ऑफ द रिकॉर्डः 2018 के आम बजट पर होगी मोदी की छाप

punjabkesari.in Thursday, Jan 11, 2018 - 08:17 AM (IST)

नेशनल डेस्कः केन्द्र सरकार के 2018 आम बजट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छाप होगी। भीतरी सूत्रों का कहना है कि यह मोदी का बजट होगा क्योंकि प्रधानमंत्री हर रोज वित्त मंत्री अरुण जेतली के अलावा पी.एम.ओ. और वित्त मंत्रालय के उच्चाधिकारियों के साथ मुलाकात कर रहे हैं। अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति और विभिन्न क्षेत्रों द्वारा रोष व्यक्त किए जाने से बहुत चिंतित प्रधानमंत्री ने बजट बनाने की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका अपनाकर एक नई परम्परा शुरू की है। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और अधिकारी बजट में शामिल किए जाने वाले प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए घंटों तक बैठकें कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि ऐसी बैठकें देर रात तक जारी रहती हैं। सामान्य तौर पर प्रधानमंत्री बजट बनाने की प्रक्रिया बारे जानकारी प्राप्त करते हैं और नीति मामलों पर एक या दो बार अपने वित्त मंत्रियों से चर्चा करते हैं।

2018 का आम बजट अलग तरह का होगा। ऐसा दिखाई देता है कि इस पर स्पष्ट रूप से मोदी की मोहर लगी हुई देखी जाएगी क्योंकि वह सभी प्रमुख प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा कर रहे हैं और निचले स्तर तक हर बात को समझना चाहते हैं। मोदी ने अब सभी नीति मामलों को अपने हाथ में ले लिया है और बजट बनाने में निर्देश जारी कर रहे हैं। चर्चा से यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी कृषि सैक्टर पर अधिक ध्यान देने के लिए बड़ा विचार बना रहे हैं क्योंकि यह क्षेत्र बहुत ही निराशाजनक स्थिति में है।

मोदी चाहते हैं कि उनके बजट में कृषि क्षेत्र पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया जाए जिससे रोजगार भी पैदा हो सकते हैं। वह एक नया कृषि मंत्री बनाने पर भी विचार कर रहे थे मगर अब इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) बढ़ाने की बजाय मोदी सरकार खेती की लागत कम करने, प्रौद्योगिकी उपलब्ध करवाने, किसानों को उनकी जमीन के अनुसार खाद उपलब्ध करवाने, भंडारण और विपणन सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर जोर देगी।

देश में पहली बार होगा कि 12 किस्म की खादें देश के किसानों को उनकी जमीनों के हैल्थ कार्ड के अनुरूप दी जाएंगी। सभी खाद कम्पनियों ने इस योजना को लागू करना शुरू कर दिया है। कृषि उत्पाद के आयात को सीमित किया जा रहा है और चीनी व अन्य फसलों को निर्यात करने में उदारता बरती जा रही है। मनरेगा की आबंटन राशि को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। यह आबंटन 69,000 करोड़ से बढ़ाकर 80,000 करोड़ रुपए किया जाएगा ताकि गांवों में लोगों को तुरंत मदद उपलब्ध करवाई जाए।


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