भारत का 'ब्रह्मास्त्र' है 'ब्रह्मोस', दुश्मनों के पास भी नहीं है इस मिसाइल का तोड़

punjabkesari.in Thursday, Nov 23, 2017 - 11:24 AM (IST)

नेशनल डैस्कः दुश्मनों के लिए ब्रह्मोस से घबराने की वजह है कि इस मिसाइल का उनके पास कोई तोड़ नहीं है। इसकी स्पीड करीब एक किलोमीटर प्रति सैकेंड है जबकि चीन के पास जो मिसाइल है उसकी गति 290 मीटर प्रति सैकेंड है। ब्रह्मोस को दागने में वक्त भी कम लगता है। ब्रह्मोस मिसाइल भूमिगत परमाणु बंकरों, कमांड एंड कंट्रोल सैंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे विमानों को दूर से ही निशाना बनाने में सक्षम है। सेना ने ब्रह्मोस मिसाइल को पहले ही अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। इस मिसाइल के लिए 27,150 करोड़ रुपए के ऑर्डर दिए गए हैं। इस मिसाइल के हाइपरसोनिक वर्जन को तैयार करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं जो मैक  5 की स्पीड से उड़ान भरने में सक्षम होगी।

सुपरसोनिक मिसाइल से लैस दुनिया की पहली वायुसेना
भारतीय वायुसेना दुनिया की पहली ऐसी वायुसेना बन गई है जिसके जंगी बेड़े में सुपरसोनिक मिसाइल शामिल है। सुखोई विमान पहले ब्रह्मोस के साथ कामयाबी से उड़ान भर चुका है। अप्रैल, 2017 में पहली बार नौसेना ने ब्रह्मोस को वॉरशिप से जमीन पर दागा था। इस मिसाइल को भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम के तहत बनाया गया है।

सुखोई और ब्रह्मोस का ‘डैडली कॉम्बिनेशन’
सुखोई विमान से ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण को इन दोनों का ‘डैडली कॉम्बिनेशन’ (खतरनाक मेल) कहा जा रहा है। हवा से जमीन पर मार करने वाली इस मिसाइल का दुश्मन देश की सीमा में स्थापित आतंकी ठिकानों पर हमला बोलने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

किलो एटमी हथियारों से हमले में सक्षम  
2.8- मैक रफ्तार
2.4- टन वजन
08- मीटर लम्बाई

अमरीकी मिसाइल भी इसके आगे कमतर
-आवाज की गति से करीब 3 गुना अधिक रफ्तार से हमले में सक्षम
-कोई दूसरी मिसाइल तेज गति से हमले के मामले में इसकी बराबरी में नहीं  
-अमरीका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसके आगे कमतर है
-ब्रह्मोस परमाणु तकनीक से लैस है
-लड़ाकू विमान से दागे जाने पर 400 कि.मी. दूर तक मार करने में सक्षम

दागो और भूल जाओ
-ब्रह्मोस का निशाना अचूक है। इसलिए कहते हैं, ‘दागो और भूल जाओ’
-इसे पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट, हवा और जमीन से दागा जा सकता है।


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