कोरोना से जंग : विपरीत परिस्थितियों में भी लड़ने का ज़ज़्बा : कहानी हमारे माही की

punjabkesari.in Monday, Jun 08, 2020 - 04:18 PM (IST)

सार
● कोरोना ने विश्व में खेल की सारी गतिविधियां बन्द कर दी है।
●धोनी ने अपने खेल जीवन की शुरुआत सचिन जैसे महान खिलाड़ियों के साथ खेल कर की।
●धोनी ने भारत को 2011 क्रिकेट एकदिवसीय विश्व कप जीत दिलायी।
●चेन्नई सुपरकिंग्स की आईपीएल में दो साल के बैन के बाद वापसी में धोनी ने उसे खिताब जिताया।
●2019 क्रिकट एकदिवसीय विश्व कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद से धोनी क्रिकेट से दूर हैं।
●कोरोना काल की इस उदासी में हम धोनी के जीवन से सीख ले सकते हैं।

विस्तार
ज़ज़्बा कुछ कर गुजरने का, ज़ज़्बा खुद को साबित करने का। खेलों से हम बहुत कुछ सीखते हैं, खुद को खेल के मैदान में झौंक कर विपक्षी के जबड़े से जीत को छीन लाना।करोड़ों लोगों के सामने खिलाड़ी अपनी हिम्मत और समर्पण से सभी का दिल जीत लेते हैं। आज कोरोना से पूरा विश्व लॉकडाऊन में है। मनुष्य जाति एक अनदेखे वायरस से लड़ रही है। मनुष्यों को हिम्मत, लड़ने का जज़्बा देने वाली सारी खेल गतिविधियां बन्द पड़ी हैं। टीवी खोलने पर स्पोर्ट्स चैनल या तो पुराने मैच दिखा रहे हैं या खिलाड़ियों की वीडियो चैट। खेलों की दुनिया में ऐसे कई महान खिलाड़ी हुए जिनसे हम कोरोना के खिलाफ जंग में बहुत कुछ सीख सकते हैं। कोरोना काल में कुछ लोगों द्वारा बेरोजगार होने पर आत्महत्या की खबरें भी आ रही हैं। इन खिलाड़ियों से हम सीख सकते हैं कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी इन्होंने अपने विपक्षी को घुटनों पर ला दिया।

 उदाहरण बहुत हैं, मिसाले बहुत हैं पर हम यहाँ बात करेंगे एक ऐसे खिलाड़ी की जिसने एक साधारण परिवार में जन्म लेकर भी खुद को एक ऐसे मुक़ाम तक पहुँचाया जहाँ पहुँचना हर खिलाड़ी का सपना होता है। उस खिलाड़ी पर उसके सन्यास लेने से पहले ही एक पुरी फीचर फिल्म बन गयी। उसने एक बहुत बड़े देश की उम्मीदों का भार अपने कंधों पर ढोया और उस उम्मीद को अपने मुकाम तक पहुँचाया भी। जी हाँ यहाँ बात हो रही है भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की। 

एक ऐसा क्रिकेटर जिसके लिये कहा गया अनहोनी को होनी कर दे वो है धोनी। 1983 के वर्ल्ड कप की यादें अब हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी के मस्तिष्क में धुंधली पड़ चुकी थी और नयी पीढ़ी ने उस जीत को सिर्फ किस्सों में ही सुना था। सचिन तेंदुलकर भारतीय क्रिकेट को चमकती भारतीय अर्थव्यवस्था की तरह ही आगे ले जा रहे थे, भारत अब क्रिकेट की दुनिया का फिस्सडी देश नही रह गया था पर फिर भी एक कमी थी खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट में प्रभुत्व समाप्त करने की। भारत की 2001 में कोलकाता टेस्ट मैच की जीत इसका शंखनाद थी। 

2003 में हम ऑस्ट्रेलिया से वर्ल्ड कप के फाइनल में हारे। 2004 के अंत में धोनी भारतीय क्रिकेट टीम में आये और जल्द ही इस टीम के कप्तान बना दिये गये। यहाँ उन्होंने पूरे देश को युवा शक्ति दिखायी और भारत को 2007 में टी-20 का पहला विश्व कप दिलाया। विकेट के आगे और पीछे धोनी की अद्भुत तेजी के साथ ही 2009 में भारतीय क्रिकेट टीम इनकी कप्तानी में टेस्ट की नम्बर एक टीम बनी। आईपीएल में धोनी चेन्नई सुपरकिंग्स का चेहरा बन गए। धोनी की कप्तानी में चेन्नई 3 बार आईपीएल का खिताब जीती। 2010 में देहरादून में उत्तराखण्ड की साक्षी सिंह रावत से महेंद्र सिंह धोनी शादी के बंधन में बंध गए।
भारत ने 2011 में एकदिवसीय क्रिकेट विश्वकप की मेजबानी की। सचिन का अंतिम वर्ल्ड कप होने के कारण शुरू से ही भारत पर वर्ल्ड कप जीतने का दबाव था। पूरी भारतीय क्रिकेट टीम और हर एक भारतीय क्रिकेट प्रेमी सचिन के लिये विश्व कप जितना चाहता था। श्रीलंका के खिलाफ धोनी द्वारा मारे गये विजयी छक्के के बाद सचिन का भारतीय खिलाड़ियों के कंधे पर बैठकर पूरे मैदान के चक्कर काटने का दृश्य हर भारतीय के जेहन में अमर हो गया।

