NSA डोभाल आज चीन दौरे पर, राष्ट्रपति जिनपिंग से होगी डोकलाम विवाद पर बात

punjabkesari.in Thursday, Jul 27, 2017 - 09:05 AM (IST)

बीजिंग: चीन के साथ डोकलाम विवाद के बीच आज भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल बीजिंग पहुंच गए हैं। डोभाल का यह दौरा ब्रिक्स एनएसए बैठक के लिए है लेकिन माना जा रहा है कि इससे दोनों देशों के बीच कुछ तनाव कम हो सकता है।

राष्ट्रपति जिनपिंग से मुलाकात करेंगे डोभाल
ब्रिक्स की अध्यक्षता चीन के पास है और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स के सभी पांच सदस्य देशों (ब्राजिल, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के सुरक्षा सलाहकारों की मीटिंग बुलाई है। इसी के तहत जिनपिंग शुक्रवार को सभी पांच देशों के इन सुरक्षा सलाहकारों से मुलाकात करेंगे। सूत्रों के अनुसार ब्रिक्स बैठक से इतर डोभाल जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगे। चीनी अधिकारियों के मुताबिक, शुक्रवार दोपहर को यह बैठक होगी। माना जा रहा है कि इस दौरान डोभाल सीमा को लेकर जारी ताजा विवाद पर मुद्दा उठा सकते हैं।

डोकलाम विवाद पर चर्चा
चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात से पहले डोभाल  चीन के स्टेट काउंसलर यांग जिएची से मुलाकात करेंगे और वे उनसे भी डोकलाम में गतिरोध पर चर्चा कर सकते हैं। डोभाल और यांग दोनों भारत-चीन सीमा व्यवस्था के विशेष प्रतिनिधि हैं। डोभाल और यांग के अलावा दक्षिण अफ्रीका के सुरक्षा मामलों के प्रभारी मंत्री डेविड महलोबो, ब्राजील के प्रेजीडेंसी के संस्थागत सुरक्षा कार्यालय के मंत्री सर्गियो इचेगोयन, रूसी परिसंघ के सुरक्षा परिषद सेक्रेटरी निकोलई पात्रुशेव भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में हिस्सा लेंगे।

बता दें कि डोकलाम को लेकर भारत-चीन के बीच करीब एक महीने से तनातनी जारी है। यह गतिरोध तब ज्यादा बढ़ा जब भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना को क्षेत्र में एक सड़क निर्माण करने से रोक दिया था। इसके बाद दोनों देशों के सैनिक पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से आमने-सामने हैं।

यहां चीन का दावा है कि वह अपने क्षेत्र में सड़क बना रहा है, जबकि भारत को आशंका है कि चीन पूर्वोत्तर भारत के राज्यों तक पहुंच आसान करने के मकसद से भूटान के क्षेत्र पर जबरन सड़क बना रहा है और इसी के चलते उसने दखल दी है। इसके बाद से लगाता चीनी मीडिया की तरफ से भारत को लगातार धमकी मिल रही है कि वे अपनी सेना पीछे हटाए वर्ना 1962 के युद्ध से भी ज्यादा बुरा हाल होगा। वहीं भारत ने भी दो टूक जबाव दिया कि अब हालात 1962 जैसे नहीं हैं।


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