GST और नोटबंदी के कारण भाजपा से विश्वास उठा: उद्धव ठाकरे

punjabkesari.in Monday, Jul 24, 2017 - 05:37 PM (IST)

जालंधर (पाहवा): शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार को अपने सहयोगी दल, भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि जी.एस.टी. और नोटबंदी समेत कई मुद्दों को लेकर उनका भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र और राज्य सरकार से विश्वास उठ गया है। ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना के साथ अपने जन्मदिन से पूर्व दिए जाने वाले पारंपरिक वार्षिक साक्षात्कार श्रृंखला में भाजपा पर तीखा प्रहार किया। 
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ठाकरे ने सामना के कार्यकारी संपादक और राज्यसभा सांसद संजय राउत से कई मुद्दों पर बातचीत की। वस्तु एवं सेवा कर जी.एस.टी. लागू किए जाने से नाराजगी के सवाल पर ठाकरे ने कहा कि यह पूरी तरह गड़बड़झाला है। वह चुप नहीं रहेंगे। उन्होंने  ही सबसे पहले इस बात को उठाया था कि जी.एस.टी. से लोग कैसे प्रभावित होंगे। अब उन्हें ही फैसला करना है कि इसे सहें या इससे लड़ें। उन्होंने कहा कि गुजरात में छोटे व्यापारी जी.एस.टी. के विरोध में सड़कों पर उतर आए तो उन्हें बेरहमी से पीटा गया। 

ठाकरे ने कहा कि उन्होंने जी.एस.टी. का विरोध किया था, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल में सब कुछ केंद्रीकृत हो गया है। उन्होंने कहा कि क्या यह असल में लोकतंत्र हैं? यह दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा जमीनी स्तर पर लागू किए गए पंचायती राज के बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने पिछले साल की गई नोटबंदी का उदाहरण देते हुए सरकार को इस पर विचार करने को कहा कि उनकी नीतियां आमजन के लिए सही हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पढ़ा कि नोटबंदी के कारण 15 लाख लोगों का रोकागार चला गया। इसका अर्थ यह है कि इससे 60 लाख लोग प्रभावित होंगे। इन 60 लाख लोगों को दाल-रोटी कौन देगा?

ठाकरे ने कहा कि उन्होंने ही सबसे पहले नोटबंदी का विरोध किया था। ठाकरे ने कहा कि अपनी नौकरियां गंवाने वालों से पूछिए कि असली देशद्रोही कौन है।  वह मोदी के बारे में बात नहीं कर रहे, बल्कि सरकारी तंत्र की बात कर रहे हैं। जब भी शिवसेना कुछ कहती है, उसे सरकार विरोधी माना जाता है। लेकिन यह गलत है, वह हमेशा जनता के साथ हैं।

सामना को दिए एक इंटरव्यू में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि अच्छे दिन सिर्फ विज्ञापनों में हैं। सारी चीजें प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुसार चल रही हैं, ऐसे में क्या वह मान सकते हैं कि देश में लोकतंत्र है। वह सत्ता का केंद्रीकरण कर रहे हैं और राज्यों की स्वतंत्रता छीन रहे हैं। 

एक तरफ जहां भाजपा ने विधानसभा में शिवसेना पर अपनी निर्भरता कम कर दी है वहीं बी.एम.सी. में शिवसेना के पास भाजपा पर निर्भर रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। दोनों पार्टियों के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है और इस साल की शुरुआत में दोनों पार्टियां कुछ समय के लिए अलग भी हो गई थीं। 

सामना में अपने हालिया आर्टिकल के जरिए शिवसेना ने देवेंद्र्र फडणवीस सरकार पर भी हमला किया है। उन्होंने कहा कि कर्जमाफी के नाम पर महाराष्ट्र सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है। बैंकों को अब तक इस संबंध में साफ दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं।


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