शत्रुओं को वश में करने का खास शस्त्र जिससे पलट जाता है हर वार

punjabkesari.in Thursday, Jul 28, 2016 - 10:58 AM (IST)

राजा विनय सिंह अत्यंत शक्ति सम्पन्न शासक थे। वह अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझते थे इसलिए उनके अपने ही राज्य के अनेक लोग उनसे अप्रसन्न थे और अक्सर उनकी फौजों पर हमला बोल देते थे। बार-बार होते इन हमलों से परेशान एक दिन वह अपने राजगुरु से बोले, ‘‘गुरु जी, शत्रु हम पर कभी भी धावा बोल देते हैं। हमें इसका पता नहीं लग पाता। हैरानी तो इस बात की है कि हम पर हमला करने वाले हमारे ही राज्य के लोग हैं। ऐसे में हम उन पर कैसे वार करें?’ 

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राजगुरु बोले, ‘‘पुत्र, तुम उन पर बिना देखे वार करो।’’ 
 
विनय सिंह हैरानी से राजगुरु से बोले, ‘‘ऐसा तो कोई हथियार नहीं होता जो शत्रु को देखे बिना उस पर चलाया जाता हो। ऐसे अनजाने-अनदेखे व्यक्तियों को भला मैं किस शस्त्र से मारूं?’’
 
न करें ये काम, वरना छिन जाएगा सुख-चैन
 
राजगुरु बोले, ‘‘तुम उनको ऐसे शस्त्र से मारो जो लोहे या किसी सख्त धातु से न बना हो, मृदृ हो और सीधा हृदय को बेधने वाला हो।’’  
 
अब तो राजा और बेचैन हो गया। वह राजगुरु से बोला, ‘‘गुरु जी, भला ऐसा कौन-सा शस्त्र है और कहां मिलता है? मैंने तो ऐसे किसी शस्त्र के बारे में नहीं सुना।’’
 
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राजगुरु बोले, ‘‘वह शस्त्र है- यथाशक्ति सारी प्रजा को जीविका उपलब्ध करवाना। जब प्रजा को रोजगार मिल जाता है तो उसकी अधिकतर समस्याएं हल हो जाती हैं। दूसरा शस्त्र है मीठा बोलना और मीठे बोल के अनुरूप ही काम करना। तीसरा शस्त्र है योग्य व्यक्तियों का सम्मान करना। ये तीनों शस्त्र लोहे या सख्त धातु के नहीं हैं लेकिन लोगों के हृदय पर काफी प्रभाव डालते हैं।’’
 
यदि इन शस्त्रों से अपने विरोधियों को जीत लोगे तो वे पीछे से प्रहार नहीं करेंगे और तुम्हारे वश में हो जाएंगे। राजगुरु की बातें सुनकर राजा विनय सिंह को सत्यबोध हुआ। उसने शीघ्र ही अपना व्यवहार बदला और कुछ ही समय में प्रजा का प्रिय बन गया।

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