तिब्बत में भारतीय वायुसेना के सामने ढेर हो जाएंगे चीनी लड़ाकू विमान, दस्तावेज में खुलासा

punjabkesari.in Wednesday, Aug 09, 2017 - 04:05 PM (IST)

नई दिल्‍ली: भारत और चीन के बीच डोकलाम मु्द्दे को लेकर सीमा पर तनाव थमने की बजाय लगातार बढ़ता चला जा रहा हैं। डोकलाम को लेकर चीन के साथ पिछले करीब सात हफ्तों से जारी तनातनी को खत्म करने की भारत की कूटनीतिक कोशिशें नाकाम ही साबित हो रही हैं। चीन के सरकारी मीडिया की बात करें तो वे लगातार युद्ध की धमकियां दे रहा है। एक तरफ चीन जहां पीछे हटने को तैयार नहीं वहीं भारत भी अपने रुख पर कायम है। दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुईं है। 


भारतीय वायुसेना के विमान चीन पर पड़ेगे भारी
जानकारों का मानना हैं कि युद्ध की ये स्थिति चीन के तिब्बत में बनी तो भारतीय वायुसेना के विमान चीन की PLAAF(पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स) पर कहीं ज्यादा भारी पड़ेंगे। इसका खुलासा भारतीय वायुसेना के पूर्व स्‍क्‍वाड्रन लीडर समीर जोशी ने अपने एक दस्तावेज में किया है जो जल्द ही प्रकाशित होने जा रहा है।


इंडियन डिफेंस अपडेट वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक इस दस्तावेज का नाम 'The Dragon's Claws: Assessing China's PLAAF Today' है। जिसमें पूर्व स्‍क्‍वाड्रन लीडर जोशी ने भारतीय वायुसेना और चीनी वायुसेना का तिब्बत की परिस्थिति में विश्लेषण किया है। भारतीय वायुसेना के श्रेष्ठ लड़ाकू विमानों में से एक मिराज 2000 के फाइटर पायलट रहे जोशी ने इसके पीछे भौगोलिक कारण दिए है। उन्होंने लिखा है कि भारतीय एयरफोर्स के लड़ाकू विमान, चीनी लड़ाकू विमानों को पटखनी देने में प्रभावी रूप से सक्षम हैं।


जोशी ने इसका मुख्य कारण ये बताया है कि चीन के मुख्य एयरबेस बेहद ऊंचाई पर है वहीं दूसरी तरफ तिब्‍बत स्‍वायत्‍त क्षेत्र में आने वाले चीनी एयरक्राफ्ट को बेहद विपरीत जलवायु दशाओं का भी सामना करना पड़ता है, जिसके चलते चीनी एयरक्राफ्ट की प्रभावी पेलोड और सैन्‍य अभियान की क्षमता में काफी कमी आ जाती है। यानी तिब्‍बत के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में वायु का लघु घनत्‍व चीनी लड़ाकू विमानों मसलन su-27, J-11 अथवा J-10 की क्षमता को कमजोर कर देता है।


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