2014 में धोनी ने एक चौंकाने वाले फैसला लिया उन्होंने टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी छोड़ने के साथ ही टेस्ट क्रिकेट से सन्यास का फैसला लिया। क्रिकेट के चक्रव्यूह को भेदने का ज्ञान रखने वाले धोनी का यह निर्णय क्यों लिया गया शायद ही कभी देश को यह पता चल पाये।  कैप्टन कूल कहे जाने वाले धोनी का विवादों से भी नाता रहा। चेन्नई सुपरकिंग्स के बैन पर साधी गयी चुप्पी हो या वरिष्ठ खिलाड़ियों को टीम से बाहर निकालने को लेकर विवाद।धोनी हमेशा इन विवादों से मजबूती से बाहर आये और मैदान पर अपने प्रदर्शन से आलोचकों की बोलती बंद करते गये।

2015 में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले 50 ओवर क्रिकेट विश्व कप के ठीक पहले धोनी एक खूबसूरत बच्ची के पिता बने पर उन्होंने बच्ची को देखने के लिये भारत वापस आने से ज्यादा जरुरी देश के लिये अपनी जिम्मेदारी को समझा और विश्व कप खत्म होने के बाद ही अपने परिवार से मिलने का फैसला लिया। भारत इस विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया।

2016 में महेन्द्र सिंह धोनी पर आयी फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित हुई। 2017 की शुरुआत में विराट कोहली भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बना दिये गए। धोनी की कप्तानी पर कभी सवाल नही उठाया गया पर फिर भी भविष्य को देखते हुये विराट को कप्तानी देना एक सही फैसला लगा। कोहली भी धोनी के साथ मिलकर भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने में लग गये। बुमराह, चहल, कुलदीप यादव जैसे खिलाड़ियों को विकेट के पीछे से धोनी ने क्रिकेट के गुर सिखाए और विपक्षी खिलाड़ियों का शिकार करना सिखाया।

दो साल के बैन के बाद 2018 में जब आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स की वापसी हुई तो धोनी ने राइजिंग पुणे  सुपरजीएंट्स के साथ अपने दो साल के निराशाजनक प्रदर्शन को भुलाकर चेन्नई को खिताब जिताकर यह साबित किया कि शेर अभी बूढ़ा नही हुआ है।

इंग्लैंड में खेले गये 2019 एकदिवसीय क्रिकेट विश्वकप
में धोनी के प्रदर्शन को आलोचकों ने धीमा कहना शुरु कर दिया था। धोनी उन सभी को जवाब देंने के करीब भी आ गए थे पर सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ बेहद दबाव की स्थिति में भी जडेजा के साथ मिलकर भारत को जीत के नज़दीक पहुँचाकर धोनी रन ऑउट हो गए। उस रनऑउट के दृश्य ने करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का दिल तोड़ दिया था और भारत का विश्व कप में सफर वहीं समाप्त हो गया।

विश्वकप के बाद से ही धोनी ने खुद को क्रिकट से दूर रखा है।इंग्लैंड में होने वाले 2020 टी20 वर्ल्ड कप में धोनी की वापसी की उम्मीद थी और इसके लिये उन्हें आईपीएल में बेहतरीन प्रदर्शन करना था पर कोरोना ने हर उस क्रिकेट प्रेमी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया जो धोनी को वापस नीली जर्सी में खेलता देखना चाहते हैं।

पद्मभूषण, पद्मश्री, राजीव गांधी खेल रत्न अवार्डी, टेरिटोरियल ऑर्मी के लेफ्टिनेंट कर्नल( मानद उपाधि ), आईसीसी के कई पुरस्कार जीत चुके धोनी सोशल मीडिया से अपने फैंस से जुड़े रहते हैं। झारखंड में अपने परिवार के साथ रह रहे धोनी बाईक्स, कार के शौकीन हैं। फुटबॉल के शौकीन धोनी आईएसएल के चेन्नईयिन फुटबॉल क्लब के मालिक भी हैं।

इंस्टाग्राम पर बेटी जीवा के अकाउंट पर पोस्ट की गई एक वीडियो में धोनी की दाढ़ी के बाल सफेद दिखने पर ट्रॉलर्स ने धोनी को ट्रॉल करना शुरू कर दिया पर शायद लगभग पिछले दो दशक से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का दबाव सह रहे धोनी को शायद ही इससे कोई फर्क पड़ा हो। अब धोनी की रांची की सड़को पर स्वराज ट्रैक्टर दौड़ाते वीडियो वायरल हो रही है जो उनकी सकारात्मक सोच को दर्शाती है।

ये कहावत पुरानी है कि शेर कभी बूढ़ा नही होता और विकेटों के बीच चीते की तरह तेज़ दौड़ने के साथ विकेट के पीछे चीते की तरह शिकार करने वाले धोनी को देखकर यह नही लगता कि ये शेर इतनी जल्दी शिकार करना छोड़ेगा। धोनी ने अपने क्रिकेट कॅरियर के सारे फैसले अपनी मर्जी से लिये हैं और शायद उनसे अच्छी तरह और कोई यह नही जानता कि उन्हें कब तक क्रिकेट खेलना है। आज कोरोना काल में धोनी के जीवन से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और इस जंग में विजयी हासिल कर सकते हैं। मानव जीवन एक खेल ही है और हमें इसे जीतने के लिये ही खेलना चाहिए बाकि जीत हार क़िस्मत पर है।

(हिमांशु जोशी)


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Author

Riya bawa

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