ABVP को गर्त में पहुंचाने की मुख्य वजह बन रही BJP, जानें सिलसिलेवार घटनाक्रम

punjabkesari.in Friday, Sep 15, 2017 - 08:52 PM (IST)

नई दिल्लीः हाल में दिल्ली यूनिवर्सिटी के नतीजों में मिली करारी शिकास्त। इससे पहले पंजाब यूनिवर्सिटी, राजस्थान यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी यूनिवर्सिटी, डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी जैसी तमाम बड़ी यूनिवर्सिटीज से एबीवीपी का पत्ता साफ। आखिर एेसी कौनसी वजह है कि बीजेपी की स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स को जनादेश मुख्य राजनीति से बुलकुल उलट मिल रहा है। हालांकि इसके कई एक इंटरनल रीजन हो सकते हैं लेकिन इसमें सबसे बड़ी और मुख्य वजह बीते सालों में छात्रों के बीच बनी बीजेपी की एंटी 'कैंपस छवि' बनना है। कैंपस पॉलिटिक्स के प्रति उसकी बे रुखी का सीधा-सीधा खामियाजा उसके छात्र संगठन एबीवीपी को लगातार भुगतना पड़ रहा है।
PunjabKesariमामले जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बने 
इसकी शुरुआत संघ लोक सेवा आयोग में अंग्रेजी को प्राथमिकता देने के विरोध में हुए हिंदी आंदोलन से हुई। इसके बाद पीएचडी स्टूडेंट की फेलोशिप को लेकर जमकर बवाल काटा गया। 9 फरवरी 2016 को जेएनयू कैंपस में राष्ट्रविरोधी नारे लगाने का मामला हुआ। इसमें जेएनयू के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया। इसे लेकर छात्रों के बीच बीजेपी की खासी किरकिरी हुई।
इसके बाद ओस्मानिया यूनिवर्सिटी में दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद जिस तरीके परिस्थितियां उपजीं वो भी बीजेपी के लिए निराशाजनक रही। इस साल जब सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पीएचडी और एमफिल के टेस्ट का टाइम आया तो खबर आई कि सीटें पहले की तुलना में बेहद कम हो गई हैं। इन सभी मामलों में बीजेपी सरकार अपने निर्णयों को लेकर कई बार उहापोह की स्थिति दिखी। मुख्य राजनीति में अजय रहने के कारण बीजेपी के नेताओं ये बात समझ नहीं आई कि उनके कई निर्णयों की वजह से कैंपस में उनके विरोध में माहौल बन रहा है।
PunjabKesariछात्रसंघ नतीजों पर इनका सीधा-सीधा पड़ा असर
बीजेपी के लिए एक बात और कही जाती है कि पार्टी अपने प्रचार तंत्र की मजबूती की वजह से बातों को मैनिपुलेट करने में कामयाब हो जाती है लेकिन इस मामले में उसका स्टूडेंट विंग अपने प्रचार में लगातार नाकामयाब साबित हुई है। जानकारों की मानें तो इसकी दो मुख्य वजह रही है, जिसकी वजह से स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन खासे प्रभावित हुए। पहली फेलोशिप और दूसरी यूनिवर्सिटी में सीट कम करना। शायद इसलिए कैंपस के अंदर एबीवीपी स्टूडेंट्स को ये समझा पाने में विफल हुई कि बीजेपी की नीतियां छात्र विरोधी नहीं हैं। अब देखने वाली बात होगी, प्रचंड बहुमत से यूपी में सत्ता पर काबिज होने के बाद बीजेपी की ये छात्र इकाई यूपी के विश्वविद्यालयों में क्या कमाल दिखाती है, क्योंकि आने वाले दिनों में यहां के भी कई प्रमुख यूनिवर्सिटीज में इलेक्शन होंगे। 
PunjabKesariदेश ये यूथ जिस पर बिफरी उसका सूफड़ा साफ
मेनस्ट्रीम राजनीति में उलझी बीजेपी भले ही इस बात को न समझ पा रही हो लेकिन उसके लिए ये बेहद महत्वपूर्ण है कि वो कैंपस पॉलिटिक्स को नजरअंदाज न करे। ये वही छात्र शक्ति है, ''जिसने इमरजेंसी में सबसे पहले इंदिरा गांधी के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। इसी हल्ला बोल से निकले लोग आज देश राजनीति में मुख्य चेहरा बनकर उभरे हैं।'' इतनी ही नहीं बीजेपी में खुद अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद और मनोज सिन्हा जैसे दिग्गज नेता एबीवीपी की डगर पर चलकर ही यहां पहुंचे हैं। वजह साफ है देश में जब जब युवाओं ने किसी के समर्थन में आए तो खुलकर खड़े हुए। वरना विरोध बनकर सूपड़ा साफ करने में देर नहीं लगाते हैं। 


 


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