संसार का सबसे किमती तोहफा, अमीर व्यक्ति भी देने से पहले सोचेगा

punjabkesari.in Wednesday, Mar 02, 2016 - 11:29 AM (IST)

मोहन काका डाक विभाग के कर्मचारी थे। बरसों से वे माधोपुर और आसपास के गांवों में चिट्ठीयां बांटने का काम करते थे। एक दिन उन्हें एक चिट्ठी मिली। पता माधोपुर के करीब का ही था लेकिन आज से पहले उन्होंने उस पते पर कोई चिट्ठी नहीं पहुंचाई थी। रोज की तरह आज भी उन्होंने अपना थैला उठाया और चिट्ठीयां बांटने निकल पड़े। सारी चिट्ठीयां बांटने के बाद वह उस नए पते की ओर बढऩे लगे। दरवाजे पर पहुंचकर उन्होंने आवाज दी, ‘‘पोस्टमैन!’’ अन्दर से किसी लड़की की आवाज आई, ‘‘काका, वहीं दरवाजे के नीचे से चिट्ठी डाल दीजिए।’’

‘‘अजीब लड़की है, मैं इतनी दूर से चिट्ठी लेकर आ सकता हूं और ये महारानी दरवाजे तक भी नहीं निकल सकती।’’ 

काका ने मन ही मन सोचा। ‘‘बाहर आइए! रजिस्ट्री आई है, हस्ताक्षर करने पर ही मिलेगी।’’

 काका खीजते हुए बोले। ‘‘अभी आई’’ अन्दर से आवाज आई।

काका इंतजार करने लगे, पर जब 2 मिनट बाद भी कोई नहीं आया तो उनके सब्र का बांध टूटने लगा। ‘‘यही काम नहीं है मेरे पास, जल्दी करिए और भी चिट्ठीयां पहुंचानी हैं’’ 

और ऐसा कहकर काका दरवाजा पीटने लगे। कुछ देर बाद दरवाजा खुला। सामने का दृश्य देखकर काका चौंक गए। एक 12-13 साल की लड़की थी जिसके दोनों पैर कटे हुए थे। उन्हें अपनी अधीरता पर शर्मिंदगी हो रही थी। लड़की बोली,‘‘क्षमा कीजिएगा मैंने आने में देर लगा दी, बताइए हस्ताक्षर कहां करने हैं?’’ 

काका ने हस्ताक्षर करवाए और वहां से चले गए। इस घटना के 8-10 दिन बाद काका को फिर उसी पते की चिट्ठी मिली। इस बार भी सब जगह चिट्ठीयां पहुंचाने के बाद वह उस घर के सामने पहुंचे। ‘‘चिट्ठी आई है, हस्ताक्षर की भी जरूरत नहीं है, नीचे से डाल दूं।’’ काका बोले।

‘‘नहीं-नहीं रुकिए मैं अभी आई।’’ लड़की भीतर से चिल्लाई। कुछ देर बाद दरवाजा खुला। लड़की के हाथ में गिफ्ट पैकिंग किया हुआ एक डिब्बा था। ‘‘काका लाइए मेरी चिट्ठी और लीजिए अपना तोहफा।’’ 

लड़की मुस्कुराते हुए बोली। ‘‘इसकी क्या जरूरत है बेटा’’, काका संकोचवश उपहार लेते हुए बोले। 

लड़की बोली,‘‘बस ऐसे ही काका, आप इसे ले जाइए और घर जाकर ही खोलिएगा।’’ 

घर पहुंचते ही उन्होंने डिब्बा खोला और तोहफा देखते ही उनकी आंखों से आंसू टपकने लगे। डिब्बे में एक जोड़ी चप्पलें थीं। काका बरसों से नंगे पांव ही चिट्ठीयां बांटा करते थे लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था। यह उनके जीवन का सबसे कीमती तोहफा था। काका चप्पलें कलेजे से लगाकर रोने लगे। उनके मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था कि बच्ची ने उन्हें चप्पलें तो दे दीं पर वह उसे पैर कहां से लाकर देंगे?

दोस्तो, संवेदनशीलता एक बहुत बड़ा मानवीय गुण है। दूसरों के दुखों को महसूस करना और उसे कम करने का प्रयास करना एक महान काम है। 


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