...तो मैं आसाराम के खौफ से क्यो डरूं?

punjabkesari.in Wednesday, Sep 02, 2015 - 11:20 AM (IST)

जोधपुर: यौनशोषण के आरोप में फंसे आसाराम को जेल में बंद पूरे दो साल हो गए। वहीं आसाराम को जेल पहुंचाने वाली लड़की ने अपने बुलंद हौंसले साझा किए है। कोर्ट में वकीलों के कड़े सवालों के बीच पीड़िता को कई बार धमकियां मिली। यहां तक कि परिवार को खत्म करने तक की धमकियां मिली कई प्रलोभन भी मिले। लेकिन इन सब के बावजूद पीड़िता अपने इंसाफ के लिए खड़ी है। 

पीड़िता ने इन दो सालों के बीच के दर्द को साझा करते हुए बताया कि तीन साल पहले मुझे 10वीं में 85 प्रतिशत अंक मिले थे। स्कूल में टॉप किया था। पर इस मामले के बाद स्कूल बीच में छूट गया। कोर्ट का लंबा सिलसिला थमा तो एक दिन यूं ही मलाला का ख्याल आया। सोचा कि तालिबानी आतंक और गोली खाने के बावजूद जब मलाला पढ़ सकती है, तो मैं आसाराम के खौफ से क्यो डरूं। तब मैंने फैसला किया कि पढऩा तो हर हाल में है। ओपन स्कूल से 12वीं का फॉर्म भरा।

रोज पांच से सात घंटे स्टडी का शेड्यूल बनाया। पर जब मैं पढऩे बैठती तो बूरी यादें परछाई की तरह इर्द-गिर्द मंडराने लगती। लगातार गवाहों की हत्या के बाद हरदम दिमाग में इस बात का डर लगा रहता कि मेरे ऊपर भी गोलियां बरस सकती हैं।  अब मैंने पुलिस में या फिर न्यायिक क्षेत्र में जाने की ठानी है ताकि पीड़ितों को न्याय दिलाने का सबसे महत्वपूर्ण काम कर सकूं।


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