16 घंटे में सहयोगी बदल नीतीश फिर बने CM, 4 साल बाद BJP की वापिसी

punjabkesari.in Thursday, Jul 27, 2017 - 01:53 PM (IST)

पटनाः बिहार में नीतीश कुमार ने महज 16 घंटे के अंदर सहयोगी बदलकर एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली और इसी के साथ चार साल 40 दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भी सरकार में वापिसी हो गई। राजभवन के राजेन्द्र मंडपम में आयोजित समारोह में राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कुमार को मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके बाद सुशील कुमार मोदी ने डिप्टी सीएम पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।

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इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री जे.पी.नड्डा और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अनिल जैन के अलावा प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के अलावा राजग के कई सांसद, विधायक समेत वरिष्ठ नेता मौजूद थे। कुमार ने 16 जून 2013 को लालकृष्ण आडवाणी की जगह नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने से नाराज होकर भाजपा से करीब 16 वर्ष पुराना नाता तोड़ लिया था। लेकिन, चार साल 40 दिन भाजपा से अलग रहने के बाद वह फिर से उसके साथ हो गए हैं।
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बता दें कि नीतीशने बुधवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बिहार की सियासत में भूकम्प ला दिया। जद (यू) विधायक दल की बैठक के बाद नीतीश ने राजभवन जाकर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को अपना त्याग पत्र सौंपा, जिसे उन्होंने देर रात स्वीकार कर लिया था। वहीं नीतीश कुमार के इस्तीफे के 3 घंटे के अंदर ही भाजपा ने उन्हें नई सरकार बनाने के लिए समर्थन देने की घोषणा कर दी और राज्यपाल को इससे संबंधित पत्र भी सौंप दिया।

देर रात हुई बीजेपी और जेडीयू की साझा बैठक

बुधवार को देर रात भाजपा और जेडीयू के विधायकों की साझा बैठक भी हुई जिसमें नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया और बिहार में कुछ ही घंटों में राजनीतिक घटनाक्रम पूरी तरह से बदल गया। सुशील मोदी ने कहा कि उन्हें नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरा भरोसा और उनकी सरकार को भाजपा समर्थन करेगी। सुशील मोदी ने कहा कि भाजपा जेडीयू के साथ मिलकर सरकार में शामिल रहेगी।

सामने आया नीतीश के दिल का दर्द
इस्तीफा देने के बाद राजभवन से बाहर निकलकर नीतीश ने इस्तीफा देने की वजह बताई। नीतीश ने कहा कि हमने 20 महीने तक गठबंधन की सरकार चलाई है। हमसे जितना मुमकिन हुआ उतना गठबंधन धर्म को निभाया। हमने चुनाव के दौरान जनता से जो वायदे किए उन पर काम करने की हर मुमकिन कोशिश की। लगातार बिहार के लिए काम किया। बिहार में शराबबंदी जैसा सामाजिक फैसला किया। विपक्षी एकता पर नीतीश ने कहा कि हम विपक्षी एकता के साथ हैं मगर कोई एजैंडा तो हो। राष्ट्रपति चुनाव में हमने रामनाथ कोविंद का समर्थन किया। वह बिहार के राज्यपाल रहे हैं। उसके बाद हमारे ऊपर जाने क्या-क्या आरोप लगाए गए? हमारी और उनकी सोच का दायरा भी अलग है इसलिए मैंने अपनी अंतर्रात्मा की आवाज सुनी और अपना त्याग पत्र दे दिया।


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