9 साल बाद फिर सेना से जुड़ेंगे लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित

punjabkesari.in Tuesday, Aug 22, 2017 - 05:35 PM (IST)

नई दिल्लीः मालेगांव बम ब्लास्ट केस में 9 साल से निलंबित चल रहे लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित के फिर सेना से जुड़ेंगे। सेना के सूत्रों के मुताबिक पुरोहित को एक सैन्य इकाई से जाड़ा जा सकता है। हालांकि इस दौरान भी वे निलंबित ही रहेंगे। बता दें, 2008 में मालेगांव ब्लास्ट में उनका नाम आने के बाद 20 जनवरी 2009 को सेना ने उन्हें निलंबित कर दिया था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को जमानत दे दी थी। 

सैन्य सूत्रों ने बताया कि वह आगे भी निलंबित ही रहेंगे, लेकिन उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया गया है, तो उन्हें सेना की एक इकाई से संबद्ध किया जाएगा। वह उसी पद पर सेना की इस इकाई से जुड़ेंगे, जिस पद पर वह गिरफ्तारी के समय थे। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद उनके निलंबन की समीक्षा की जाएगी।

निलंबन के दौरान पुरोहित 'मुक्त गिरफ्तार व्यक्ति' की तरह रहेंगे, जिसके तहत सैनिक को सिर्फ अपनी वर्दी पहनने की इजाजत होती है। निलंबन के दौरान पुरोहित आम वर्दी में भी रह सकते हैं।

हालांकि सैन्य इकाई में रहते हुए उन पर कुछ प्रतिबंध भी होंगे, जैसे उन्हें एक सीमित क्षेत्र तक घूमने-फिरने की आजादी होगी और बिना पूर्व इजाजत के शहर छोड़ना मना होगा और उन्हें प्रतिदिन हाजिरी देनी होगी। उन्हें किसी सार्वजनिक समारोह या कार्यक्रम में हिस्सा लेने की भी इजाजत नहीं होगी।

न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने पुरोहित को इस हिदायत के साथ सशर्त जमानत दी कि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। न्यायमूर्ति अग्रवाल का कहना था कि हर मामले की परिस्थितियों और तथ्यों को देखते हुए एक हद तक जमानत को मंजूरी देना या खारिज करना अदालत का अधिकार है लेकिन इसके साथ ही जमानत पाने के अधिकार को सिर्फ अभियुक्त के खिलाफ समुदाय की भावना के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता। 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट मामले के अन्य प्रमुख आरोपियों साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और असीमानंद नेता को भी जमानत दे चुका है। कर्नल पुराहित को जमानत मिलना इसलिए भी खास है कि, मामले की जांच कर रही एजेंसी एनआईए ने जहां साध्वी प्रज्ञा की जमानत का कोई विरोध नहीं किया था वहीं कर्नल पुरोहित की जमानत को लेकर उसने उच्चतम अदालत में भारी विरोध दर्ज कराया था लेकिन कोर्ट ने एनआईए के विरोध को दरकिनार करके उन्हें जमानत दे दी थी।


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