तीन तलाक पर 6 दिनों में पूरी हुई सुनवाई, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

punjabkesari.in Thursday, May 18, 2017 - 03:06 PM (IST)

नई दिल्लीः तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई आज छठे दिन खत्म हो गई। कोर्ट ने इस मामले पर अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में 5 जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने आज दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रखा। वहीं मुख्‍य याचिकाकर्ता सायरा बानो के वकील अमित चड्ढा अपना तर्क रख रहे हैं। उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उनके विचार से तीन तलाक एक पाप है और यह उनके व उन्‍हें बनाने वाले के बीच का मामला है। इन 6 दिनों में इस मामले में कोर्ट के तरफ से जहां तीखे सवाल पूछे गए वहीं आल इंडिया पर्सनल ला बोर्ड और केंद्र की तरफ से बहसबाजी भी काफी दिलचस्प रही। केंद्र की ओर से मुकुल रोहतगी ने और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की।

सुप्रीम कोर्ट के सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों से पहले ही दिन कह दिया था कि वह सिर्फ तीन तलाक पर सुनवाई करेगा। हालांकि केन्द्र के जोर के मद्देनजर बहुविवाह और ‘निकाह हलाला’ के मुद्दों को भविष्य में सुनवाई के लिए खुला रख रहा है। कोर्ट ने कहा था कि तीन तलाक इस्लाम में शादी खत्म करने का सबसे बुरा और अवांछनीय तरीका है। तीन तलाक को पाप के सामान बताए जाने पर कोर्ट ने तीका सवाल किया था कि जो चीज ईश्वर की निगाह में पाप है, उसे इंसान द्वारा बनाए गए कानून में सही कैसे कहा जा सकता है। वहीं कोर्ट ने पूछा था कि क्या Whatsapp आदि के जरिए तलाक मान्य है। कोर्ट ने मुस्लिम बोर्ड से पूछा था कि क्या महिलाओं को ‘निकाहनामा’ के समय ‘तीन तलाक’ को ‘न’ कहने का विकल्प दिया जा सकता है।

केंद्र की दलीलें
केंद्र ने पूरी मजबूती से अपनी दलीलों को शीर्ष कोर्ट के सामने रखा। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि केंद्र अभी ट्रिपल तलाक पर बहस कर रहा है, लेकिन वह तलाक के सभी मौजूदा तरीकों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर एक कदम आगे बढ़ाकर विधेयक लाने को भी तैयार है। केंद्र ने कहा कि तीन तलाक खत्म होना चाहिए।

आल इंडिया पर्सनल ला बोर्ड की दलीलें
आल इंडिया पर्सनल ला बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा था कि तीन तलाक पिछले 1400 साल से जारी है। अगर राम का अयोध्या में जन्म होना, आस्था का विषय हो सकता है तो तीन तलाक का मुद्दा क्यों नहीं। कपिल सिब्बल ने कहा कि इस्लाम धर्म ने महिलाओं को काफी पहले ही अधिकार दिये हुए हैं। परिवार और पर्सनल लॉ संविधान के तहत हैं, यह व्यक्तिगत आस्था का विषय है।

बता दें कि पीठ में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी सहित विभिन्न धार्मिक समुदायों के सदस्य शामिल हैं। पीठ में चीफ जस्टिस जेएस खेहर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।


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