Exclusive: सुरक्षाबलों का मनोबल गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ रही सरकार

punjabkesari.in Tuesday, Feb 13, 2018 - 08:37 AM (IST)

जम्मू (बलराम): केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार सेना एवं अन्य सुरक्षा बलों को आतंकवाद से निपटने के लिए खुली छूट देने के भले ही कितने दावे करती हों, लेकिन सच्चाई यही है कि वर्तमान पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन सरकार ने राज्य में तैनात सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। पिछले दिनों शोपियां में पत्थरबाजों से निपटने के दौरान हुई गोलीबारी में जब 3 पत्थरबाजों की मौत हो गई थी तो राज्य सरकार ने बिना कोई जांच किए सेना के  मेजर आदित्य कुमार सहित कुछ जवानों के खिलाफ आपराधिक मामला (एफ.आई.आर.) दर्ज कर लिया था। मेजर आदित्य के पिता लैफ्टिनैंट कर्नल कर्मवीर सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सैन्य अधिकारी एवं जवानों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा कर केंद्र एवं राज्य सरकार से 2 सप्ताह में जवाब मांगा है, लेकिन यह अकेला मामला नहीं है जिसमें सेना एवं अन्य सुरक्षा बलों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई हुई हो।

जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार राज्य में मार्च 2015 के बाद से अब तक सेना एवं अन्य सुरक्षा बलों के खिलाफ 16 (एफ.आई.आर.) आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि 1 मार्च, 2015 को भाजपा और पी.डी.पी. ने आपसी सहमति से तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में गठबंधन सरकार का गठन किया था। इन मामलों में सुरक्षा बलों के जवानों पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने भीड़ से निपटते समय जरूरत से ज्यादा बल का प्रयोग किया।

विभाग के अनुसार ऐसे 14 मामलों में जांच चल रही है। एक मामला अंडर ट्रायल है जिसमें बडग़ाम जिले के मगम पुलिस थाने में तैनात रहे 2 पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई हुई है। इसके अलावा पाम्पोर पुलिस थाने में दर्ज एक अन्य मामले में चालान पेश किया जा चुका है। हालांकि, इस रिपोर्ट में सेना, अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का सिलसिलेवार ब्यौरा नहीं दिया गया है।


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