तस्वीरों में देखें किसानों ने कैसे सड़कों पर आलू फैंककर जताया रोष, लोग आलू उठा ले गए घर...

punjabkesari.in Wednesday, Sep 20, 2017 - 10:37 AM (IST)

मोहाली(नियामियां) : भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) द्वारा मोहाली-चंडीगढ़ सीमा पर लगाया धरना आज सायं मोहाली, रोपड़ तथा फतेहगढ़ साहिब जिलों की पुलिस ने समाप्त कर दिया। डी.आई.जी. डी.एस. मीणा के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई में किसानों ने विरोध तो किया पर उनकी एक न चली। इस अवसर पर मोहाली के एस.एस.पी. कुलदीप सिंह चाहल सहित अन्य उच्चाधिकारी भी उपस्थित थे। 

 

सुबह से ही तीनों जिलों की पुलिस वहां एकत्रित होनी शुरू हो गई थी। किसानों ने दोपहर को लंगर तैयार किया, जिसके बाद शाम करीब 4 बजे चाय बनाकर सभी किसानों तथा पुलिसकर्मियों को पिलाई। उसके बाद अचानक ही पुलिसकर्मियों को आदेश मिलने पर उन्होंने किसानों को पकड़-पकड़ कर बसों में बैठाना शुरू कर दिया। किसानों की संख्या महज 300 के करीब थी जबकि पुलिसकर्मियों की संख्या 800-900 थी। पुलिस कर्मियों ने एक-एक किसान को पकड़कर बसों में बैठाकर वहां से रवाना कर दिया। इसी दौरान किसानों का धरने के लिए लगाया टैंट भी पुलिस ने उखाड़ दिया। 

 

मोहाली से बाहर निकाला किसानों को :
पुलिस ने सभी किसानों को अलग-अलग गाडिय़ों में बैठाकर मोहाली से बाहर निकाल कर लांडरां तथा खरड़ से आगे ले जाकर छोड़ दिया। किसानों में इस तरह धरना समाप्त को लेकर भारी रोष पाया जा रहा है तथा वे शीघ्र ही पूरे प्रबंध के साथ अगली कार्रवाई करने पर विचार कर रहे हैं। 

 

किसानों को आलू का नहीं मिल रहा उचित मूल्य :
इससे पहले किसानों ने सड़कों पर आलू फैंक कर प्रदर्शन किया। किसानों का कहना था कि एक क्विंटल आलू पैदा करने पर किसान का 110 रुपए का खर्च आता है परंतु यह आलू उनसे 90 रुपए में खरीदा जाता है इस तरह उन्हें 1 क्विंटल के पीछे 20 रुपए का घाटा पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मार्कीट में आलू काफी महंगा बिक रहा है। परंतु किसानों को इसका पूरा मूल्य नहीं मिल रहा है। उन्होंने वाई.पी.एस. चौक के इर्द-गिर्द ट्रॉलियां घुमाते हुए आलू सड़क पर गिरा दिए। कुछ किसानों ने आलूओं के हार बनाकर अपने गलों में लटकाए हुए थे।

 

कल फैंकी जानी थी पराली :
किसानों का प्रोग्राम था कि कल धान की पराली यहां फैंकी जाएगी ताकि पराली को जलाने पर लगाई गई पाबंदी के विरुद्ध रोष व्यक्त किया जा सके। किसानों को ऐसे लग रहा था कि शायद उनका यह शांतमयी धरना इसी तरह से चलता रहेगा तथा वह रोजाना अपनी मांगों के संबंध में कोई न कोई ऐसा ही प्रदर्शन करते रहेंगे। परंतु पुलिस ने उनकी सारी योजनाओं पर पानी फेर दिया।

 

शहरियों ने आलू उठाए :
जब किसान बेहतर किस्म के यह आलू सड़कों पर फैंक रहे थे तो पीछे से कुछ प्रवासी मजदूर तथा अन्य शहरी लोग इन आलूओं को अपने घर के लिए इकट्ठा करने में लगे हुए थे। एक बार तो पूरी सड़क पर आलू ही आलू हो गए तथा वाहनों द्वारा आलूओं को कुचले जाने पर वहां वाहनों की फिसलने का भी खतरा हो गया। 


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