सीडी और पटेल में उलझ गया गुजरात, सियासी मंचों से जनता के मुद्दे गायब

punjabkesari.in Saturday, Nov 18, 2017 - 11:09 AM (IST)

नई दिल्ली: गुजरात चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, राज्य में सियासी दल एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में जुटे हुए हैं, लेकिन जनता के मुददे अभी तक सियासी मंचों से दरकिरनार ही दिखाई दे रहे हैं। सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस लगातार एक-दूसरे को कई मुद्दों पर घेरने की कोशिश में लगी हुई हैं। कभी किसी सीडी को लेकर चर्चा होती है तो कभी सरदार पटेल की प्रतिमा को लेकर, तो कभी कुछ और मसलों को लेकर जिनसे शायद सीधे तौर पर आम व्यक्ति की रोटी का जुगाड़ नहीं होता। इस बीच एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉफ्र्स (ए.डी.आर.) ने जनवरी से अप्रैल, 2017 के दौरान देश के 527 संसदीय क्षेत्रों में 2,70,000 लोगों के बीच एक सर्वे किया है। इसमें चुनाव से जुड़े कई मुद्दों पर मतदाताओं का मन टटोलने की कोशिश की गई है।  ए.डी.आर. ने इस सर्वे के आधार पर गुजरात को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। 

रोजगार, परिवहन, महिला सशक्तिकरण 
इस रिपोर्ट में गुजरात के मतदाताओं ने 30 मुद्दों में से रोजगार, सार्वजनिक परिवहन सेवा, महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा को सबसे ऊपर रखा है। इसके अलावा 73 फीसदी मतदाताओं का मानना है कि आपराधिक मामलों का सामना कर रहे उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहिए। राज्य के 8.72 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि उनके लिए चुनावी मुद्दों में रोजगार के बेहतर मौके पहले पायदान पर हैं। अच्छी सार्वजनिक सेवा 7.65, महिला सशक्तिकरण 7.6 और महिला सुरक्षा 7.41 फीसदी लोगों के लिए सबसे ऊपर है। इनके अलावा सांसदों की विश्वसनीयता, पर्यावरण से जुड़े मुद्दे, बिजली आपूर्ति, बेहतर सड़कें, पेयजल और कानून व्यवस्था भी लोगों के लिए शीर्ष मुद्दों में शामिल हैं।

गांवों की पहल रोजगार व फसलों के दाम
राज्य के गांवों में रहने वाले मतदाताओं की बात करें तो इनके लिए रोजगार (8.61 फीसदी), फसलों की उचित कीमत (8.58 फीसदी) और सार्वजनिक परिवहन की बेहतर सुविधा सबसे अहम मुद्दा है। इनके अलावा खेती के लिए बिजली (6.69 फीसदी) और सिंचाई सुविधा (6.65 फीसदी) भी शीर्ष-10 मुद्दों में शामिल हैं। उधर, करीब नौ फीसदी शहरी मतदाताओं के लिए भी रोजगार का मुद्दा ही सबसे ऊपर है। हालांकि, इसके बाद 8.54 फीसदी ने सड़कों पर पैदल और साइकिल से चलने के लिए अलग लेन बनाए जाने को मुख्य चुनावी मुद्दा बताया है। इनके अलावा सड़कों पर जाम से मुक्ति (7.64 फीसदी), महिला सुरक्षा (7.36 फीसदी) और नौकरियों के लिए प्रशिक्षण (6.71 फीसदी) प्रमुख चुनावी मुद्दों में शामिल है।

जाति धर्म और उपहारों के आधार पर होती है वोटिंग
चुनावी मुद्दों से आगे वोटिंग पैटर्न की बात करें तो राज्य के 8.27 फीसदी मतदाता जाति और धर्म के आधार पर अपना प्रतिनिधि चुनते हैं। इसके बाद 8.27 फीसदी मतदाता पार्टी विशेष प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को देखकर और 5.77 फीसदी उन्हें मिले ‘उपहारों’ के आधार पर ही वोट देते हैं। सर्वे में यह बात सामने आई है कि केवल 4.58 फीसदी वोटर ही उम्मीदवार को देखकर मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं। दूसरी ओर 28 मतदाताओं ने माना है उन्हें इसकी जानकारी है कि ‘गिफ्ट’ लेना गैर-कानूनी है।


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