21 तोपों की सलामी, फ्लाई पास्ट के साथ मार्शल अर्जन सिंह को अंतिम विदाई

punjabkesari.in Monday, Sep 18, 2017 - 03:05 PM (IST)

नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए। मार्शल अर्जन के बेटे ने उनका दाह-संस्कार किया। नई दिल्ली के बरार स्क्वायर में उन्हें मुखाग्नि दी गई। अर्जन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया, उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई, इसके अलावा उन्हें फ्लाई पास्ट भी दिया गया। अर्जन सिंह के सम्मान में नई दिल्ली की सभी सरकारी इमारतों पर लगा राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया।
PunjabKesari
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बरार स्क्वायर पहुंच कर उन्हें अंतिम विदाई दी। उनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी वहां पहुंच उन्हें श्रद्धांजलि दी। सेना के तीनों अंगों के प्रमुख भी अर्जन सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद रहे। भारत के महानतम सैनिकों में से एक सिंह ने 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में नवगठित भारतीय वायुसेना की कमान संभाली थी। 98 वर्षीय अर्जन सिंह का शनिवार को सेना के रिसर्च एवं रेफरल अस्पताल में निधन हो गया।
PunjabKesari
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा एयर चीफ मार्शल बिरेंद्र सिंह धनोआ, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा और थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत सहित अन्य गणमान्य लोगों ने रविवार को मार्शल अर्जन सिंह के आवास पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की थी।
PunjabKesari
सिंह ने 60 से ज्यादा विमानों को उड़ाया
सिंह ने 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था। 60 से अधिक प्रकार के विमानों को उड़ा चुके सिंह ने वायुसेना को विश्व में सबसे ताकतवर वायुसेनाओं में से एक तथा दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना बनाया। वह न केवल निडर लड़ाकू पायलट थे बल्कि उन्हें वायुसेना की शक्ति के बारे में गहरी जानकारी भी थी। उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
PunjabKesari
वायुसेना स्टेशन पानागढ़ का नाम वायुसेना स्टेशन अर्जन सिंह रखा गया
एयर मार्शल अर्जन सिंह को सबसे पहला एयर चीफ मार्शल होने का भी गौरव प्राप्त हुआ। उन्हें 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद पद्मविभूषण से अलंकृत किया गया। वह सेवानिवृत्त होने के बाद स्विट्जरलैंड और केन्या में भारत के राजदूत भी रहें। वर्ष 1989-90 में दिल्ली के उपराज्यपाल के पद पर भी तैनात रहें। वह इकलौते वायु सेना अधिकारी थे जिन्हें ‘फाइव स्टार रैंक’ प्रदान की गई थी। वह सबसे कम उम्र में वायुसेना प्रमुख बने। उन्हें 44 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिली जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ाने वाले मार्शल अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे ताकतवर और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में अहम भूमिका निभायी थी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News