राज्यसभा चुनाव: आज होगा NDA और UPA की ताकत का फैसला

punjabkesari.in Friday, Mar 23, 2018 - 05:34 AM (IST)

नेशनल डेस्क (आशीष पाण्डेय): 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी कांग्रेस को एक और परीक्षा का सामना करना होगा। शुक्रवार 23 मार्च को राज्यसभा के चुनाव और उसी दिन परिणाम आने हैं। इसके बाद राज्यसभा की तस्वीर बदल जाएगी। 58 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव के बाद जो नतीजे सामने होंगे। उससे केवल यही तय होगा कि बीजेपी व कांग्रेस के पास अपने पदाधिकारियों व सहयोगियों को साधने की कितनी ताकत है। इस वक्त देश भर में बीजेपी के 15 मुख्यमंत्री हैं जबकि 21 राज्यों में वो सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में इस बार राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के सांसदों की संख्या बढ़ने वाली है। इस बार राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 15 राज्यों से सदस्य चुने जाने हैं। हालांकि यूपी को छोड़कर अन्य राज्यों में राज्यसभा के लिए नामांकन करने वाले उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया है।

यह है राज्य सभा में वोटिंग का फॉर्मूला ?
हर MLA के वोट की वैल्यू 100 होती है। राज्यसभा में चुनाव जीतने के लिए फॉर्मूला है-

[विधानसभा की कुल सीट/(खाली सीट़+1)] + 1
इसे समझने के लिए उत्तर प्रदेश का उदाहरण लेते हैं।  उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधायक हैं और यहां से 10 राज्सयभा सदस्यों का चुनाव होना है। तो हर सदस्य को कितने विधायकों का वोट चाहिए, ये तय करने के लिए ऊपर दिया गया फॉर्मूला लगाते हैं।
[403/(10+1)]+ 1 = 37 वोट
PunjabKesari
यूपी (10 सीटें):
2018 में यूपी की 10 सीटों के लिए चुनाव होना है। इन सीटों पर बीजेपी की जीत तय मानी जा रही है। कारण यह है कि यूपी में किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए 37 MLA के समर्थन की जरूरत होगी। विधानसभा की 403 सीटों में से बीजेपी के पास इस वक्त 311 सीटें हैं। ऐसे में बीजेपी का 8 सीटों पर जीतना तो लगभग तय ही है। समाजवादी पार्टी के पास 47 सीटें हैं ऐसे में उन्हें एक सदस्य को राज्यसभा भेजने का मौका जरूर मिलेगा। कांग्रेस के खाते में इस वक्त 7 MLA है। कांग्रेस और जबकि बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) के 19 विधायक हैं। अब बीएसपी व कांग्रेस मिल भी जाएं तो भी एक सीट नहीं जीत सकते। ऐसे हालात में बीजेपी को सभी 10 सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद है। ऐसे में निर्दलीय बड़ी भूमिका निभां सकते हैं। सपा व बसपा की तरह बीजेपी में भी क्रास वोटिंग का डर बना हुआ है। ऐसे में बीजेपी को 8 सदस्यों से ही संतोष करना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी दलों के साथ 325 सीटें हैं।

बिहार (5 सीटें): बिहार की 16 सीटों में से 6 पर शुक्रवार को चुनाव होंगे। JD(U) के पास 71 MLA है, BJP के पास 53 और राज्य की सबसे बड़ी पार्टी RJD के खाते में कुल 80 MLA है। बिहार में किसी भी उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए कम से कम 35 MLA का समर्थन चाहिए। अपनी ताकत पर JD(U) और RJD सिर्फ 2 लोगों को राज्यसभा भेज सकती है। जबकि BJP अपनी ताकत पर सिर्फ एक सदस्य को राज्यसभा भेज सकती है। कांग्रेस के पास यहां 27 विधायक हैं। यानी कांग्रेस और उनकी सहयोगी RJD मिलकर एक सदस्य को राज्यसभा भेज सकती है। ऐसे में बिहार में लड़ाई बेहद संतुलित है. NDA और UPA दोनों को 3-3 सीटों पर जीत मिल सकती है।

महाराष्ट्र (6 सीटें): महाराष्ट्र में किसी भी उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए कम से कम 42 MLA का समर्थन चाहिए। अकेले चुनाव लड़ने पर BJP केवल 2 सदस्यों को राज्यसभा भेज सकती है। जबकि शिवसेना अकेले दम पर एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेज सकती है। लेकिन एक साथ चुनाव लड़ने पर दोनों दल के कुल 4 सदस्यों को जीत मिल सकती है। अगर शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन टूटता है तो फिर एक सीट इनके हाथ से निकल जाएगी। 42 MLA के साथ कांग्रेस का एक सीट पर जीतना तय माना जा रहा है। लेकिन NCP(41) के खाते में एक MLA की कमी है।

