'निजता' मौलिक अधिकार, 'आधार' पर फैसला आना बाकी

punjabkesari.in Thursday, Aug 24, 2017 - 03:34 PM (IST)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज राइट टू प्राइवेसी पर बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना है। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले में सर्नसम्मति से फैसला सुनाया है।

बता दें कि इस सवाल पर 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने 3 सप्ताह के दौरान करीब 6 दिन तक सुनवाई की थी। यह सुनवाई 2 अगस्त को पूरी हुई थी। सुनवाई के दौरान निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल करने के पक्ष और विरोध में दलीलें दी गईं थीं।

PunjabKesari
आधार कार्ड पर फैसला छोटी बैंच करेगी
आधार कार्ड वैध है या अवैध है, इस पर अभी कोर्ट ने कुछ नहीं बोला है। आधार कार्ड के संबंध में मामला छोटी खंडपीठ के पास जाएगा। प्रशांत भूषण ने बताया कि इस फैसले का मतलब ये है कि अगर सरकार रेलवे, एयरलाइन रिजर्वेशन के लिए भी जानकारी मांगी जाती है, तो ऐसी स्थिति में नागरिक की निजता का अधिकार माना जाएगा।

ये हैं संविधान पीठ के अन्य सदस्य
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति आर.एफ. नरिमन, न्यायमूर्ति   ए.एम. सप्रे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं।
PunjabKesari
केंद्र का पक्ष
केंद्र सरकार ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा था। केंद्र का पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि आज का दौर डिजिटल है जिसमें राइट टू प्राइवेसी जैसा कुछ नहीं बचा है। मेहता ने कोर्ट को बताया था कि आम लोगों के डेटा प्रोटेक्शन के लिए कानून बनाने के लिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में दस लोगों की कमेटी का गठन किया है। कमेटी में UIDAI के सीईओ को भी रखा गया है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News