'जब मुंबई में गणेश विसर्जन और मुहर्रम एक साथ हो सकता है, तो आप क्यों नहीं कर सकते?'

punjabkesari.in Friday, Sep 15, 2017 - 08:15 PM (IST)

कोलकाताः आखिरकार कोर्ट के आदेश पर पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी को अपने फैसले को वापस लेना पड़ा। मामला दुर्गापूजा के बाद मूर्ति विजर्सन को लेकर था। विजयदशमी का हवाला देकर ममता सरकार ने विसर्जन की समय सीमा घटा थी। इस पर कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि मुंबई में मुहर्रम और गणेश विसर्जन एक साथ हो सकते हैं तो यहां क्यों नहीं हो सकता? विजयदशमी के दिन विसर्जन की समय सीमा सरकार ने 6 बजे कर दी थी। कोर्ट के हसतक्षेप के बाद उसे बढ़ाकर रात 10 बजे तक कर दिया गया है। अब इसमें अगली सुनवाई सोमवार को होगी।

गौरतलब है कि पिछले साल भी ममता बनर्जी के इसी तरह के आदेश पर मामला कोर्ट में गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगते हुए कहा था कि ये तुष्टीकरण की नीति है और राजनीति को धर्म से न जोड़े। कोर्ट ने पिछली साल ये भी कहा था कि 1982 और 1983 में दशमी और मुहर्रम इसी तरह एक दिन आगे पीछे पड़ा था तब तो कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी। 

दरअसल याचिका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 23 अगस्त को किए गए ट्वीट को केंद्र में रखकर किया गया था, जिसमें दशमी के दिन 6 बजे तक ही विसर्जन की इजाजत दी गयी थी और अगले दिन मुहर्रम है। लिहाज़ा विसर्जन पर रोक लगा दी गयी थी और विसर्जन फिर 2 तारीख से किए जाने के आदेश दिए गए थे।

इसके चलते यूथ बार एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया कार्यालय के पदाधिकारी सनप्रित सिंह अजमानी, कुलदीप राय और रिकी राय की और से याचिका की गयी। इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट के लाखों फॉलोवर हैं और ये समुदाय विशेष के तुष्टिकरण के लिए बड़े समुदाय के धार्मिक रस्म रिवाज के साथ ठीक नहीं किया जा रहा है। इससे भावनाएं आहत होने के साथ सद्भाव बिगड़ने की भी आशंका है। साथ ही संविधान की धारा 14, 25 और 26 का उल्लंघन भी है।


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