उत्तराखंड में मोदी का 'जय-जय केदार', PM ने 5 पुन:र्निर्माण प्रोजेक्टों की रखी नींव

punjabkesari.in Friday, Oct 20, 2017 - 07:52 PM (IST)

देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज केदारनाथ मंदिर के भव्य और दिव्य पुर्निनर्माण की रूपरेखा का अनावरण करते हुए राज्य सरकारों के साथ-साथ उद्योग और व्यापार जगत से भी इसमें आगे आकर योगदान का आह्वान किया और कहा कि देश इस काम के लिये धन की कमी को आड़े नहीं आने देगा।

नहीं होगी धन की कमी
उत्तराखंड में रूद्रप्रयाग जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित केदारनाथ धाम पहुंचकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के बाद जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘केदानाथ भव्य, दिव्य और प्रेरणा का स्थान बनेगा’’ मोदी ने कहा कि इस काम के लिए देश धन की कमी नहीं रखेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि इसमें खर्च होगा। जैसा पुर्निनर्माण होना है, वैसे पुर्निनर्माण के लिए देश धन की कमी नहीं रखेगा। मैं देश की (विभिन्न राज्य) सरकारों को भी इसमें सहभागी होने के लिए निमंत्रित करूंगा। कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत मैं उद्योग और व्यापार जगत के लोगों को भी इसमें हाथ बंटाने के लिए निमंत्रण दूंगा।’’  इस संबंध में उन्होंने जेएसडब्लू (कंपनी) का आभार जताया और कहा कि उन्होंने प्रारंभिक काम के लिए जिम्मेदारी उठाना स्वीकार कर​ लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब इतना सारा धन लगेगा, इतना सारा आधारभूत ढांचा तैयार होगा तो इसमें पर्यावरण के नियमों का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाएगा।
 

इन योजनाओं का होगा पुर्निनर्माण
मोदी ने कहा यहां मुख्य तौर पर पांच योजनाओं का आरंभ किया।

-केदारनाथ मंदिर की ओर आने वाले पूरे मार्ग का चौड़ीकरण किया जाएगा जो पूरा आरसीसी से बनेगा और उस पर सभी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी।  

-तीर्थयात्री चाहे जिस पहर में केदारनाथ पहुंचे, उसे उसी पहर का संगीत वहां सुनाई देगा, जिसे सुनता हुआ वह संगीतमय और भक्ति भाव से मंदाकिनी के तट पर चलता हुआ, मंदिर पहुंचेगा।’’

-केदारनाथ में मंदाकिनी और सरस्वती नदी के घाट विकसित कर वहां बैठने की जगह बनाई जाएगी और इन दोनों नदियों पर रिटेनिंग वॉल बनाई जाएगी।  

-आदिगुरु शंकराचार्य की क्षतिग्रस्त समाधि इस प्रकार बनाई जाएगी कि वह मंदिर से अलग प्रतीत न हो और वहां जाकर एक महान संत की तपस्या की अनुभूति हो।

-केदारनाथ के भव्य पुर्निनर्माण के लिए यहां तीर्थ पुरोहितों, पंडितों आदि की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए खाका तैयार हुआ है। मंदिरों के वास्तुशिल्प के नियमों का पालन करते हुए इसके विकास का खाका तैयार किया गया है।’’ अब पुरोहितों को जो मकान मिलेंगे वह थ्री इन वन होंगे।’’ नीचे तीर्थयात्रियों के रहने का प्रबंध होगा, बीच की मंजिल पर वह (पुरोहित) खुद रहेंगे और ऊपर की मंजिल पर उनके मेहमानों और यजमानों के रहने का इंतजाम होगा। ‘‘24 घंटे बिजली, पानी और स्वच्छता का प्रबंध होगा। टेलीफोन, बैंक, पोस्ट ऑफिस, कंप्यूटर आदि की व्यवस्था होगी।’’

मोदी ने तीर्थ पुरोहित समाज के आवासीय भवन निर्माण, शंकराचार्य समाधि स्थल और संग्रहालय, पैदल मार्ग चौड़ीकरण, मंदाकिनी नदी घाटी का पुर्निनर्माण और सुरक्षा दीवार, सरस्वती नदी घाट और सुरक्षा दीवार निर्माण का शिलान्यास किया।

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दिल्ली वाले तड़प उठे
वर्ष 2013 में आई प्रलयंकारी प्राकृतिक आपदा में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं को अपनी श्रद्धां​जलि देते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वह यहां आए थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री से मिलकर उन्होंने केदारनाथ के पुर्निनर्माण की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री इस कार्य को गुजरात सरकार को सौंपने पर सहमत हो गए थे लेकिन दिल्ली के लोगों को यह मंजूर नहीं हुआ और राज्य सरकार ने कह दिया कि उसे गुजरात की मदद की जरूरत नहीं है। हालांकि, मोदी ने कहा, ‘‘बाबा ने यह तय किया था कि यह काम बाबा के बेटे के हाथ से ही होगा। यहां चुनाव हुए और पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बन गई। अब केदारनाथ के भव्य पुर्निनर्माण का कार्य हो रहा है।’’ 
 

कभी यही रम जाना चाहता था
उत्तराखंड में गुजारे अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि गरूड़चट्टी में उन्हें अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष बिताने का अवसर मिला और उसी समय वह यहां की मिट्टी में रम गए थे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘बाबा (केदारनाथ) की यह इच्छा नहीं थी और उन्होंने मुझे वापस भेज दिया।’’  प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा ने उनके लिए यह तय किया कि उन्हें एक बाबा की नहीं बल्कि देश के सवा सौ करोड़ बाबाओं की सेवा करनी है क्योंकि जनसेवा ही प्रभुसेवा है। उन्होंने कहा कि बाबा केदारनाथ के दर पर वह संकल्प लेते हैं कि वर्ष 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर वह भारत को दुनिया में सिरमौर बनाएंगे और हर हिंदुस्तानी इसमें अपना योगदान देगा।


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