पश्चिम बंगाल (5 सीटें): यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 50 MLA के समर्थन की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस के खाते में 213 MLA हैं। यानी वो कम से कम 4 एमपी राज्यसभा भेज सकते हैं। कांग्रेस के पास सिर्फ 42 MLA है यानी उन्हें किसी को राज्यसभा भेजने के लिए CPM के 26 विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।

मध्यप्रदेश (5 सीटें): यहां 5 सीटों के लिए शुक्रवार को चुनाव होंगे। किसी भी उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए कम से कम 39 MLA का समर्थन चाहिए। पांच में से चार सीटों पर कांग्रेस का जीतना तय माना जा रहा है। 58 MLA के साथ कांग्रेस को भी यहां एक सीट पर जीत मिलेगी।

गुजरात (4 सीटें): पिछले साल अहमद पटेल की सीट पर यहां रोमांचक मुकाबला देखने को मिला था। लेकिन इस बार यहां ऐसा नहीं होने वाला है। गुजरात में 4 सीटें खाली हैं। ऐसे में यहां उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए यहां कम से कम 37 MLA का समर्थन चाहिए। 78 MLA के साथ कांग्रेस दो उम्मीदवारों को राज्यसभा भेज सकती है। जबकि 99 MLA के साथ बीजेपी का 2 सीटों पर जीतना तय माना जा रहा है।

कर्नाटक (4 सीटें): विधानसभा चुनाव से पहले यहां राज्यसभा के लिए 4 सीटों पर लड़ाई है। यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 46 MLA के समर्थन की जरूरत है। कांग्रेस 124 MLA के साथ यहां 2 सदस्यों को चुनेगी। BJP के पास 2 वोट कम है। लेकिन वो JD(S) की मदद से 2 सीट जीत सकती है। JD(S) के पास 39 MLA हैं।

आंध्र प्रदेश (3 सीटें): TDP का NDA से समर्थन वापस लेने के बाद भी यहां ज्यादा तस्वीर नहीं बदली है। यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 44 MLA के समर्थन की जरूरत है। TDP 102 MLA के साथ दो सीटें जीत सकती है। YSR कांग्रेस के पास 67 MLA हैं। उन्हें भी एक सीट पर जीत मिल जाएगी।

ओडिसा (3 सीटें): बीजू जनता दल के पास यहां 118 MLA हैं। यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 37 MLA के समर्थन की जरूरत है। यानी बीजू जनता दल को सभी तीन सीटों पर जीत मिल जाएगी।

तेलंगाना (3 सीटें): यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 90 MLA के समर्थन की जरूरत है। ऐसे में सत्ताधारी TRS की तीनों सीटों पर जीतना तय है।

राजस्थान (3 सीटें): यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 51 MLA के समर्थन की जरूरत है। 159 MLA के साथ BJP का यहां तीनों सीटों पर जीतना तय है।

झारखंड (2 सीटें): यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 28 MLA के समर्थन की जरूरत है। 43 MLA के साथ बीजेपी का एक सीट पर जीतना तय माना जय रहा है। लेकिन एक सीट के लिए मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है। अगर JMM (19) को कांग्रेस (7) and JVM(P) (2) समर्थन मिल जाता है तो उन्हें भी एक सीट पर कामयाबी मिल जाएगी।

उत्तराखंड (1 सीट): यहां विधानसभा में कुल 71 सदस्य हैं। यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 36 MLA के समर्थन की जरूरत है। ऐसे में बीजेपी को यहां आसानी से जीत मिल जाएगी।

छत्तीसगढ़ (1 सीट): यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 46 MLA के समर्थन की जरूरत है। 49 MLA के साथ बीजेपी की तय है।

हिमाचल प्रदेश (1 सीट): यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 35 MLA के समर्थन की जरूरत है। 44 MLA के साथ बीजेपी की जीत को कोई नहीं रोक सकता।

हरियाणा (1 सीट): यहां एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 46 MLA के समर्थन की जरूरत है। बीजेपी के पास 47 MLA है। जीत तो पक्की लग रही है लेकिन फिर भी उन्हें सारे MLA को एक साथ मिला कर रखना होगा।

केरल (1 सीट): यहां जीत के लिए 71 विधायक चाहिए। जबकि CPM के पास 90 MLA हैं। यानी उनकी जीत पक्की है।(हालांकि चुनाव आयोग ने राज्य सभा के निर्धारित चुनाव कार्यक्रम में केरला को शामिल नहीं किया है।)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Punjab Kesari

Recommended News

Related News