पहली बार गौ हिंसा पर बोले PM मोदी, हुए भावुक

punjabkesari.in Thursday, Jun 29, 2017 - 02:27 PM (IST)

अहमदाबादः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिवसीय गुजरात दौरे पर हैं। अपने दौरे के दौरान उन्होंने सबसे पहले अहमदाबाद के साबरमती आश्रम का दौरा किया। पीएम ने यहां चरखा भी चलाया। इसके बाद उन्होंने महात्मा गांधी के गुरु श्रीमद राजचंद्रजी पर डाक टिकट तथा सिक्का जारी किए। एक जनसभा को संबोधित करते हुए गाय पर पहली बार बोलते हुए मोदी ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मैं देश के वर्तमान माहौल की ओर अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं और अपनी नाराजगी भी।

हिंसा नहीं अहिंसा के मार्ग पर चले
उन्होंने कहा कि जो देश चींटी को भी कुछ खिलाने पर विश्वास रखता है, जो देश गली में कुत्ते को भी कुछ खिलाने पर भी विश्ववास रखता है उस देश को क्या हो गया है कि अस्पताल में हम किसी मरीज को बचा न पाएं। मोदी ने कहा कि इसके बाद अचानक परिवार वाले अस्पताल को जला दे, डॉक्टरों को मार दे ये गलत है। मोदी ने कहा कि कहीं एक्सिडेंट होने पर भी लोग एक दूसरे को मारने पर उतारू हो जाते हैं।
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गौरक्षा के लिए मारते नहीं मरते देखा
गाय पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि गाय की रक्षा, गौ की भक्ति महात्मा गांधी, विनोबा जी से बढ़कर कोई नहीं कर सकता है। देश को उसी रास्ते पर चलना होगा। उन्होंने कहा कि विनोबा जी जीवनभर गौ रक्षा के लिए काम करते रहे, मैं उनसे भी मिला भी था। गाय पर बोलते हुए बीच में मोदी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि गाय के लिए पहले लोगों को मरते देखा था और आज उसकी रक्षा के नाम पर मारपीट हो रही है, किसी भी इंसान को मौत के घाट उतार दिया जा रहा है। गाय के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है। यह सब बंद होना चाहिए।

पीएम ने शेयर किया गाय और बच्चे का किस्सा
मोदी ने कहा कि मैं एक ऐसी बात बताता हूं जो अभी तक कहीं नहीं बताई, जब मैं छोटा था तब वहां पर हमारे घर के पास एक परिवार रहता था, उस परिवार में कोई संतान नहीं थी, जिसके कारण उनके घर काफी तनाव रहता था लेकिन काफी उम्र के बाद एक संतान का जन्म हुआ। उस समय एक गाय वहां पर आती थी, और रोजाना कुछ खाकर जाती थी। एक बार वहां किसी की मौत हो गई और वे लोग गाय को कुछ खिला नहीं पाए। कुछ समय बाद उसी परिवार का वो बच्चा गाय के पैर के नीचे आ गया, और उसकी मौत हो गई। दूसरे दिन सुबह ही वो गाय उनके घर के सामने खड़ी हो गई, उसने किसी के घर के सामने रोटी नहीं खाई, उस परिवार से भी रोटी नहीं खाई। उस समय गाय के आंसू लगातार बह रहे थे, उस गाय ने कई दिनों तक कुछ नहीं खाया-पीया। पूरे मोहल्ले के लोगों ने काफी कोशिश की पर गाय ने कुछ नहीं खाया, और बाद में उस गाय ने अपना शरीर त्याग दिया। एक बालक की मृत्यु के पश्चाताप में उस गाय ने ऐसा किया लेकिन आज लोग गाय के नाम पर ही किसी की हत्या कर रहे हैं, किसी को कानून अपने हाथ में लेने का हक नहीं है।

 


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