कांग्रेस को पटेल के संसद के पटल तक पहुंचने को लेकर संशय !

punjabkesari.in Friday, Jul 21, 2017 - 12:10 AM (IST)

नई दिल्ली. राष्ट्रपति चुनाव में शुरू से ही संख्याबल में पिछड़ने वाली कांग्रेस को उम्मीद थी कि वे अपने एमपी और एमएल के अलावा सहयोगियों के सहारे एनडीए को कड़ी टक्कर देगी। गुरुवार को आए परिणामों ने पार्टी के सभी रणनीतिकारों के पैरों तले जमीन खिसका दी है। कांग्रेसियों के सहयोगी दल तो दूर अपने ही लोगों ने जमकर क्रास वोटिंग की। गुजरात में सबसे ज्यादा पार्टी को क्रास वोटिंग का शिकार होना पड़ा। एेसे में अलगे महीने होने वाले राज्यसभा के चुनावों में अपने उम्मीदवार अहमद पटेल के उच्च में पहुंचने पर खतरा मड़राता हुआ दिखाई दे रहा है।

विपक्ष राष्ट्रपित चुनाव का उपयोग 2019 के आम चुनाव से पहले अपनी एकता की जोर-आजमाइश करने के रूप में देख रहा था। सोनिया गांधी के नेतृत्व में बड़ी रणनीति बनी, लेकिन चुनाव से पहले ही यह कोशिश पटरी से उस समय उतर गई जब वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस, बीजेडी, एआईडीएमके जैसे दलों ने रामनाथ कोविंद के साथ जाने का ऐलान कर दिया। रही सही कसर नीतीश की पार्टी जेडीयू ने पूरी कर दी, जिसने विपक्षी एकता से अलग होकर कोविंद के पक्ष में जाने की घोषणा की। 
PunjabKesariइसके बावजूद गुरुवार को सबसे अधिक उत्सुकता थी कि क्या जिन दलों ने मीरा कुमार को सपॉर्ट देने का ऐलान किया था, उनके सांसद और एमएलए एकजुट रहे या नहीं। देर शाम नतीजे आए तो विपक्ष को बड़ा झटका लगा। कोई ऐसा राज्य नहीं, जहां उनके विधायकों ने पार्टी लाइन तोड़ वोट एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में न किया हो। क्रॉस वोटिंग का शिकार सबसे अधिक कांग्रेस हुई। अधिकतर विधायक इनके दल से ही टूटे हैं। ऐसे में 2019 के आम चुनाव से पहले एकजुट होने की कोशिश कर रहे विपक्ष को इस नतीजे ने साफ संदेश दिया कि पहले वह अपना घर दुरुस्त और एकजुट कर ले, फिर आगे की लड़ाई के बारे में सोचे।

जानकारों के मुताबिक, कांग्रेस की सबसे अधिक नजर गुजरात पर थी, जहां कांग्रेस शंकर सिंह वाघेला की बगावत को झेल रही है। वहां साल के अंत में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। वहां के 9 कांग्रेस विधायकों ने कोविंद के पक्ष में वोट दिए। यह विधानसभा चुनाव के साथ 8 अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में भी चिंता की बात है, क्योंकि अगर इतने ही विधायकों ने क्रॉस वोटिंग उस दिन भी की तो कांग्रेस को अपने उम्मीदवार और सीनियर नेता अहमद पटेल को जितवाने में कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है।


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