सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी का इरादा तूफानी

punjabkesari.in Sunday, Aug 20, 2017 - 07:15 PM (IST)

नई दिल्ली: 18 जुलाई को जब से स्मृति ईरानी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिला है, तब से वह इस मंत्रालय के चेहरे से पुरानी गर्दो-गुबार झाडऩे में जुटी हैं। सूत्र बताते हैं कि वेंकैया के जमाने से मंत्रालय पर एक गुट विशेष का कब्जा था, पिछले दिनों नार्थ ईस्ट के लिए जिस हिंदी चैनल अरुण प्रभा की शुरूआत हुई, आरोप है कि उसमें भी कार्यक्रम आबंटन में बड़े पैमाने पर धांधलियां हुई और प्रोग्राम के स्वरूप व उनकी गुणवत्ता की बजाय कार्यक्रम आबंटन में सियासी पैरवी का ही ध्यान रखा गया। स्मृति के जेहन में ये बातें ताजा हैं, उन्होंने नए सिरे से मंत्रालय का चेहरा-मोहरा बदलने की कवायद शुरू कर दी है। PunjabKesari
ताजा मामला 20-28 नवम्बर 2017 को गोवा में आहूत होने वाले अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का है। इसमें गड़बडिय़ों की आहट भांपते मंत्री महोदया ने 21 सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है, इस कमेटी में ज्यादातर पैरवी के लोग भर्ती हुए समझे जाते हैं। हालांकि यह कमेटी अब तक 150 विदेशी फिल्मों का प्रीव्यू कर चुकी थी, इनकी जगह स्मृति इंडस्ट्री के कुछ धुरंधरों को लेकर नई कमेटी बना रही है। PunjabKesari

इसके अलावा मंत्री महोदया पुरस्कार में दी जाने वाली राशि में भी कटौती चाहती हैं। सनद रहे कि इस वक्त आईएफएफआई द्वारा जिन फिल्मों को ‘गोल्डन पीकॉक अवार्ड’ के लिए चुना जाता है उन्हें 40 लाख रुपए का पुरस्कार भी दिया जाता है। स्मृति का मानना है कि किसी विदेशी फिल्म निर्माता पर इतना पैसा बहाने की जगह इस रकम का इस्तेमाल देश में अच्छे विषयों को केन्द्र में रखकर बनाई जाने वाली फिल्मों पर होना चाहिए। पर सवाल उठता है कि क्या इतने क्रांतिकारी विचारों व बदलावों के लिए मंत्रालय का लचर सिस्टम तैयार है?मिर्च-मसाला(त्रिदीब रमण)


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