इतिहास में पहली बार SC के जजों ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस, चीफ जस्टिस पर उठाई उंगली

punjabkesari.in Friday, Jan 12, 2018 - 07:27 PM (IST)

नई दिल्लीः आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने आज अपना कामकाज छोड़कर आनन-फानन में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और देश के मुख्य जज (सीजेआई) की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में चारों जजों ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली में प्रशासनिक व्यवस्थाओं का पालन नहीं किए जाने और सुनवाई के लिए महत्वपूर्ण मुकदमों के आवंटन में मनमाना रवैया अपनाने का आरोप लगाया।  
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सुप्रीम कोर्ट में सब ठीक नहीं
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्ती चेलमेश्वर ने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के साथ आज कोर्ट की प्रशासकीय खामियों से देश को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा है। जब कोई विकल्प नहीं बचा तो हम सामने आए हैं। हमने इस मामले में चीफ जस्टिस से बात की। सीनियर जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में हैं। जजों ने कहा कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को इस संबंधित हमने चिट्ठी भी लिखी थी लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। जजों ने वो चिट्ठी मीडिया के सामने सार्जनिक भी की। जजों ने कहा कि हम चिट्ठी इसलिए सार्वजनिक कर रहे हैं ताकि कल कोई ऐसा मत कहे कि हमने आत्मा बेच दी। 

PunjabKesariप्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ मख्य अंशः

-तय सिद्धांतों के अनुसार, मुख्य जजों को रोस्टर तय करने का विशेष अधिकार होता है और वह न्यायालय के जजों या पीठों को सुनवाई के लिए मुकदमे आवंटित करता है। मुख्य न्यायधीश ने चुनींदा ढंग से मुकदमे सुनवाई के लिए चुनींदा जजों को आवंटित किए जाने का आरोप लगाए।

-इन परंपराओं एवं नियमों की अवहेलना से ना केवल अप्रिय स्थिति बनेगी बल्कि संस्था की विश्वसनीयता प्रभावित होगी और गंभीर परिणाम होंगे। पत्र में उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जिनके देश और न्यायपालिका पर दूरगामी परिणाम पड़े हैं। 

-मीडियाकर्मियों के एक सवाल के जवाब में न्यायमूर्ति गोगोई ने यह स्वीकार किया कि सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले के ट्रायल जज बी एच लोया की हत्या की जांच का मामला भी उनकी नाराजगी के केंद्र में है। ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि शीर्ष अदालत के बहुत सारे अहम मुकदमे कुछ कनिष्ठ जजों को सुनवाई के लिए दिए जा रहे हैं और वरिष्ठ जजों को नजरअंदाज किया जाता है। 

-न्यायमूर्ति चेलमेश्वर से जब पूछा गया कि क्या वे सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की मांग करते हैं तो उन्होंने इस सवाल को यह कहते हुए टाल दिया कि वे लोग महाभियोग लाने वाले कौन होते हैं?  उन्होंने सीजेआई को पूर्व में दिए गए सात पन्नों का वह पत्र भी मीडियाकर्मियों को जारी किया, जिसके माध्यम से उन चारों जजों ने अपनी शिकायतें दर्ज कराई थीं। 

-इस बीच ऐसी खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ मौजूदा घटनाक्रम से उपजी स्थिति पर विचार-विमर्श किया। ऐसा समझा जा रहा है कि दोनों नेताओं की इस बैठक में कानून अधिकारी भी मौजूद थे। 

-लेटर में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के लिए 6 महीने जेल की सजा काटने के बाद रिहा हुए रिटायर्ड जस्टिस कर्णन की भी जिक्र किया गया है। 

 

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