति, संस्कार भूल कर पश्चिमी संस्कृति को अपनाने लगे। इंटरनेट की क्रांति या यूँ कहे सस्ते डाटा की शुरुआत से सब कुछ बदल गया। शिक्षण सम्बन्धी साइटों, समाचारों से जुड़ी साइटों की जगह पोर्न साइटों ने ले ली। सस्ता मिलता डाटा सिर्फ पोर्न से जुड़ी सामग्रियों में खर्च होने लगा।

हमारे शिक्षा तंत्र में सेक्स एजुकेशन की कमी ने युवाओं को रास्ते से भटका दिया। व्यसनी भोजन, सरकार का मदिरा प्रेम अपराध और बलात्कार को जन्म देने के लिये उत्तरदायी है। हेलो, लाइक, टिकटोक, विगो, वाट्सएप, हैपन, फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे विदेशी एप्लिकेशनस ने अश्लीलता को परोसने में मदद की।
सस्ते इंटरनेट और युवा वर्ग प्रधानता की वजह से भारत इन विदेशी कम्पनियों के लिये एक बहुत बड़ा बाज़ार है।

पोर्न साइटों पर बैन, टेलीविजन में अश्लीलता पर रोक, मदिरा पर रोक, सेक्स एजुकेशन शायद कुछ ऐसे उपाए हैं जो रेप पर एक सख्त कानून बनने से पहले ही एक अजन्मे बलात्कारी को मार सकते हैं।

(हिमांशु जोशी)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Author

Riya bawa

Recommended News