मिशन गुजरात पर सैम पित्रोदा, कांग्रेस के घोषणापत्र के लिए सुन रहे हैं लोगों की ‘मन की बात’

punjabkesari.in Thursday, Nov 09, 2017 - 07:49 PM (IST)

नेशनल डेस्कः गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले सैम पित्रोदा खास मिशन पर निकले हैं। इन दिनों वेे गुजरात में घूम-घूम कर लोगों की ‘मन की बात’ जानने के लिए पांच दिन के दौरे पर हैं। उनके साथ कांग्रेस नेताओं की टीम भी है। उनकी इस कवायद का मकसद है लोगों से मिली राय के आधार पर गुजरात कांग्रेस के लिए चुनावी घोषणापत्र तैयार करना।

कांग्रेस का ये दांव पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के उन बयानों के आधार पर है, जिसमें वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहते हैं कि वे सिर्फ अपने मन की बात करते हैं लेकिन लोगों के मन की नहीं सुनते हैं। गुजरात मिशन के तहत पित्रोदा राज्य के वडोदरा, अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और जामनगर का दौरा करेंगे।

पार्टी के लिए फीडबैक बैंक तैयार में भी मिलेगी मदद
कांग्रेस के विदेश प्रकोष्ठ के प्रमुख सैम पित्रोदा का कहना है 'मैं अगले पांच दिन लोगों की बात सुनने के लिए यहां हूं। हम पांच शहरों में जाकर लोगों से जानेंगे कि वे क्या चाहते हैं। उनसे जो राय मिलेगी वो ना सिर्फ पार्टी के मैनिफेस्टो (चुनाव घोषणापत्र) को सही मायने में पीपल्स मैनिफेस्टो बनाने में मदद करेगा, बल्कि इससे पार्टी के लिए ‘फीडबैक बैंक’ तैयार करने में भी मदद मिलेगी।'

निचले पायदान पर खड़े लोगों के लिए विकास मॉडल 
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने सैम पित्रोदा को आगे करने का ये दांव बहुत सोच समझ कर चला है। इसके जरिए कांग्रेस संदेश देना चाहती है कि वो ऐसी पार्टी है जो लोगों की बात सुनती है। सैम पित्रोदा ने कहा, ‘ये समय ऐसे विकास के बारे में सोचने का है जो सबसे पहले निचले पायदान पर खड़े लोगों की फिक्र करे। गुजरात में कांग्रेस का जोर ऐसे विकास मॉडल पर रहेगा जहां फोकस गरीब, किसान, लघु और मझौले उद्यमियों पर रहे।’ इसके चलते सैम पित्रोदा की अगुआई में गुजरात का दौरा कर रही कांग्रेस टीम को राहुल गांधी ने अलग अलग वर्गों की राय जुटाने के लिए कहा है। 

पार्टी के सत्ता में आने पर वादे पूरे करना मेरी जिम्मेदारी
सैम पित्रोदा ने साफ किया कि उनकी भूमिका सिर्फ घोषणापत्र तैयार करने तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास कोई राजानीतिक पोजिशन नहीं है और ना ही मैं चाहता हूं लेकिन अगर कांग्रेस गुजरात में चुनाव जीतती है और जो लोग भी सत्ता में आएंगे, मेरा काम उन पर ये दबाव डालना होगा कि वो उन कामों को प्राथमिकता के आधार पर करें जिनका वादा हम अपने चुनावी घोषणापत्र में करने जा रहे हैं।’  


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