पुत्र मोह में मारे गए लालू, पूरे कुनबे पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार

punjabkesari.in Thursday, Jul 27, 2017 - 01:00 PM (IST)

पटना: आखिरकार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे ने उनकी लुटिया डुबो ही दी।  इस मामले में यादव परिवार के खिलाफ  सी.बी.आई. और ई.डी. ने मामला दर्ज करते हुए कई जगह छापे भी मारे थे और कथित भ्रष्टाचार को लेकर जद (यू) खेमे की तरफ से तेजस्वी यादव पर इस्तीफे का दबाव बनाया जा रहा था लेकिन वह इससे बच रहे थे। तेजस्वी खुद पर लगे इन तमाम आरोपों को झूठा करार देते हुए इसे पी.एम. मोदी और अमित शाह की साजिश करार देते रहे हों परंतु आज उनके किए की गाज लालू पर गिर ही गई।  


कुनबे पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार
उधर नीतीश कुमार ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कहा कि बिहार के हित में जो कुछ भी बन पड़ेगा वह करने को तैयार हैं। उनकी प्रतिबद्धता बिहार के साथ है, बिहार के विकास के साथ है और बिहार के विकास को आगे बढ़ाने के लिए जो बन पड़ेगा, वह करेंगे। लेकिन इसके लिए नीतीश ने फिलहाल इंतजार करने को कहा। इस तरह उन्होंने यह नहीं कहा कि सरकार बनाने के लिए भाजपा का समर्थन नहीं लेंगे। वहीं अब केन्द्र सरकार लालू के लड़कों, लड़कियों, दामाद आदि को आय से अधिक सम्पत्ति या अवैध सम्पत्ति मामले में गिरफ्तार करवा सकती है क्योंकि अब राज्यपाल ज्यादा पावरफुल हो गए हैं। वैसे भी यदि नीतीश ने भाजपा का बाहर से या अंदर से समर्थन लेकर सरकार बनाई तो भी लालू कुनबे से आयकर, प्रवर्तन निदेशालय, सी.बी.आई. तो अपनी पूरी ताकत के साथ पूछताछ व अन्य कानूनी कार्रवाई करेंगे ही, राज्य सरकार की एजैंसियां व पुलिस भी अपनी कार्रवाई करेंगी। 

ये कारण रहे गठबंधन टूटने के रेलवे टैंडर व पटना का मॉल घोटाला
सी.बी.आई. के 27 अधिकारियों की टीम ने पिछले हफ्ते लालू यादव के 12 ठिकानों पर छापेमारी की और राबड़ी देवी तथा उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव से घंटों पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार तेजस्वी से पटना मॉल में हिस्सेदारी से संबंधित सवाल पूछे गए। सी.बी.आई. के अतिरिक्त निदेशक राकेश अस्थाना ने बताया कि लालू के रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे को 2 होटलों के रख-रखाव के लिए एक प्राइवेट कंपनी को टैंडर दिया गया और इसके एवज में लालू को 3 एकड़ जमीन दी गई। ये टैंडर साल 2004 से 2009 के बीच इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशनके जरिए दिए गए थे जब लालू रेल मंत्री थे। अस्थाना ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच रची गई इस कथित साजिश के लिए लालू और अन्य आरोपियों के खिलाफ  प्रिवैंशन ऑफ  करप्शन एक्ट 1988 के तहत केस दर्ज किया गया है।
 


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